नेत्रहीनों को नौकरी देने के लिए इस नेत्रहीन ने छोड़ी नौकरी, आज हैंं एंप्लॉयर

प्राइवेट सेक्टर में तो आपने एंप्लॉयीज और एंप्लॉयर के बीच खींचतान के बारे में खूब सुना होगा। अक्सर ऐसी खबरें आती हैं सैलरी न बढ़ाने और छुट्टियों में कटौती की वजह से दोनों पक्ष में तकरार होती रहती है। यह तकरार कई बार कोर्ट तक पहुंचती है तो कभी एंप्लाई खुद नौकरी छोड़कर नई की तलाश में निकल जाता है। ऐसी ही एक घटना के बाद मिसाल बन चुके विकी मोदी की ये कहानी है।
कौन है विकी मोदी?
अहमदाबाद में मोबाइल कंपनी के एक कॉल सेंटर में काम कर रहे 23 साल के दृष्टिबाधित विकी मोदी ने इसलिए नौकरी छोड़ दी क्योंकि उनके साथी कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया गया था क्योंकि वो भी दृष्टिबाधित थे और इससे कंपनी को नुकसान हो रहा था। विकी ने नौकरी छोड़ने के बाद ब्लाइंड पीपल असोसिएशन (BPA) के तहत दृष्टिबाधितों को नौकरी देने के लिए इंटरव्यू किया। इस इंटरव्यू में विकी ने 5 लोगों को चुना और खुद एंप्लॉयर बन गए।

17 ब्लाइंड लड़के-लड़कियों का इंटरव्यू किया
ब्लाइंड पीपल असोसिएशन (BPA) द्वारा किए गए रिक्रूटमेंट ड्राइव में मोदी ने 17 ब्लाइंड लड़के-लड़कियों का इंटरव्यू किया जिन्हें कॉल सेंटर का अनुभव था। विकी ने फिलहाल तो 5 नेत्रहीनों को नौकरी देने का वादा किया और बचे हुए लोगों को कुछ दिनों में नौकरी देने को कहा है। मोदी ने बताया, 'इस साल अप्रैल में 40 नेत्रहीनों को एक मोबाइल कंपनी ने परफॉर्मेंस के आधार पर नौकरी से निकाल दिया था। यह न्यायपूर्ण नहीं था। उन्हें शुरुआत से ही कम सैलरी दी जा रही थी। मैंने रिजाइन कर दिया और अपना खुद का कॉल सेंटर खोलने का निर्णय लिया जहां में अपने जैसों को नौकरी दे सकूं।
मोबाइल कंपनी के लिए खोला कॉल सेंटर
विकी मोदी इस समय एक मोबाइल कंपनी के लिए कॉल सेंटर चला रहे हैं। मोदी को बीपीए के एक कमरे में कॉल सेंटर चलाने की इजाजत मिल गई। उनके पास 12 कंप्यूटर और सात एंप्लॉयीज हैं। पिछले कॉल सेंटर से निकाले गए जय सोलंकी को मोदी के कॉल सेंटर में जॉब मिल गई है। वह बताते हैं, 'हमें कम सैलरी मिल रही थी। मैं कुछ दिनों तक बेरोजगार था जिसके बाद मुझे विकी ने नौकरी दी।'
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