बॉलीवुड का ऐसा संगीतकार जिसने अनगिनत सुरहिट गाने दिये

अनु मलिक की कहानी यूं तो किसी भी ऐसे कलाकार की कहानी जैसी ही है जिसने कड़े संघर्षों से लड़कर अपना एक मुकाम हासिल किया हो। लेकिन एक थोड़ा सा फर्क जो अनु मलिक को दूसरों से अलग करता है वो ये कि अनु मलिक का करियर किसी रोलर कोस्टर राइड के जैसा रहा है। वो कभी सफलता का शिखर छूते हैं तो कभी असफलताओं की खाई में गिर जाते हैं। फिर ज़बरदस्त वापसी करते हैं और दोबारा से काम पाने की जद्दोजहद में फंस जाते हैं।

आज आपको अनु मलिक की वो कुछ अनसुनी कहानियां बताएंगे जिनके बारे में आप शायद ही जानते होंगे। 2 नवंबर 1960 को मुंबई में अनु मलिक का जन्म हुआ था।

अनु मलिक की उम्र 16-17 ही हुई थी जब इन्होंने फिल्म इंडस्ट्री में एज़ ए म्यूज़िक डायरेक्टर काम पाने के लिए संघर्ष करना शुरू कर दिया। उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री में लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल, कल्याण जी-आनंद जी और आरडी बर्मन जैसे कई बड़े नाम राज कर रहे थे।

अनु मलिक रोज़ अपना हारमोनियम लेकर मुंबई की तारदेव एयर कंडीशन मार्केट पहुंच जाया करते थे। उस मार्केट के पास एक बिल्डिंग थी जिसमें उस वक्त फिल्म इंडस्ट्री के कई नामी प्रोड्यूसर्स और डिस्ट्रिब्यूटर्स रहा करते थे। अनु ने कई दफा कोशिश की कि वो वहां किसी बड़े प्रोड्यूसर से मिल सकें।

लेकिन उस बिल्डिंग में इनको जाने ही नहीं दिया जाता था। आखिरकार अनु मलिक ने उस बिल्‍डिंग के बाहर पाव भाजी की दुकान लगाने वाले एक आदमी से दोस्ती कर ली और उसकी दुकान के आस-पास खड़े रहते। इस उम्मीद में कि किसी ना किसी दिन तो कोई बड़ा प्रोड्यूसर यहां पाव भाजी खाने ज़रूर आएगा।

खाली वक्त में अनु मलिक उस पाव भाजी वाले को ही अपनी धुनें सुनाते रहते थे। पाव भाजी की दुकान पर अनु मलिक से कई प्रोड्यूसर्स टकराए भी। अनु मलिक ने उन्हें अपनी धुनें सुनाने की कई कोशिशें भी की। लेकिन वहां किसी ने भी अनु मलिक को भाव नहीं दिया।

अनु मलिक ने फिल्मो में बेहतरीन म्यूज़िक तो दिया ही है। साथ ही उन्होंने कई फिल्मों में गाने भी गाए हैं। अनु मलिक के गाए कई गाने लोगों की ज़ुबान पर चढ़ चुके हैं। और आज भी उन गीतों को लोग अक्सर गुनगुनाने लगते हैं। लेकिन अनु मलिक गायक बने कैसे? अनु मलिक के गायक बनने की कहानी आपको बड़ी पसंद आएगी।

ये कहानी जुड़ी है साल 1987 में आई ‘जीते हैं शान से’ नाम की फिल्म से। इस फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, संजय दत्त और गोविंदा ने काम किया था। इस फिल्म का गीत जूली जूली बहुत लोकप्रिय हुआ था। डायरेक्टर कंवल शर्मा ने पहले ये गाना किशोर दा से रिकॉर्ड कराने की प्लानिंग की थी। लेकिन किशोर दा इस गाने को रिकॉर्ड करने आ नहीं सके।

