द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर मूवी रिव्यू: जल्दबाजी में बनी मूवी किताब से नहीं कर पाई इंसाफ

देश के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मीडिया एडवाइजर रहे संजया बारू की किताब द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर पर बेस्ड मूवी द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर आज बड़े पर्दे पर रिलीज हो चुकी है। ये फिल्म मनमोहन सिंह को पसंद करने वालों को अच्छी और कांग्रेस को पसंद करने वालों को बुरी लग सकती है। संजया बारू की किताब को बड़े पर्दे पर उतारने की कोशिश की गई। पर निर्देशक और अभिनेता क्या उसमें कामयाब होते हैं, इसका फैसला जनता ही करेगी।
निर्देशक-विजय रत्नाकर गुट्टे की ये पहली फिल्म हैं और उन्होंने इस फिल्म को प्रोड्यूस भी किया है और इसकी कहानी भी लिखी है। निर्देशक ने किताब के जरिए संजया बारू के हिस्से का सच दिखाया है। पर क्या यही मनमोहन सिंह के हिस्से का सच है। इसे सिर्फ वो ही जानते हैं। पर मुझे लगता है कि फिल्म को जल्दबाजी में बनाने के चक्कर में फिल्म के साथ पूरा न्याय नहीं किया जा सका है। चुनाव से पहले फिल्म रिलीज करने के चक्कर में ऐसा हुआ है। शायद संजया बारू भी जब ये मूवी देखेंगे तो मेरी बात से सहमत होंगे और एक बात इस फिल्म का सबसे अच्छा रिव्यू सिर्फ और सिर्फ मनमोहन सिंह ही लिख सकते हैं। निर्देशक की कामयाबी ये है कि पर्दे पर सोनिया गांधी के किरदार को निभाने के लिए सुजेन बर्नेट का चुनाव अच्छा है, वो सोनिया के किरदार में जमती हैं।
प्रोड्यूसर-डॉ.जयंतीलाल गाडा, सुनील बोहरा, धवल जंयती लाल गाडा
को-प्रोड्यूसर-जतिंदर कुमार भारद्वाज, अशोक पंडित
कहानी-इस फिल्म की कहानी को मयंक तिवारी, विजय रत्नाकर गुट्टे, कार्ल डुन्ने और आदित्य सिन्हा ने मिलकर लिखा है। पर चार लोग मिलकर भी बुक के साथ जस्टिस नहीं कर पाएं हैं। अगर फिल्म का मकसद सिर्फ एक विशुद्ध प्रोपगेंडा फिल्म बनाने की थी वो भी लोकसभा चुनाव 2019 से पहले तो भी उसमें डायरेक्टर कामयाब नहीं हो पाए हैं। क्योंकि प्रोपेगेंडा फिल्म का कैनवास भी बहुत बड़ा होता हैं। हॉलीवुड इसमें माहिर है। बुक की लिखी कहानी को जल्दबाजी में कह दिया गया है। जब आप बुक को पढ़ेंगे तो आपको पता चलेगा। यूपीए वन में मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाए रखने के लिए किसने-किसने क्या-क्या मेहनत की, इसे बस चलताउ तरीके से कह दिया गया।
स्टार कॉस्ट-अनुपम खेर, अक्षय खन्ना, सुजेन बर्नेट, आहाना कुमरा, अर्जुन माथुर, विपिन शर्मा और दिव्या सेट्ठी। अनुपम खेर मनमोहन सिंह के रोल में जमे हैं और अच्छा रोल ये हो सकता था, अगर इसे रोल को और ज्यादा ग्रूम किया जाता। क्योंकि अब दोबारा ये फिल्म नहीं बन पाएगी। अगर किताब के महत्वपूर्ण किरदारों को भी फिल्म में वाजिब जगह दी जाती तो अनुपम खेर के साथ और किरदारों को भी एक्टिंग करने का मौका मिल पाता। इससे अनुपम खेर का रोल और अधिक अच्छा लगता। शायद डायरेक्टर ही यहां पर भूल कर बैठे कि अक्षय खन्ना से संजया बारू का रोल करवाना है या फिर उनसे रूटीन एक्टिंग करने के लिए कहना है। डायरेक्टर को कम से कम संजया बारू की लाइफ स्टाइल के हिसाब से रोल को डिजाइन करना था। सुजेन बर्नेट अपने रोल में जमी हैं और उनके अलावा अहमद पटेल का किरदार विपिन शर्मा ने निभाया है। विपिन शर्मा अच्छे एक्टर हैं जैसा डायरेक्टर उनसे काम करवाना चाहता है वो उसको पर्दे पर जी देते हैं। राहुल गांधी बने अर्जुन माथुर के लिए फिल्म में करने के लिए बहुत कुछ नहीं था और मनमोहन सिंह की पत्नी के किरदार के रूप में दिव्या सेठी अच्छी लगी है।
एडीटर-प्रवीण केएनएल
डायरेक्टर आफ फोटोग्राफी-सचिन कृष्ण
बैकग्राउंड म्यूजिक-सुमित सेट्ठी और अभिजीत वगहानी
म्यूजिक डायरेक्टर-सुदीप रॉय, साधु एस तिवारी
साउंड डिजाइनर-मंदर कुलकर्णी
फिल्म अवधि-1 घंटा, 58 मिनट
टिकट के दिए- 140 रुपये
फिल्म क्यों देंखे-अगर मनमोहन सिंह के प्रशंसक हैं और जानना चाहते हैं कि उनका पहला कार्यकाल कैसा रहा और पहले कार्यकाल में उनको प्रधानमंत्री बनाए रखने में किस पार्टी के किस—किस नेता ने मदद की। पर अभी भी लोगों तक उन लोगों के नाम नहीं पहुंचे हैं।
फिल्म क्यों न देंखे-अगर राजनीति पर बनी फिल्में पसंद नहीं है तो।
फिल्म समीक्षक- सचिन यादव
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
टेक्नोलोजी
अन्य खबरें
Loading next News...
