बैंक के दिवालिया होने पर अब ग्राहकों को मिलेगा 5 लाख का बीमा कवर

बैंकों के दिवालिया होने पर अब ग्राहकों को 5 लाख से ज्यादा कि रकम मिल सकती है। इस बारे में केंद्र सरकार विचार कर रही है। पीटीआई की खबर के मुताबिक, वित्त मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने सोमवार को कहा कि सरकार जमा बीमा सीमा को मौजूदा 5 लाख रुपये से आगे बढ़ाने पर सक्रिय रूप से विचार कर रही है। इससे बैंक डूबने की स्थिति में ग्राहकों के जमा को सुरक्षा मिल सकेगी। वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू ने सोमवार को कहा, जमा बीमा और क्रेडिट गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) के तहत अभी प्रति बैंक प्रति जमाकर्ता को पांच लाख रुपये मिलते हैं।

हाल ही में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के संचालन पर सरकार ने रोक लगा दी है। बैंक का घोटाला सामने आने के बाद आरबीआई ने स्थिति सामान्य होने तक बैंक के संचालन पर रोक लगा दी। जिसके ग्राहकों को केवल पांच लाख रुपये तक की ही जमा राशि मिल पाएगी। भले ही ग्राहकों के बैंक खाते में पांच लाख रुपये से कितनी भी पूंजी पड़ी हो।
5 लाख रुपये बीमा की सीमा बढ़ाने के लिए वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अगुवाई में वित्तीय सेवा विभाग के सचिव एम नागराजू इस प्रस्ताव पर काम कर रहे हैं। जब सरकार से इस प्रस्ताव पर मंजूरी मिल जाएगी तो नए नियम का ऐलान कर दिया जाएगा।

जमा बीमा दावा तब शुरू होता है जब कोई ऋणदाता यानी बैंक डूब जाता है। पिछले कुछ सालों में, जमा बीमा और ऋण गारंटी निगम (डीआईसीजीसी) ऐसे दावों का भुगतान करता रहा है। यह निकाय अपने द्वारा दिए जाने वाले कवर के लिए बैंकों से प्रीमियम इकट्ठा करता है, और सहकारी बैंकों के मामले में अधिकांश दावे करने पड़ते हैं। पीएमसी बैंक घोटाले के बाद, 2020 में डीआईसीजीसी बीमा सीमा को 1 लाख रुपये से बढ़ाकर 5 लाख रुपये कर दिया गया था। आर्थिक मामलों के सचिव अजय सेठ ने कहा कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र आरबीआई की निगरानी में अच्छी तरह से विनियमित है और इस क्षेत्र के समग्र स्वास्थ्य को मजबूत बताया।

न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के मामले में क्या कहा गया

आर्थिक मामलों के सचिव कहा कि एक यूनिट में संकट से किसी को भी पूरे क्षेत्र पर संदेह नहीं करना चाहिए। नियामक का काम गलत संस्थाओं के खिलाफ कार्रवाई करना है। रिपोर्ट के मुताबिक, न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक के 1.3 लाख जमाकर्ताओं में से 90 प्रतिशत की पूरी रकम डीआईसीजीसी के तहत कवर होगी। बैंक में घोटाले का पता एक भौतिक निरीक्षण के दौरान चला, जिसमें पता चला कि पुस्तकों में दिखाए गए 122 करोड़ रुपये की नकदी गायब है। जांच में पता चला कि बैंक के वित्त महाप्रबंधक हितेश मेहता ने कथित तौर पर गबन की गई राशि का एक बड़ा हिस्सा एक स्थानीय बिल्डर को दे दिया था।

Zeen is a next generation WordPress theme. It’s powerful, beautifully designed and comes with everything you need to engage your visitors and increase conversions.