फिर ये गाना किशोर दा के बेटे अमित कुमार से रिकॉर्ड कराने की योजना बनाई गई। लेकिन अमित कुमार भी स्टूडियो नहीं पहुंच पाए। रिकॉर्डिंग में हो रही देरी की वजह से मिथुन दा इस गाने की शूटिंग नहीं कर पा रहे थे। शूटिंग करने के लिए मिथुन दा ने डायरेक्टर कंवल शर्मा से कहा कि इस गाने को किसी से ऐसे ही रफ रिकॉर्ड करा लो। ताकि कम से कम शूटिंग कंप्लीट हो सके।

तब फिल्म का म्यूज़िक दे रहे अनु मलिक ने ही कविता कृष्णमूर्ति के साथ ये गाना रिकॉर्ड कर दिया। ये सोचकर कि जब किशोर दा या अमित कुमार आ जाएंगे तो उनसे फाइनल रिकॉर्डिंग करा ली जाएगी। फिर जब मिथुन दा ने अनु मलिक का गाया जूली जूली सॉन्ग सुना तो वो दंग रह गए।

अनु मलिक की गायकी का अंदाज़ मिथुन दा को बहुत पसंद आया। मिथुन दा ने डायरेक्टर कंवल शर्मा से कहा कि अब ये गाना फिल्म में ऐसे ही रहने दो। अनु मलिक ने ये गाना बहुत बढ़िया गाया है। और बस यहीं से अनु मलिक का गायकी का सफर भी शुरू हो गया।

अनु मलिक के करियर की शुरुआती पहली ब्लॉकबस्टर फिल्म थी मनमोहन देसाई की मर्द। इस फिल्म में पहली दफा अनु मलिक को अमिताभ बच्चन के लिए म्यूज़िक तैयार करने का मौका मिला था। अनु मलिक इस मौके का भरपूर फायदा उठाने की तैयारी कर चुके थे। इसलिए वो हर कदम फूंक-फूंककर रख रहे थे।

मर्द के डायरेक्टर मनमोहन देसाई चाहते थे कि फिल्म का टाइटल ट्रैक मर्द तांगे वाला मैं हूं मर्द तांगे वाला किसी ऐसे गायक से गवाया जाए जिसकी आवाज़ मोहम्मद रफी साहब से मिलती हो। उन्होंने अनु मलिक से कहा कि वो किसी ऐसे गायक को तलाशें जो रफी साहब के अंदाज़ में गा सके। उस ज़माने में अनु मलिक के दिमाग में मुन्ना का ख्याल आया।

मुन्ना यानि बेहद शानदार गायक मोहम्मद अज़ीज़ साहब। उस वक्त मोहम्मद अज़ीज़ साहब भी काम पाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। अनु मलिक मोहम्मद अज़ीज़ को ढूंढने गोरेगांव आए। हालांकि उन्हें नहीं पता था कि अज़ीज़ साहब गोरेगांव में कहां रहते हैं। कई घंटों तक अनु मलिक ने मोहम्मद अज़ीज़ को ढूंढा। फाइनली उन्हें मोहम्मद अज़ीज़ मिल गए और वो अज़ीज़ साहब को लेकर स्टूडियो आ गए।

वहां मनमोहन देसाई के सामने अनु मलिक ने मोहम्मद अज़ीज़ साहब से मर्द तांगे वाला गीत गवाया। मनमोहन देसाई जी को मोहम्मद अज़ीज़ की गायकी बहुत पसंद आई और उन्होंने अनु मलिक से कहा कि ये गाना इसी से रिकॉर्ड कराया जाए। और इस तरह अनु मलिक ने बॉलीवुड को दिया एक बेहद शानदार गायक जिसे हम मोहम्मद अज़ीज़ के नाम से जानते हैं। मोहम्मद अज़ीज़ साहब अब दुनिया में नहीं हैं। लेकिन उनकी कहानी और उनके गीत हमेशा उन्हें उनके चाहने वालों के दिलों में ज़िंदा रखेंगे।

साभार- किस्सा टीवी

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.