92 साल बाद आम बजट में शामिल हुआ रेल बजट, होंगे ये फायदे...

आम बजट से 1924 में अलग हुआ रेल बजट 92 साल के बाद एक बार फिर आम बजट में शामिल हो गया है। केंद्रीय मंत्रिमंडल में रेल बजट को आम बजट में मिलाने के प्रस्ताव पर बुधवार (21 सितंबर) को मंजूरी मिल गई। केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक आज है जिसमें इस प्रस्ताव को हरी झंडी मिलने के साथ ही रेल बजट की 92 साल की पुरानी परंपरा समाप्त हो गई। अब अगले बजट में आम बजट के साथ ही रेल बजट पेश किया जाएगा।
इस प्रस्ताव पर रेल मंत्री सुरेश प्रभु पहले ही अपनी सहमति दे चुके थे। कैबिनेट की बैठक में प्रभु और रेलवे बोर्ड के चेयरमैन ए के मित्तल भी शामिल थे। सूत्रों के अनुसार सरकार संसद का बजट सत्र 25 जनवरी 2017 से पहले बुला सकती है। एक फरवरी को आम बजट पेश करने से एक दो दिन पहले आर्थिक समीक्षा पेश की जा सकती है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के अग्रिम अनुमान आंकड़े अब फरवरी के बजाय सात जनवरी को पेश किये जा सकते हैं। विभिन्न मंत्रालय अब व्यय की मध्यवर्षीय समीक्षा 15 नवंबर तक पूरी कर सकते हैं।
रेल बजट के विलय होने से फायदा
रेल बजट के आम बजट में विलय के बाद, रेलवे को वार्षिक लाभांश नहीं चुकाना पड़ेगा, जो कि अभी उसे सरकार द्वारा सकल बजटीय समर्थन के लिए चुकाना पड़ता है। कैबिनेट के फैसले के बाद रेलवे एक विभाग बन जाएगा जो व्यापारिक उपक्रम चलाता है, हालांकि इसकी अलग पहचान और काफी हद तक वित्तीय स्वायत्ता बनी रहेगी। अन्य उपक्रमों से रेलवे को अलग करने वाले प्रावधानों को खत्म कर दिया जाएगा। रेलवे को पूंजी खर्च करने के लिए आम बजट से बजटीय सहायता मिलती रहेगी। साथ ही रेल किराया बढ़ाने या ऐसे निर्णय की जिम्मेदारी वित्त मंत्रालय की होगी। ऐसे डिसिजन में रेल मंत्रालय की भूमिका नहीं होगी।
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