
टोल भुगतान को सुव्यवस्थित करने, विवादों को कम करने और धोखाधड़ी पर अंकुश लगाने के लिए नेशनल पेमेंट्स कार्पोरेशन ऑफ इंडिया (एनपीसीआई) और सड़क परिवहन मंत्रालय ने
फास्टैग से जुड़े नियमों में कुछ बदलाव किया है। इसके तहत जिन भी यूजर्स के फास्टैग में लो बैलेंस, भुगतान में देरी या फिर फास्टैग ब्लैकलिस्ट होगा, उन पर अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा।
इस नियम को लागू करने के पीछे सरकार का उद्देश्य फास्टैग में होने वाली परेशानी के कारण टोल पर लगने वाली गाड़ियों की लंबी कतारों को कम करना है और यात्रा को सुविधाजनक बनाना है।
भारतीय राष्ट्रीय भुगतान निगम (एनपीसीआई) और सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने फास्टैग इकोसिस्टम में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव जारी किए हैं, जिसका लक्ष्य टोल भुगतान को सुव्यवस्थित करना, विवादों को कम करना और धोखाधड़ी पर अंकुश लगाना है। नया फास्टैग का नियम 17 फरवरी से लागू होगा।
विलंबित ट्राजैक्शन पर लग सकता है जुर्माना
अपडेटेड नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन (NETC) गाइडलाइन के अनुसार, यदि किसी ट्रांजैक्शन में देरी होती है और यूजर्स के फास्टैग अकाउंट में पर्याप्त बैलेंस नहीं है, तो टोल ऑपरेटर को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। हालांकि यदि अमाउंट काट लिया जाता है, तो यूजर्स शुल्क का विरोध कर सकते हैं, लेकिन केवल 15-दिन की अनिवार्य कूलिंग अवधि के बाद।
आज से फास्टैग के नए नियम लागू
आज यानी सोमवार से लागू होने वाले नए फास्टैग नियमों के तहत कम बैलेंस, देरी से भुगतान या ब्लैकलिस्टेड टैग वाले यूजर पर अतिरिक्त जुर्माना लगाया जाएगा। नए नियम उन यूजर को प्रभावित करेंगे जो भुगतान में देरी करते हैं या जिनके टैग ब्लैकलिस्टेड हैं।
यदि वाहन टोल पार करने से पहले 60 मिनट से अधिक समय तक फास्टैग निष्क्रिय रहता है और वाहन के टोल पार करने के 10 मिनट बाद तक निष्क्रिय रहता है तो लेनदेन अस्वीकार कर दिया जाएगा। सिस्टम ऐसे भुगतानों को अस्वीकार कर देगा।
तो देना पड़ेगा अतिरिक्त शुल्क
- इसके अलावा, टोल भुगतान को सुव्यवस्थित करने और विवादों को कम करने के लिए चार्जबैक प्रक्रिया और कूलिंग पीरियड के साथ-साथ लेनदेन अस्वीकृति नियमों में भी बदलाव किए गए हैं।
- नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, यदि वाहन के टोल रीडर से गुजरने के समय से 15 मिनट से अधिक समय के बाद टोल लेन-देन अपडेट होता है तो फास्टैग यूजर को अतिरिक्त शुल्क देना पड़ सकता है।
अपडेट किए गए राष्ट्रीय इलेक्ट्रानिक टोल संग्रह के दिशा-निर्देशों के अनुसार यदि लेनदेन में देरी होती है और यूजर के फास्टैग खाते में पर्याप्त शेष राशि नहीं है तो टोल ऑपरेटर को जिम्मेदार माना जाएगा। हालांकि, यदि राशि कट जाती है तो यूजर 15 दिन बाद शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इससे पहले, यूजर टोल बूथ पर अपने फास्टैग को रिचार्ज कर सकते थे और फिर आगे निकल सकते थे।