आपूर्ति बेहतर होने से भारतीय चीनी मिलें चालू सीजन में आसानी से 20 लाख टन चीनी निर्यात कर सकती है। उत्पादन बढ्ने और घरेलू बजार में चीनी की कीमतें गिरने से उद्धोग ने यह उम्मीद जताई है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोशिएशन के महानिदेशक दीपक बल्लानी ने कहा आपूर्ति उम्मीद से बेहतर दिख रही है। इससे सरकार को मिलों को 10 लाख या कुछ मिलियन टन चीनी निर्यात करने की अनुमति देनी चाहिए। सूखे के कारण गन्ने की पैदावार में कमी व उत्पादन प्रभावित होने से पिछले साल 2022-23 सीजन के लिए चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रशासन ने लगातार दूसरे सत्र के लिए चीनी निर्यात पर प्रतिबंध बढ़ा दिया है, क्योंकि भारत, जो दुनिया का सबसे बड़ा चीनी उपभोक्ता भी है, कम गन्ना उत्पादन की संभावना से जूझ रहा है। भारत का चीनी सत्र अक्तूबर में शुरू होकर अगले वर्ष के सितंबर तक चलता है। लाखों किसानों द्वारा पर्याप्त जल आपूर्ति और प्रतिस्पर्धी फसलों की घटती कीमतों से प्रोत्साहित होकर गन्ने की खेती का विस्तार करने के बाद भारत में 2024-25 सत्र में रिकॉर्ड मात्रा में चीनी उत्पादन होने की संभावना है।
बल्लानी ने कहा, चूंकि गन्ने की बुवाई मजबूत रही है, इसलिए अगले साल उत्पादन काफी मजबूत रहने की उम्मीद है। उन्होंने कहा, काफी अधिक उत्पादन की प्रत्याशा में, चीनी की कीमतों में गिरावट आई है, और कम से कम 10 से 20 लाख टन निर्यात की अनुमति से मिलों को कम कीमतों से जूझने में मदद मिलेगी।
भारत में चीनी की कीमतें पर्याप्त आपूर्ति के कारण 1 से 1/2 साल में अपने सबसे निचले स्तर पर आ गई हैं, जिससे मिलों के लिए किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान करना मुश्किल हो गया है। बल्लानी ने कहा कि चीनी की कीमतें मिलों की उत्पादन लागत 41,000 रुपये प्रति टन से काफी नीचे आ गई हैं। बल्लानी का अनुमान है कि सरकार द्वारा 20 लाख टन चीनी निर्यात करने की अनुमति के बावजूद, 1 अक्तूबर, 2025 को अगले सीजन की शुरुआत में हमारे पास 56 लाख टन का अधिशेष होगा।