आखिर क्यों वहीदा की गुरू मुसलमान लड़की को भरतनाट्यम सिखाने से इन्कार कर रही थी?

वहीदा रहमान केवल अपनी खूबसूरती के लिए ही नहीं, बल्कि अपनी डांसिंग स्किल्स के लिए भी अपने ज़माने में लोगों के बीच पॉप्युलर थी। भरतनाट्यम में वहीदा रहमान को महारत हासिल थी। लेकिन कम लोग ही इस बात से वाकिफ हैं कि वहीदा रहमान को भरतनाट्यम सीखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी थी। वो जिस गुरू से भरतनाट्यम सीखने गई थी उन्होंने वहीदा को ये कहकर भरतनाट्यम सिखाने से इन्कार कर दिया था कि वो किसी मुसलमान लड़की को भरतनाट्यम नहीं सिखाती हैं।

आखिर क्यों वहीदा की गुरू मुसलमान लड़की को भरतनाट्यम सिखाने से इन्कार कर रही थी? गुरू के साफ मना करने के बाद कैसे वहीदा रहमान ने भरतनाट्यम में खुद को इतना निपुण किया? किस्सा टीवी आज आपको वहीदा रहमान की ज़िंदगी का ये रोचक किस्सा बताएगा।

ये किस्सा उन दिनों का है जब वहीदा रहमान एक छोटी बच्ची थी। एक दिन माता-पिता से वहीदा ने कहा कि वो भरतनाट्यम सीखना चाहती है। ये वो वक्त था जब मुस्लिम परिवार की लड़कियों का भरतनाट्यम सीखना अच्छी बात नहीं मानी जाती थी। वहीदा के माता-पिता ने शुरू में तो इन्कार कर दिया। लेकिन चूंकि वे आज़ाद ख्याल के लोग थे तो बेटी के बार-बार ज़िद करने पर वो समाज की परवाह छोड़कर वहीदा को मशहूर भरतनाट्यम गुरू जयलक्ष्मी अल्वा के पास ले गए।

वहीदा जब पहली दफा जयलक्ष्मी अल्वा के पास पहुंची तो उन्होंने जयलक्ष्मी को सलाम किया। जयलक्ष्मी ने पूछा कि क्या तुम मुस्लिम हो। वहीदा ने कहा हां। इस पर जयलक्ष्मी ने कहा,”मैं तुम्हें भरतनाट्यम नहीं सिखा सकती। मैं किसी मुस्लिम को भरतनाट्यम नहीं सिखाती हूं। मुस्लिम लड़कियां चार दिन भरतनाट्यम सीखने आती हैं और फिर छोड़ देती हैं। अपने घर और खानदान के डर की वजह से वो अपना और मेरा वक्त बर्बाद करती हैं। मुझे वो शिष्या बनाना कतई पसंद नहीं जो भरतनाट्यम की तालीम को बीच में ही छोड़कर चली जाए। इसलिए बेहतर होगा कि तुम किसी और सीख लो।”

जयलक्ष्मी ने जब ये बात कही तो वहीदा का दिल टूट गया। लेकिन फिर भी वो जयलक्ष्मी से कहती रही कि उन्हें भरतनाट्यम सीखना है और आपसे ही सीखना है। वहीदा ने उन्हें ये भरोसा दिलाने की भी खूब कोशिश की कि मैं बीच में भरतनाट्यम को नहीं छोड़ूंगी। वहीदा की ज़िद देखकर गुरू जयलक्ष्मी अल्वा ने उनके सामने एक शर्त रख दी। जयलक्ष्मी ने कहा,”मैं तुम्हें तब ही भरतनाट्यम सिखाऊंगी जब मैं तुम्हारी कुंडली देख लूंगी। अगर तुम्हारी कुंडली में लिखा होगा कि मुझसे सीखने के बाद तुम एक काबिल भरतनाट्यम नृत्यांगना बन सकोगी तो ही मैं तुम्हें भरतनाट्यम की ट्रेनिंग दूंगी। इसलिए तुम मुझे अपनी कुंडली लाकर दिखाओ।”

चूंकि वहीदा मुस्लिम परिवार से थी तो ना तो कभी उनकी जन्मकुंडली बनी थी और ना ही जन्मकुंडली बनवा सकती थी। वहीदा ने जब ये बात गुरू जयलक्ष्मी अल्वा को बताई तो उन्होंने वहीदा से जन्म की तारीख, समय और स्थान की जानकारी ली। जयलक्ष्मी ने वहीदा से अगले दिन आने को कहा और बोला कि वो खुद ही वहीदा की कुंडली बनाकर देखेंगी कि उनकी कुंडली में भरतनाट्यम सीखने का योग है भी या नहीं।

जयलक्ष्मी अल्वा पूरी रात वहीदा रहमान की कुंडली बनाने में लगी रही। अगले दिन जब शाम के समय जब वहीदा अपनी अम्मी के साथ उनके पास पहुंची तो आज जयलक्ष्मी के तेवर एकदम बदले हुए थे। उन्होंने वहीदा और उनकी अम्मी का ज़ोरदार स्वागत किया। वहीदा और उनकी अम्मी जयलक्ष्मी का ये बदला-बदला रूप देखकर हैरान थे। उनकी हैरानी देखकर जयलक्ष्मी ने कहा,”वहीदा, तुम कल से मेरे पास आना शुरू कर दो। मैंने तुम्हारी कुंडली बनाकर अच्छी तरह से देख भी ली है और पढ़ भी ली है। तुम्हारी कुंडली साफ बताती है कि तुम भरतनाट्यम का मान रखोगी और मेरा नाम खूब रोशन करोगी।”

गुरू जयलक्ष्मी की इस बात ने वहीदा और उनकी अम्मी के चेहरे पर खुशी की लहर ला दी। वहीदा ने जयलक्ष्मी से भरतनाट्यम की ट्रेनिंग लेनी शुरू कर दी। कुछ ही सालों में जयलक्ष्मी अल्वा की बात एकदम सच हो गई। वहीदा अपने शहर में मशहूर होने लगी। धीरे-धीरे वहीदा का भरतनाट्यम का हुनर उन्हें फिल्मी दुनिया तक ले आया और आखिरकार वो एक नामी फिल्म अभिनेत्री बनी। इस तरह वहीदा रहमान ने भरतनाट्यम का भी बखूबी मान रखा और अपनी गुरू जयलक्ष्मी अल्वा का भी खूब नाम रोशन किया। बता दें कि वहीदा रहमान की भरतनाट्यम टीचर जयलक्ष्मी अल्वा 22 जुलाई 2015 को ये दुनिया छोड़कर चली गई।

साभार : क़िस्सा टीवी

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