
आरबीआई ने परिचालन को बेहतर बनाने के लिए शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) के लिए कुछ मानदंडों में संशोधन किया है। इसके तहत यूसीबी अब 25 लाख रुपए या टियर 1 पूंजी के 0.4 फीसदी (जो भी अधिक हो) तक के कर्जों को छोटे मूल्य वाले ऋण के रूप में वर्गीकृत कर सकते हैं। साथ ही प्रति उधारकर्ता अधिकतम तीन करोड़ रुपए तक का कर्ज दे पाएंगे।
इस संशोधन से पहले शहरी सहकारी बैंक 25 लाख रुपए या टियर 1 पूंजी के 0.2 फीसदी तक के कर्जों को छोटे मूल्य के ऋण में वर्गीकृत कर सकते थे। साथ ही प्रति उधारकर्ता कर्ज देने की अधिकतम सीमा एक करोड़ रुपए थी जिसे अब बढ़ाकर तीन करोड़ रुपए कर दिया गया है।
ये शर्तें करनी होंगी पूरी
इसके साथ ही रिजर्व बैंक ने यह भी कहा है कि शहरी सहकारी बैंकों को निर्धारित ग्लाइड पाथ का पालन करना जरूरी होगा, जिसके तहत 31 मार्च, 2026 तक उनके कुल ऋणों और अग्रिमों का कम से कम 50 फीसदी हिस्सा छोटे कर्ज का होना चाहिए। इसके साथ ही कहा गया है कि प्राथमिकता क्षेत्र के रूप में वर्गीकृत होने योग्य क्षेत्रों को छोड़कर, होम लोन में यूसीबी का कुल जोखिम उसके कुल ऋणों और अग्रिमों के 25 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए।
आरबीआई ने इन बैंकों के लिए आवासीय कर्ज की सीमा को भी बढ़ाकर कुल ऋण जमा का 25 फीसदी कर दिया है। इसके अलावा यूसीबी के विभिन्न स्तरों के लिए व्यक्तिगत आवासीय कर्ज सीमा को संशोधित कर 60 लाख से लेकर तीन करोड़ रुपए कर दिया है।