नोट बैन से प्रॉपर्टी सस्ती होनी तय!, घर खरीदने वालों के आने वाले हैं अच्छे दिन

केंद्र सरकार द्वारा 500 और 1000 के नोट बैन किए जाने के बाद अभी भले ही लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। लेकिन जानकारों की मानें तो इससे अर्थव्यवस्था को नुकसान नहीं होने वाला है बल्कि कई जरूरी फायदे होने जा रहे हैं।
सबसे बड़ी बात तो ये कि इस समय लोग बैंकों में पैसे जमा करा रहे हैं जिससे कैश फ्लो बढ़ेगा और कर्ज भी सस्ता होगा जिसका सीधा असर महंगाई दर में कमी के रूप में देखा जाएगा।
घर खरीदने वालों के लिए बढ़िया मौका
जानकारों की मानें तो कैश फ्लो बढ़ने से कर्ज का सस्ता होना तय है जिससे होम लोन भी सस्ता होने के पूरे आसार हैं। आंकड़ों के मुताबिक फिलहाल देश की जीडीपी में रियल्टी सेक्टर का शेयर करीब 11 फीसदी है। आमतौर पर प्रॉपर्टी सौदों में टैक्स बचाने के लिए बड़ा लेनदेन नकद होता है। वर्ल्ड बैंक की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में एक तिहाई काला धन सिर्फ प्रॉपर्टी बाजार में है। अब नोटबंदी के बाद से ये नकद मार्केट 20% से 30% नीचे जाना तय है।
कुछ एक्सपर्ट्स बता रहे हैं कि दिल्ली एनसीआर में घरों की कीमत 30 पर्सेंट तक कम हो सकती है। हाल ही में खत्म हुए फेस्टिव सीजन में भी घरों की सेल्स कमजोर रही है। इस वजह से भी आने वाले वक्त में बिल्डर्स की तरफ से डिस्काउंट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है।
कुछ अन्य वजहों से भी बाजार का माहौल घर खरीदने वालों के लिए अच्छा हो गया है। इंटरेस्ट रेट में लगातार गिरावट आ रही है। इससे होम लोन सस्ता हुआ है। 2015 के बाद से इंटरेस्ट रेट में 1.25 पर्सेंट की गिरावट आ चुकी है। आगे भी इसमें कमी की उम्मीद की जा रही है। रियल एस्टेट (रेग्युलेशन ऐंड डिवेलपमेंट) ऐक्ट, 2016 में होम बायर्स के हितों की रक्षा के उपाय किए गए हैं। इस कानून से पारदर्शिता भी बढ़ेगी। इसमें बिल्डर्स के पजेशन में देरी करने पर भारी पेनल्टी का प्रावधान रखा गया है।
कालाधन खपाने वाले इस कारोबार से दूर होंगे
नोट बैन होने के बाद अब इस सेक्टर में कालाधन खपाने वाले यहां से दूर होने लगेंगे। अनुमान के मुताबिक ब्लैकमनी के जरिये इन्वेस्टमेंट के लिए 40% महंगे मकानों की बिक्री होती है। इससे रियलटी सेक्टर में घाटा दूर होगा और मकानों की कीमतें गिरेंगी। इसका असर अभी से शेयर मार्केट पर दिखाई दे रहा है और रियलटी सेक्टर के शेयरों में 20% तक की गिरावट देखी जा रही है। रियल एस्टेट सेक्टर के गिरने के बाद बैंक होम लोन को साढ़े आठ फीसदी तक कर सकते हैं। सरकार भी इस दिशा में कुछ कदम उठा सकती है और डाउन पेमेंट की सीमा को 10-15% से और कम किया जा सकता है।
व्हाइट मनी मार्केट में आएगी
जब कालाधन इन्वेस्ट करने वाले इस सेक्टर से बाहर हो जाएंगे तो इसके असली खरीदार और वाइट मनी मार्केट में आने लगेगी। अभी बिल्डर्स कीमत लोकेशन के हिसाब से तय करते थे लेकिन नोट बैन के बाद ये सब बदलने वाला है। मार्केट गिरेगा तो आने वाले वक्त में बिल्डर्स की तरफ से भी डिस्काउंट बढ़ाए जाने की उम्मीद की जा रही है। ब्लैकमनी कम होने से स्टांप ड्यूटी की चोरी रुकेगी। बता दें कि फिलहाल ज्यादातर लोग बिल्डर्स के साथ मिलकर 30 लाख के मकान को 20 लाख का बताकर रजिस्ट्री कराते हैं और बाकी के 10 लाख रुपए कैश में दे देते हैं। जिन्होंने ब्लैक में पैसा देकर कम पैसों की रजिस्ट्री कराई थी अब उनका मकान उसी कीमत में बिकेगा जितने की उसने रजिस्ट्री कराई है।
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