देश के इन खास नागरिकों के द्वार तक आएंगे बैंक

एक उम्र के बाद किसी भी व्यक्ति का शरीर पहले जैसा प्रभावी नहीं होता है। उसकी कार्य करने की क्षमता में गिरावट होती है। जिसकी वजह से नौकरी पेशा लोगों को कम्पनियां रिटायरमेंट देती हैं। जिससे वह अपने जीवन के ढलते बसंतों को आराम से जी सके। लेकिन कई परिवार में वृद्धों व दिव्यांगों को वह सम्मान नहीं मिलता है। जो उन्हें इस अवस्था में जरुरी होता है। बुजुर्ग व दिव्यांग नागरिकों के परिजन उन्हें ओल्ड एज होम व अन्य शालाओं में रहने को मजबूर कर देते हैं। लेकिन रिजर्व बैंक ने उनका खास ख्याल रखने की योजना बनायी है।
रिजर्व बैंक ने वरिष्ठ व सामाजिक उपेक्षा के शिकार शारीरिक तौर पर अक्षम नागरिकों को भी सामान्य और आसान बैंकिंग सुविधा उपलब्ध कराने की सोची है। आरबीआई ने बैंकों से कहा है कि वह 70 वर्ष के बुजुर्गों व दिव्यांग नागरिकों को बैंक में लाइन लगाने के बजाय उन्हें उनके घर में ही बैंकिग सेवाएं प्रदान करें। बैंकों को ये सुविधा इसी वर्ष दिसम्बर से ही सुनिश्चित करनी होगी।
फ़िलहाल ये सुविधा देश के वरिष्ठ व दिव्यांग नागरिकों के लिए राहत की खबर है। जिससे उन्हें इस अवस्था में बैंक नहीं जाना होगा, जब उन्हें चलने फिरने में दिक्कत का सामना करना पड़ता है। आरबीआई ने इस घोषणा को लेकर एक नियमावली भी जारी कर दी है। जिससे इस साल के अंत तक बैंकों को अपने ऐसे ग्राहकों को ये सेवा देना ही होगा। आरबीआई ने इस सेवा को बैंक के लिए बुनियादी सेवा की तरह लेने को कहा है। इसके तहत बैंकों को कैश लेन-देन, चेकबुक और डिमांड ड्राफ्ट को ग्राहकों के घर तक पहुंचाना होगा।
रिजर्व बैंक की ओर से जारी की गयी अधिसूचना में कहा गया है कि यह देखने में आया है कि कई बार बैंक वरिष्ठ नागरिकों और अक्षम लोगों को शाखाओं में बैंकिंग सुविधाएं लेने से हतोत्साहित करते हैं। रिजर्व बैंक ने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों तथा शारीरिक रूप से अक्षम लोगों को बैंकों को बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने का समन्वित प्रयास करना चाहिए।
केंद्रीय बैंक की ओर से देश के तमाम बैंकों को कहा गया है कि वे 31 दिसंबर, 2017 तक शब्द और भावना के अनुरूप इन निर्देशों का क्रियान्वयन करें। बैंक शाखाओं और वेबसाइट पर इसका ब्योरा उपलब्ध कराया जाना चाहिए। इसके अलावा, बैंकों से कहा गया है कि वे ऐसे ग्राहकों से अपने ग्राहक को जानिये (केवाईसी) से संबंधित दस्तावेज और जीवन प्रमाणपत्र भी उनके घर जाकर लें।
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