डेयरी प्रोडेक्ट को लेकर FSSAI ने बड़ा फैसला लिया है। अब बाज़ार में ए1 व ए2 के नाम से दूध, घी व मक्खन नहीं बिकेगा। FSSAI ने घी व दूध ही नहीं बल्कि सभी डेयरी प्रोडेक्ट पर रोक लगा दी है। FSSAI ने कहा ए1-ए2 का संबंध प्रोटीन से होता है। ई-कामर्स ऑपरेटर को निर्देश दिया गया है कि अपनी वेबसाइट से ए1-ए2 प्रोटीन से संबन्धित दावों को तुरंत हटा दें हालांकि ऑपरेटर को इस निर्देश के जारी होने कि तारीख से छह महीने के अंदर उपलब्ध प्री प्रिंटेड लेबल को समाप्त करने कि अनुमति है। लेकिन साथ ही ये भी कहा गया है कि इसके बाद ऑपरेटर को कोई और वक्त नहीं दिया जाएगा।
गौरतलब है कि बाज़ार और सोशल मीडिया पर ए2 का हवाला देकर हजारों रुपए किलो घी बेचा जा रहा है। इतना ही नहीं कोई दो हजार रुपये किलो बेच रहा है तो कोई तीन हजार रुपये किलो। घी ही नहीं और भी डेयरी प्रोडक्ट A2 दूध से बने होने का दावा करते हुए बेचे जा रहे हैं। लेकिन 21 अगस्त को फूड सेफ्टी स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI) ने इस पर रोक लगा दी है।
डेयरी उत्पाद कारोबार के जानकार बताते हैं कि विदेशी कंपनियां A-1 और A-2 प्रोटीन दूध या उसके उत्पादों की मार्केटिंग कर रही हैं। भारतीय खाद्य सुरक्षा मानक प्राधिकरण का कहना है कि A-1 और A-2 प्रोटीन की अलग-अलग संरचनाएं हैं। इसे बीटा कैसिइन के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में दूध या दूध से बने उत्पादों को विशिष्ट पहचान देने के लिए यह दावा करना कि A-1 और A-2 प्रोटीन युक्त दूध से उत्पाद तैयार किए जाते हैं, उपभोक्ता को गुमराह करने के समान है। खाद्य सुरक्षा मानक अधिनियम 2006 में किए गए प्रावधानों या उसके तहत निर्धारित प्रतिबंधों के अनुरूप नहीं है।
डेयरी एक्सपर्ट डॉ. दिनेश भोंसले ने एक तथाकथित चैनल को बताया कि गाय और भैंस के दूध में मौजूद प्रोटीन में कुछ हिस्सा बीटा केसिन होता है। लेकिन ये भी दो तरह का होता है। इसे सामान्य भाषा में इस तरह समझ सकते हैं कि जो बीटा केसिन गाय के दूध में होता है वो आसानी से हजम (पच) हो जाता है। लेकिन भैंस का दूध हजम करने में कुछ लोगों को परेशानी हो सकती है और हजम होने वाला बीटा केसिन भी खासतौर पर देसी नस्ल की गाय जैसे साहीवाल, गिर, राठी आदि में ही पाया जाता है।