
एलन मस्क के नेत्रत्व वाली इलेक्ट्रिक कार बनाने वाली कंपनी टेस्ला भारत में अपनी फैक्ट्री लगाने की योजना बना रही है। इसके लिए उसने टाटा मोटर्स के साथ बात-चीत शुरू कर दी है। अगर टेस्ला और टाटा साथ आते हैं तो इलेक्ट्रिक कार के क्षेत्र में बड़ा बदलाव आ सकता है। यह सब प्रधानमंत्री मोदी और एलन मस्क की अमेरिका में मुलाक़ात के बाद हो रहा है। टेस्ला चाहती है कि भारत सरकार इलेक्ट्रिक कारों पर लगने वाले आयात शुल्क में कमी करे ताकि उसके लिए भारत में कार बेचना आसान हो सके।
पुणे में टेस्ला के कारखाने पहले से हैं। उसके कई कल-पुर्जे बनाने वाली कंपनियाँ भी वह है। इसलिए कंपनी को महाराष्ट्र में अपना संयंत्र बनाना ज्यादा मुफीद लग रहा है।
महाराष्ट्र ही टेस्ला की पहली पसंद क्यों
महाराष्ट्र का पुणे शहर पहले से ही टेस्ला के लिए एक महत्वपूर्ण केंद्र है, जहां कंपनी का एक कार्यालय और कई सप्लायर मौजूद हैं। सरकारी अधिकारियों ने चाकन और चिखली में संभावित साइट्स का प्रस्ताव दिया है, जो पुणे के नजदीक हैं और प्रमुख ऑटोमोटिव हब के रूप में जाने जाते हैं। यहां मर्सिडीज-बेंज, टाटा मोटर्स, महिंद्रा एंड महिंद्रा, वोक्सवैगन और बजाज ऑटो जैसे बड़े मैन्युफैक्चरर मौजूद हैं।हालांकि, चर्चाएं अभी जारी हैं, और टेस्ला अंतिम निर्णय लेने से पहले कई चीजों पर विचार कर रहा है। एक अन्य वजह साइट की बंदरगाह से निकटता है, जो लॉजिस्टिक्स और निर्यात को सुगम बनाएगी। महाराष्ट्र सरकार इस मामले में सतर्क है, क्योंकि पहले वेदांता-फॉक्सकॉन सेमीकंडक्टर प्लांट और टाटा-एयरबस एयरक्राफ्ट प्रोजेक्ट जैसे बड़े प्रोजेक्ट्स अन्य राज्यों में चले गए थे। प्रतिस्पर्धा को देखते हुए, यह संभावना भी है कि टेस्ला किसी अन्य स्थान को चुन सकता है।
एलन ने ट्रम्प को दिया धोखा
एलन मस्क के इंडिया में टेस्ला की एंट्री को लेकर बढ़ाए गए कदम पर अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का बयान आया है। डोनाल्ड ट्रंप और टेस्ला के मालिक एलन मस्क हाल में अमेरिका के एक टेलीविजन प्रेजेंटर सीन हैनिटी को इंटरव्यू दे रहे थे। इसी दौरान डोनाल्ड ट्रंप ने कहा कि यदि एलन मस्क भारत में एक फैक्टरी लगाते हैं, तो ये हमारे साथ अनुचित…बहुत अनुचित होगा।
डोनाल्ड ट्रंप का ये बयान ऐसे समय आया है जब एलन मस्क को उनकी सरकार में काफी पावरफुल रोल दिया गया है। ट्रंप सरकार ने ‘डिपार्टमेंट ऑफ गवर्नमेंट एफिशिएंसी’ बनाया है, जिसका प्रमुख एलन मस्क को बनाया गया है। ये डिपार्टमेंट अमेरिकी सरकार के लगभग सभी विभागों की स्क्रूटनी कर रहा है और वहां हो रही धन की गड़बड़ी को उजागर करने और सरकारी खर्च को घटाने का काम कर रहा है।