मेक इन इंडिया : इसरो ने सेटेलाइट निर्माण में तेजी लाने को उठाया यह कदम

इसरो ने रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल (RFP) जारी करते हुए प्राइवेट इंडस्ट्रीज को मेक इन इंडिया में सहयोग करने के लिए सेटेलाइट्स के निर्माण में सहयोग करने की अपील की है। इसरो का लक्ष्य है कि वह आने वाले तीन बरसों में 30 से 35 सेटेलाइट्स का निर्माण करना चाहता है। इसके लिए इसरो ने चार से पांच इंडस्ट्रीज को चयनित किया है। साथ ही, इस प्रपोजल में शामिल होने वाली कंपनीज को लाभांश देने की योजना बनाई है।
प्राइवेट इंडस्ट्रीज ने भी की सराहना
इस संबंध में इसरो के सेटेलाइट सेंटर के डायरेक्टर डॉ. एम अन्नादुरई ने इसरो और फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर कॉमर्स के संयुक्त अंतरराष्ट्रीय सेमिनार को संबोधित करते हुए जानकारी दी है। शुरुआती बातचीत में कई इंडस्ट्रीज ने इसरो की इस पहल का स्वागत करते हुए उसके इस प्रपोजल की सराहना भी की है। इस सेमिनार को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इसरो के आरएफपी में प्राइवेट इंडस्ट्रीज को 30 से 35 सेटेलाइट्स के निर्माण में सहयोग करने के लिए आगे आने को कहा है। मेक इन इंडिया के अभियान में यह एक बड़ा कदम है। इसके लिए इसरो ने चार से पांच इंडस्ट्रीज को चयनित किया है। साथ ही, इस प्रपोजल में शामिल होने वाली कंपनीज को लाभांश देने की योजना बनाई है। इस प्रपोजल के मुताबिक, इसरो के साथ मिलकर वह इंडस्ट्रीज सेटेलाइट निर्माण के हर कदम में साझेदार बनेंगी। इसके लिए इसरो बंगलुरू स्थित 25 एकड़ जमीन पर स्पेस इंडस्ट्री पार्क का निर्माण करने के साथ ही वहां हरसंभव इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराएगा।
पांच दिसंबर को जारी करेंगे अंतिम प्रपोजल
इस बारे में जारी की गई जानकारी के मुताबिक, आगामी पांच दिसंबर, 2017 को इसरो कंपनियों की चयनित सूची को जारी कर सकती है। साथ ही, अपने अनुबंध की प्रक्रिया को नए साल की 5 जनवरी तक पूर्ण कर लेने का लक्ष्य रखा है। वहीं, इंडस्ट्रीज को पांच फरवरी तक उक्त अनुबंध को स्वीकार कर इस पर एमओयू साइन करने का समय दिया जाएगा।

तीन से चार बरसों में लॉन्च करेगा 58 सेटेलाइट्स
इस बारे में जानकारी देते हुए डॉ. अन्नादुरई ने बताया कि इसरो का लक्ष्य है कि वर्ष 2018 में वह तीन से चार सेटेलाइट लॉन्च करने की तैयारी कर रहा है। उन्होंने बताया कि इसरो की ओर से उठाया गया यह कदम कोई पहला प्रयास नहीं है। इससे पहले भी अल्फा डिजाइन तकनीक के जरिए एक पायलट प्रोजेक्ट के तहत दो सेटेलाइट का निर्माण किया जा चुका है। जो कि पूरी तरह से सफल रहा था। इस बारे में जानकारी देते हुए उन्होंने मीडिया को बताया कि इस प्रोजेक्ट का मकसद यही है कि प्राइवेट कंपनियों की क्षमता का प्रयोग करते हुए तकनीक को बढ़ावा दिया जाए। इसके साथ ही इसरो ने उम्मीद जताई है कि वह इस आरएफपी के तहत आने वाले तीन से चार बरसों में करीब 58 सेटेलाइट को लॉन्च कर सकता है। चूंकि, इसरो के कार्य करने की क्षमता सीमित है ऐसे में प्राइवेट इंडस्ट्रीज के सहयोग से वह तकनीकी रूप से देश के विकास में और ज्यादा भागीदारी कर सकता है।
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