
सोने की कीमतों में लगातार उछाल देखने को मिल रहा है और यह ₹83,000 प्रति 10 ग्राम के पार पहुंच चुका है। इस तेजी के पीछे कई प्रमुख कारण जिम्मेदार हैं। आइए जानते हैं कि क्यों सोने की कीमतें बढ़ रही हैं और आगे बाजार का रुझान कैसा रह सकता है।
सोने की कीमतों में बढ़ोतरी के प्रमुख कारण
1. वैश्विक महंगाई की चिंता: अमेरिका की चीन, मैक्सिको और कनाडा पर लगाई गई टैरिफ नीतियों से महंगाई बढ़ने की आशंका है। ऐसे में निवेशक सोने को एक सुरक्षित निवेश विकल्प मान रहे हैं।
2. सेफ-हेवन डिमांड: वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता, भू-राजनीतिक तनाव और इक्विटी बाजार की अस्थिरता के कारण निवेशक सोने की ओर रुख कर रहे हैं।
3. केंद्रीय बैंकों की खरीदारी: दुनियाभर के केंद्रीय बैंक बड़ी मात्रा में सोने की खरीद कर रहे हैं, जिससे इसकी कीमतों में मजबूती बनी हुई है।
4. डॉलर इंडेक्स का असर: हाल ही में अमेरिकी डॉलर इंडेक्स 109 अंक के पार पहुंच गया है, जिससे सोने समेत कई कमोडिटी मार्केट प्रभावित हुए हैं।
5. आपूर्ति और मांग का संतुलन: प्रमुख बुलियन बैंक अपने सोने के भंडार को दुबई और हांगकांग से अमेरिका स्थानांतरित कर रहे हैं, ताकि वहां के वायदा बाजार में उच्च प्रीमियम का लाभ उठाया जा सके।
आगे क्या?
बाजार विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी अमेरिकी आर्थिक डेटा के आधार पर सोने की कीमतों में और उतार-चढ़ाव देखने को मिल सकता है। बुधवार (5 फरवरी) को एडीपी रोजगार रिपोर्ट और शुक्रवार (7 फरवरी) को गैर-कृषि पेरोल डेटा फेडरल रिजर्व की मौद्रिक नीति को प्रभावित कर सकते हैं।
मेहता इक्विटीज लिमिटेड के वीपी (कमोडिटीज) राहुल कलंत्री का कहना है, “वैश्विक अनिश्चितता और केंद्रीय बैंकों की खरीदारी के चलते सोने की तेजी बरकरार रह सकती है। भारत में सोने को ₹82,980-82,710 प्रति 10 ग्राम पर समर्थन मिल रहा है, जबकि ₹83,470-83,650 प्रति 10 ग्राम पर प्रतिरोध रहेगा।”
कामा ज्वेलरी के एमडी कॉलिन शाह ने कहा कि डॉलर इंडेक्स के बढ़ने से अल्पकालिक सुधार संभव है। उन्होंने कहा, “2025 तक सोने की कीमतें ट्रंप की व्यापार नीतियों और वैश्विक व्यापारिक फैसलों से प्रभावित होती रहेंगी।”
क्या यह सोने में निवेश का सही समय है?
विशेषज्ञों का मानना है कि निवेशकों को एकमुश्त निवेश करने के बजाय क्रमिक खरीदारी करनी चाहिए। लंबी अवधि के लिए सोने में निवेश करने वाले लोग गोल्ड ईटीएफ और सॉवरेन गोल्ड बॉन्ड का विकल्प चुन सकते हैं।
भौतिक सोना खरीदने की योजना बना रहे निवेशकों को मेकिंग चार्ज और स्टोरेज कॉस्ट को भी ध्यान में रखना चाहिए।
मौजूदा वैश्विक आर्थिक परिस्थितियों, मुद्रास्फीति और भू-राजनीतिक जोखिमों को देखते हुए सोने की कीमतों में मजबूती बनी रह सकती है, लेकिन बीच-बीच में सुधार की संभावना भी है। इसलिए निवेशकों को किसी भी निर्णय से पहले बाजार के रुझानों पर नजर बनाए रखनी चाहिए।