
देश इस साल गर्मियों में 270 गीगावाट तक की अधिकतम बिजली की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है। केंद्रीय बिजली सचिव पंकज अग्रवाल ने कहा सरकार ताप बिजली संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाना अनिवार्य करेगी। खासकर आयातित कोयले का उपयोग करने वाले संयंत्र के लिए ऐसा किया जाएगा। देश 2024 में गर्मियों के दौरान 250 गीगावाट की अधिकतम बिजली मांग को पूरा कर सका था।
एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए, अग्रवाल ने बताया कि देश के थर्मल पावर प्लांटों में 51 मिलियन टन का पर्याप्त कोयला भंडार है, जो 21 दिनों तक बिजली पैदा करने के लिए पर्याप्त है। अगर हमें जरूरत पड़ी तो हम मांग को पूरा करने के लिए धारा 11 (बिजली कानून की) को लागू करेंग। धारा 11 के तहत सरकार को यह अधिकार मिल सकता है कि वह असाधारण परिस्थितियों में बिजली उत्पादकों को तय तरीके से संयंत्रों को संचालित करने के लिए निर्देश दे सके।
पिछले साल की शुरुआत में, बिजली मंत्रालय ने धारा 11 लागू की थी और मांग के अनुमानों को देखते हुए देश में बिजली की कमी से बचने के लिए आयातित कोयले का उपयोग करने वाले संयंत्रों को पूरी क्षमता से चलाने का आदेश दिया था।
इस अवसर पर उपस्थित केंद्रीय विद्युत मंत्री मनोहर लाल ने कहा कि वर्तमान में पर्याप्त घरेलू कोयला है और 2030 में देश की चरम बिजली मांग 335 गीगावॉट तक पहुंचने की उम्मीद है। विद्युत सचिव अग्रवाल ने बताया कि भारत ने 2024 में गर्मी के मौसम में 260 गीगावॉट की अनुमानित मांग के मुकाबले 250 गीगावॉट की चरम बिजली मांग को पूरा किया था। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि भारत इस साल गर्मियों में 270 गीगावॉट की बिजली मांग को पूरा करने के लिए तैयार है।
कोयला आधारित थर्मल प्लांटों के लिए ईंधन की सप्लाई के बारे में, मंत्री ने कहा कि बायोमास छर्रों के मिश्रण का अनुपात 1 अप्रैल, 2025 से मौजूदा पांच प्रतिशत से बढ़ाकर सात प्रतिशत किया जाएगा।
मंत्री ने कहा कि वर्तमान में आयातित कोयले का घरेलू कोयले के साथ मिश्रण लगभग एक प्रतिशत है, जो हमारे लक्ष्य के भीतर है। उन्होंने कहा, ‘‘कार्बन बाजार अगले साल के मध्य में परिचालन में आ जाएगा। मंत्री ने कहा, ‘हम 2026 के मध्य में घरेलू कार्बन बाजार शुरू करने जा रहे हैं। इससे देश में कार्बन क्रेडिट के व्यापार में मदद मिलेगी।’