कानपुर के पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक का लाइसेंस रद्द, खाताधारी परेशान, कैसे मिलेंगे पैसे

उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर में कार्यरत एक सहकारी बैंक को RBI ने बड़ा झटका दिया है। पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होने की वजह से RBI ने इसका लाइसेंस रद्द कर दिया। खास बात यह है कि RBI ने एक साल में लगातार चौथी बार किसी सहकारी बैंक पर कार्रवाई की है। इससे पहले भी तीन बैंकों को RBI के निर्देश पर बंद किया जा चुका है। इसमें सरदार दादा नाइक शिराळा सहकारी बैंक(महाराष्ट्र), इंडिपेंडेंस को-ऑपरेटिव बैंक (नासिक), मंथा अर्बन कोऑपरेटिव बैंक (महाराष्ट्र) शामिल हैं।
केंद्रीय बैंक के इस फैसले ने सहकारी बैंकों के खाताधारियों को परेशानी में डाल दिया है। लाज़मी है कि मन में अपनी जमा राशि को लेकर कई तरह के सवाल उठ रहे होंगे। अगर आपका भी किसी सहकारी बैंक में अकाउंट है तो ये खबर आपके लिए है।
सहकारी बैंकों के बंद होने की वजह
रिजर्व बैंक ने उत्तर प्रदेश के पीपुल्स को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड पर रोक लगाने के साथ ही इस बैंक को बंद करने का आदेश देते हुए उत्तर प्रदेश सहकारिता आयुक्त और सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को लिक्विडेटर नियुक्त करने का आदेश जारी किया है। वहीं, आरबीआई ने सहकारी बैंको को बंद करने की वजह को बताते हुए कहा, 'को-ऑपरेटिव बैंक की वित्तीय स्थिति ऐसी है कि वह जमाकर्ताओं को पूरा भुगतान करने की अनुमति नहीं दे सकता और अगर इसे जारी रखने की अनुमति दी गई तो लोगों का हित प्रभावित होगा।
खाताधारियों के पैसों का क्या होगा?
RBI ने आगे कहा कि लिक्विडेशन पर हर डिपॉजिटर DICGC एक्ट, 1961 के प्रावधानों के तहत डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉरपोरेशन (DICGC) से 5 लाख रुपये की मॉनिटरी सीलिंग की जमा सीमा तक डिपॉजिट इंश्योरेंस क्लेम प्राप्त करने का हकदार होगा। RBI ने ये भी बताया कि बैंक द्वारा जमा डेटा के तहत, 99 फीसदी से ज्यादा डिपॉजिटर डीआईसीजीसी से अपने डिपॉजिट की पूरी रकम पाने के लिए हकदार होंगे।
क्या होता है DICGC?
हाल ही में कैबिनेट ने डिपॉजिट इंश्योरेंस एंड क्रेडिट गारंटी कॉर्पोरेशन एक्ट (DICGC) संशोधन बिल को मंजूरी दे दी है। इसके तहत अब बैंक के बंद होने या डूबने की स्थिति में ग्राहकों की 5 लाख रुपए तक की रकम सुरक्षित रहेगी। साथ ही डिपॉजिटर्स को 90 दिन के भीतर ये रकम मिल जाएगी। डिपॉजिट गारंटी सिर्फ बैंक बंद होने की स्थिति में लागू होती है। अगर किसी जमाकर्ता के 4 लाख रुपए डिपॉजिट हैं तो नए प्रावधान के मुताबिक, उसे ये पूरी राशि बीमा कवर के रूप में वापस मिलेगी।
अगर 5 लाख रुपए से ज्यादा जमा हैं तो क्या होगा?
मान लीजिए किसी जमाकर्ता का बैंक में 10 लाख रुपए डिपॉजिट है। अगर बैंक किन्हीं कारणों से बंद होता है तो जमाकर्ता को 5 लाख रुपए बीमा कवर मिलेगा। यह राशि पहले सिर्फ 1 लाख रुपए थी। बता दें कि DICGC जमाकर्ता से इस बीमा पर कोई प्रीमियम सीधे तौर पर नहीं लेता। यह प्रीमियम बैंक ही भरते हैं।
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