
बारिश के जहां लोगों को गर्मी से राहत मिली है वहीं, दूसरी तरफ जेब का बोझ बढ़ गया है। दरअसल, भारी बारिश में आम जनता को महंगाई का करंट एक बार फिर लगा है। टमाटर, प्याज और आलू की बढ़ती महंगाई के बीच केंद्र सरकार ने इन तीनों की उपलब्धता और खेती को लेकर बड़ा दावा किया है। देश के ज्यादातर हिस्सों में टमाटर के दाम 130 रुपये तक पहुंच गए हैं। जबकि, प्याज 90 और आलू 80 रुपये पर पहुंच गया। ये आंकड़े उपभोक्ता मंत्रालय की वेबसाइट से लिए गए हैं। भारी बारिश के कारण कई जगह सब्जियां और फल खराब हो रहे हैं तो कई जगह यातायात प्रभावित होने के कारण सब्जियां पहुंच नहीं पा रही है। जिसके कारण सब्जियों के दाम बढ़ते जा रहे हैं। इन दिनों तीनों के दाम बढ़ रहे हैं और इससे उपभोक्ता परेशान हैं। जिससे सरकार की चिंता बढ़ी गई है। दरअसल, आलू, प्याज और टमाटर ऐसी कृषि उपज हैं जिनकी महंगाई बढ़ते ही उपभोक्ता त्राहि-त्राहि करने लगता है। हालांकि, बीते लोकसभा चुनाव में किसानों के मुद्दे पर सीटें कम होने का झटका झेलनी वाली सरकार अभी एक्सपोर्ट बैन का खेल नहीं खेलना चाहती, ऐसे में उसने उपभोक्ताओं को महंगाई से जल्द राहत मिलने का भरोसा दिलाने के लिए अच्छी बुवाई के आंकड़ों और स्टोरेज का जिक्र करना शुरू कर दिया है।
अभी कितनी और महंगी होंगी सब्जियां?
मौसम विभाग का अनुमान है कि जुलाई में बारिश सामान्य से ज्यादा रहने की संभावना है. ये लंबी अवधि के औसत का 106% से अधिक है। फिर भी, अब तक कम बारिश होने और जून में देश के बड़े हिस्से में लू चलने के कारण, कई जल्दी खराब होने वाली चीजों की कीमतों में बढ़ोतरी जारी है, क्योंकि उनकी बाजार में आवक गिरी है, इसका बड़ा असर टमाटर, प्याज और आलू जैसी प्रमुख सब्जियों की कीमतों में बढ़ोतरी के रूप में देखा जा रहा है।
मुंबई में प्याज और आलू की रिटेल कीमतें इस समय एक साल पहले के मुकाबले दोगुना हैं, जबकि टमाटर की कीमतें करीब 60% बढ़ी हैं। प्याज इस वक्त 50 रुपये प्रति किलोग्राम से ज्यादा के भाव पर बिक रहा है, जबकि मुंबई में टमाटर 80 रुपये प्रति किलो से ऊपर निकल गया है।
खरीफ प्याज का रकबा बढ़ाने का लक्ष्य
इस साल खरीफ सीजन के दौरान 3.61 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में प्याज की बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले साल की तुलना में 27 फीसदी अधिक है। बड़े खरीफ प्याज उत्पादक राज्य कर्नाटक में इस सीजन 1.50 लाख हेक्टेयर में बुवाई का लक्ष्य रखा गया है, जिसमें से 30 फीसदी रकबे में बुवाई पूरी हो चुकी है। अन्य प्रमुख उत्पादक राज्यों में भी बुवाई चल रही है।
बाजार में वर्तमान में उपलब्ध प्याज रबी-2024 की फसल है, जिसकी कटाई मार्च से मई 2024 के दौरान हुई है। रबी-2024 का अनुमानित उत्पादन 191 लाख टन है, जो प्रति माह लगभग 17 लाख टन की घरेलू खपत को पूरा करने के लिए पर्याप्त है। इस वर्ष रबी सीजन की फसल की कटाई के दौरान और उसके बाद शुष्क मौसम की स्थिति ने प्याज के भंडारण के दौरान होने वाले नुकसान को काफी कम किया है।
मंत्रालय का दावा है कि प्याज की कीमतें स्थिर हो रही हैं, क्योंकि किसानों द्वारा बाजार में रबी सीजन के प्याज की आवक की मात्रा बढ़ाई जा रही है। इसका कारण कीमतों में वृद्धि और मॉनसून की बारिश की शुरुआत है। क्योंकि बारिश की वजह से हुई नमी भंडारण में प्याज को होने वाले नुकसान की संभावना को बढ़ा देती है।
आलू का क्षेत्र बढ़ाने का लक्ष्य
रही बात आलू की तो यह मूल रूप से रबी सीजन की फसल है। लेकिन कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, मेघालय, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में कुछ मात्रा में खरीफ सीजन के आलू का भी उत्पादन होता है। सितंबर से नवंबर के दौरान कटाई की जाने वाली खरीफ आलू की फसल बाजार में आलू की उपलब्धता को बढ़ाती है। इस साल खरीफ सीजन के आलू के तहत रकबा पिछले साल के मुकाबले 12 फीसदी बढ़ाने का लक्ष्य है।