
आम तौर पर वाहनों के पुराने हो चुके टायर आपके लिए सिरदर्द बन जाते हैं। घर में रखो तो कबाड़ की तरह जगह घेरते हैं और बारिश का पानी उनमें इकट्ठा हो जाए तो यही टायर तमाम तरह की बीमारियों का सबब अलग से बन जाते हैं।
लेकिन कबाड़ की तरह घर में जगह घेरने वाले पुराने टायरों से मुंबई के एक दंपति ने कुछ ऐसा ही कारनामा कर दिखाया है जिसे जानकर आप भी हैरान हो जाएंगे। एमबीए डिग्री धारी जे रेज और जोत्सना ने पादुक डॉट कॉम के नाम से एक ऑनलाइन फुटवेअर शोरूम की शुरुआत की, जहां खराब हो चुके टायर से बने जूते बिकते हैं।
सिर्फ बेकार टायर से बने फुटवेअर ही हैं बिकते
जे रेज ने पत्नी जोत्सना के साथ मुंबई के चेंबुर इलाके से ऑनलाइन फुटवेअर शोरूम की शुरुआत की और उन्होंने इस ऑनलाइन प्लैटफॉर्म का नाम पादुक्स (paaduks.com) रखा। कमाल की बात यह है कि इस प्लैटफॉर्म पर सिर्फ बेकार हो चुके टायर से बने फुटवेअर ही मिलते हैं। कई अलग रंग और डिजाइन में बने इन जूते-चप्पलों की काफी डिमांड बढ़ गई है। ऑनलाइन प्लैटफॉर्म के साथ कुछ स्टोर्स पर भी ये फुटवेअर आपको मिल सकते हैं।
यूं आया जूते बनाने का आइडिया
जे बताते हैं कि उन्होंने इंटरनेट पर पढ़ा था कि एक व्यापारी इंडोनेशिया से बेकार हो चुके टायर इम्पोर्ट करता है। और फिर उनका इस्तेमाल जूतों के सोल बनाने में करता था। सोल तैयार करने के बाद फिर उन्हें यूएस में बेचता था। हमें आइडिया बेहद पसंद आया और हमने भारत में ऐसा ही कुछ करने का फैसला लिया।’ जहां जूतों के सोल के लिए टायर कबाड़ी की दुकान से मिल जाते थे, वहीं जूते के अंदर और बाहर के डिजाइन के लिए कपड़ा और दूसरी चीजें हम लोकल मार्केट से खरीद लेते थे। और इन जूतों की कीमत हमने 399 रुपये से 1100 रुपये तक रखी।
शानदार और आरामदायक हैं जूतों का डिजाइन
पादुक्स में डिजाइन हेड कैरल कॉर्नेलियो ने बताया कि हमारे जूतों के डिजाइन मेल और फीमेल दोनों के लिए हैं। यहां तक कि हमारे जूते भारतीय पारंपरिक वेश के साथ और ज्यादा अच्छे दिखते हैं, उन्हें कैजुअल ड्रेस के साथ भी पहना जा सकता है। हम बेहद जल्द नया प्रॉडक्ट लॉन्च करने वाले हैं जो पूरी तरह ट्यूब और टायरों से बना है। इन सैंडल का बेस टायर से और स्ट्रेप ट्यूब से बनी है।’
फंडिंग के लिए नहीं की किसी से बात
पादुक्स की कोफाउंडर जोत्सना से जब इस स्टार्टअप की फंडिंग के बारे में पूछा गया तो उन्होंने बताया, ‘हमारे फुटवेअर न सिर्फ इको-फ्रेंडली होते हैं बल्कि वेस्ट मैनेजमेंट का भी अच्छा उदारण हैं। इस वेंचर को शुरू करने में हमने पूरी तरह अपना पैसा लगाया है। हमने बहुत सक्रिय तौर पर फंडिंग के लिए किसी से बात नहीं की, हालांकि आइडिया के लेवल पर हमने कई जगह बात की।’