जानें बीएस-6 में क्या होंगी खूबियां, 31 मार्च को अलविदा हो जाएंगी बीएस-4 की गाड़ियां
देश में पहली अप्रैल से ऑटोमोबाइल सेक्टर में बहुत बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब मार्केट में स्टेज-6 (बीएस-6) पेट्रोल और डीजल की गाड़ियां मिलना शुरू हो जाएंगी। यानी 1 अप्रैल से मार्केट में स्टेज-4 (बीएस-4) की गाड़ियां मिलना बंद हो जाएंगी। बीएस-4 की गाड़ियों का रजिस्ट्रेशन पहली अप्रैल से परिवहन विभाग में नहीं होगा। फेडरेशन ऑफ ओटोमोबील डीलर एसोसिएशन की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने बीएस-4 मॉडल की गाड़ियों पर कुछ भी सुनने से मना कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, बीएस-4 स्टेट की गाड़ियों की बिक्री की सीमा को 31 मार्च से आगे बढ़ाने की दायर याचिका पर सुनवाई करने से साफ इनकार कर दिया।
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सुप्रीम कोर्ट के इंकार के बाद अब मार्केट में बीएस-4 स्टेट की गाड़ियों को कंपनिया सस्ते दामों पर निकाल रही है। टू-वीलर और कमर्शल वीइकल बनाने वाली कंपनियां और डीलर्स आने वाले दिनों में बीएस-4 मॉडल्स पर भारी छूट दे सकते हैं। मार्केट में ऐसी खबर आ रही है, इस समय 10,000 रुपए तक छूट चल रही है। यही नहीं, एजेंसी में महिला दिवस पर महिलाओं के लिए स्कूटर-एक्टिवा पर 15000 रुपए तक छूट दी गई थी। उम्मीद है कि बीएस-4 श्रेणी बाइक- स्कूटर जो 72 से 75 हजार में मिलते थे, अब 55-60 हजार में ही मिलें।
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बीएस-4 मॉडल को कंपनियां कर देगी बंद
देश में पहली अप्रैल से बीएस-4 वाहनों की बिक्री पूरी तरह से बंद हो जाएगी। देश में सिर्फ 31 मार्च के पहले पंजीकृत हुए बीएस-4 वाहनों को ही देश में चलाने की अनुमति मिलेगी। वाहनों से फैलने वाले प्रदूषण को कम करने के लिए सरकार ने ऐसा निर्णय लिया है। 31 मार्च के बाद पेट्रोलियम कंपनी बीएस-4 पेट्रोल और डीजल का उत्पादन बंद कर देगा। बीएस-4 वाहनों की बिक्री अप्रैल 2017 से शुरू हुई थी। ऐसा कहा जा रहा है कि बीएस-4 वाहनों से निकलने वाला जहरीला धुआं खतरनाक है। इन वाहनों से कार्बन मोनो ऑक्साइड, कार्बन डाइऑक्साइड, हाइड्रोकार्बन और नाइट्रोजन ऑक्साइड जैसे खतरनाक गैसें निकलती हैं। डीजल और डायरेक्ट इंजेक्शन पेट्रोल इंजन से पर्टिकुलेट मैटर यानि पीएम पैदा होता है। रिसर्च में पता चला है कि ईंधन में सल्फर की मात्रा 50 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम तक होता है। यही नहीं, बीएस-6 में यह 10 मिलीग्राम प्रति किलोग्राम होता है।
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बीएस-6 से बढ़ जाएगा माइलेज
पेट्रोलियम कंपनियों का दावा है कि बीएस-6 मॉडल आने के बाद माइलेज बढ़ गया है। अभी बीएस-4 पेट्रोल व डीजल में 50 पीपीएम (पाट्र्स प्रति 10 लाख) सल्फर मिला होता है, जिससे वाहनों में धुआं अधिक निकलता है। विशेषज्ञों का कहना है कि सल्फर की मात्रा अधिक होने की वजह से इंजन के अंदर कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन भी जमा हो जाता है, जिससे इंजन भी जल्दी खराब होता जाता है। वहीं, मार्केट में 1 अप्रैल से आने वाले बीएस-6 मॉडल में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम होगी। 10 पीपीएम होने की वजह से गाड़ियों में कार्बन मोनोऑक्साइड और हाइड्रो कार्बन की काफी कम मात्रा में जमा होगा। इससे प्रदूषण कम होगा और इंजन भी जल्दी खराब नहीं होगा। सल्फर की मात्रा कम होने से की वजह से पेट्रोल और डीजल भी कम जलेगा, ऐसा कहा जा रहा है इसकी वजह से एक लीटर पेट्रोल में दो से तीन किलोमीटर तक माइलेज बढ़ जाएगा।
