
मत्स्य पालन के साथ-साथ पर्ल फ़ार्मिंग (मोती की खेती) का बढ़ रहा चलन लघु उद्योग का रूप लेने लगा है। न्यूनतम लागत एवं कम मेहनत में ही मुनाफे का गणित ऐसा है कि देखा देखी इसके दायरे का विस्तार हो रहा है। हजारीबाग में देश का पहला पर्ल फ़ार्मिंग क्लस्टर खुला है। भुवनेश्वर में पहले से ही उसका प्रशिक्षण दिया जा रहा है जहां से डेढ़ हजार से अधिक प्रतिभागी प्रशिक्षण लेकर मोती कि खेती करने में जुटे है।
मोती की खेती की ट्रेनिंग
जाहिर है कि किसी भी काम को बेहतर ढंग से करने के लिए उस काम की सही ट्रेनिंग होना बेहद आवश्यक है। इसी प्रकार अच्छी क्वालिटी के मोतियों का उत्पादन लेने के लिए किसानों को भी मोती की खेती के बारे में सही जानकारी होनी चाहिये। सही ट्रेनिंग की मदद से सीपीयों की सही देखभाल और मोतियों का उत्पादन काफी हद तक बढ़ा सकते हैं। इसकी खेती के लिये कई सरकारी और प्राइवेट संस्थानों द्वारा ट्रेनिंग प्रोग्राम चलाये जाते हैं।
- मोती की खेती की ट्रेनिंग के लिये भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने अलग से संस्थान भी बनाया है, जिसका नाम सिफा यानी सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर है।
- भुवनेश्वर, उडीसा में स्थित इस संस्थान में कृषि विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों द्वारा मोती की खेती के लिए 15 दिन की प्रोफेशनल ट्रेनिंग दी जाती है।
- किसान चाहें तो मोती की खेती या इसकी ट्रेनिंग से जुड़ी अधिक जानकारी के लिए टोल फ्री नंबर- 91-11- 2584 3301 पर भी संपर्क कर सकते हैं।
इस तरह करें मोती की खेती
बता दें कि मोती को एक समुद्री जीव सीप से प्राप्त किया जाता है, लेकिन किसान तालाब में भी सीप को पालकर मोती उत्पादन कर सकते हैं। छोटे स्तर पर मोती की खेती शुरू करने के लिए 500 वर्गाकार फीट का तालाब या टैंक काफी रहता है। इस तालाब में करीब 100 सीपीयों को पालकर प्रति सीपी दो मोतियों का उत्पादन ले सकते हैं। मोती की खेती से बेहतर उत्पादन लेने के लिए सही ट्रेनिंग होना भी जरूरी है।
भारत में प्रत्येक वर्ष लगभग 22 हजार करोड़ रुपए के मोती का कारोबार होता है। इसमें लगभग 300 करोड़ रुपए के मोती का प्रति वर्ष आयात किया जाता है। भुवनेश्वर स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ फ्रेश वाटर एक्वाकल्चर के निदेशक पीके साहू बताते है कि भारत दुनिया का छठा बड़ा मोती आयात देश बन गया है। ज़्यादातर आयात चीन, जापान, बहरीन और थाईलैंड से किया जाता है। बिहार, ओड़ीशा, उत्तर प्रदेश, झारखंड, गुजरात, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, बंगाल, छत्तीसगढ़, केरल एवं राजस्थान में मोती की खेती ज़ोर पकड़ने लगी है।