आखिर क्या हैं बीएस वाहन
उत्सर्जन के मानक को लेकर बीएस मनाया गया है। मानकों को भारत सरकार द्वारा तय किया जाता है। इस उत्सर्जन मानक के जरिये मोटर वाहनों के कारण होने वाले वायु प्रदूषण की मात्रा की व्याख्या की जाती है। भारत स्टेज-6 (या बीएस-6) उत्सर्जन नियम 1 अप्रैल, 2020 से पूरे देश में प्रभावी होगा। भारत में सबसे पहले बीएस मानको की शुरुआत 2 से हुई थी। सबसे पहले भारत में बीएस-2 मानक आया। इसके बाद बीएस-4 का इस्तेमाल किया जाने लगा। जब बीएस-4 इंजन का प्रयोग शुरू हुआ, तब कहा गया था कि बीएस-3 मानक के मुकाबले बीएस-4 मानक वाले इंजन उत्सर्जन में भारी कमी लाएंगे। लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। ऐसा कहा गया था कि बीएस-3 मानक वाले इंजन के मुकाबले बीएस-4 वाले इंजन ज्यादा बेहतर होंगे।
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क्यों लिखी जाती है बीएस संख्या
अक्सर एक प्रश्न सबके मन में बनता है कि गाड़ियों के कागज पर आखिर बीएस क्यों लिखा जाता है और लोग बीएस-4 और 3 क्यों बोलते है। अभी तक मार्केट में बीएस-2 वाहन, बीएस-3 वाहन और बीएस-4 वाहन आ चुके हैं। आखिर इन संख्याओं का क्या मतलब होता है, इसके बारे में आपको हम बताते हैं। गाड़ियों के आगे लिखे जाने का मतलब है उत्सर्जन के बेहतर मानक, जो पर्यावरण के अनुकूल हैं। गाड़ियों का प्रदूषण भारत में मापने के लिए बीएस का इस्तेमाल किया जाता है। बीएस के आगे जितना बड़ा नंबर लिखा होता है उस गाड़ी से उतने ही कम प्रदूषण होने की संभावना होती है। देश में बीएस मानक केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड तय करता है। बीएस मानक इसलिए आवश्यक है ताकि देश में चलने वाली हर गाड़ी का मानको पर खरी उतरना होता है।
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24 अक्टूबर 2018 को दिया था आदेश
24 अक्टूबर 2018 को सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि 31 मार्च 2020 के बाद बीएस-4 वाहनों की बिक्री नहीं की जा सकती है। भारत में आटोमोबाइल निर्माताओं की दलील थी कि वे अंतिम समय सीमा खत्म होने के पहले बीएस-4 वाहनों का उत्पादन बंद कर देंगे, लेकिन अभी तक अपना स्टॉक खत्म करने के लिए छह महीने का ग्रेस पीरियड दिया गया। यही नहीं, कोर्ट ने उनकी दलील खारिज करते हुए कहा कि 31 मार्च 2020 के बाद न तो बीएस-4 वाहनों की बिक्री होगी और न ही उत्पादन किया जाएगा। अब 1 अप्रैल 2020 से ही देश में सिर्फ बीएस-6 गाड़ियों की बिक्री होगी। बीएस-6 गाड़ियों को लेकर केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्रालय ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया था। कोर्ट में पेट्रोलियम मंत्रालय ने अलग तरह की गाड़ियों के लिए डीजल की अलग कीमत रखने के सुझाव को अव्यवहारिक बताया था।
बीएस-6 के फायदे
- बीएस-4 के मुकाबले बीएस-6 में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन कम होगा।
- बीएस-6 से वायु प्रदूषण कम करने में मदद मिलेगी।
- बीएस 6 में प्रदूषण फैलाने वाले खतरनाक पदार्थ काफी कम हैं।
- डीजल इंजन में पर्टिकुलेट मैटर का स्तर भी 82 प्रतिशत कम रहेगा।
- बीएस-6 के मामले में नाइट्रोजन डाइऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड, सल्फर डाइऑक्साइड और पार्टिकुलेट मैटर के ग्रेड का डीजल मॉडल काफी अच्छा होगा।
- इसके फ्यूल में सल्फर की मात्रा 10 पीपीएम होती है।
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