15 हजार खर्च कर खेती से 1 लाख रुपये कमाते हैं अंबिका

कभी अफीम और पिपरमिंट की खेती के लिए मशहूर बाराबंकी को इन दिनों एक किसान ने सह फसली खेती के जरिए चर्चा में ला दिया है।
पहले किसान मोटे अनाजों को ही अपनी आय का एक मात्र जरिया मानते थे लेकिन बाराबंकी के अम्बिका प्रसाद रावत ने आलू, लौकी व टमाटर जैसी सह फसली खेती को कमाई का जरिया ही नहीं बनाया है बल्कि दूसरे किसानों के लिए एक मिसाल भी कायम की है।
लौकी के साथ उगाएं टमाटर
अम्बिका प्रसाद बताते हैं कि लौकी की फसल वर्ष में तीन बार उगाई जाती है। जायद की बुवाई मध्य जनवरी, खरीफ मध्य जून से प्रथम जुलाई तक और रबी की बुवाई सितम्बर अन्त और अक्टूबर के पहले सप्ताह तक की जाती है। जायद की अगेती बुवाई के लिए मध्य जनवरी के लगभग लौकी की नर्सरी की जाती है। नर्सरी लगभग 30 से 35 दिनों में तैयार हो जाती है।
जिसके लिए मिट्टी को भुरभुरी करके एक मीटर चौड़ी क्यारी में जैविक खाद मिला कर तैयार की जाती है। अम्बिका आगे बताते हैं कि नर्सरी तैयार हो जाने पर 10 से 12 फीट पर पक्तियां बनाई जाती हैं। जिसमें पौधे से पौधे की दूरी एक फीट रखी जाती है जिससे टमाटर की खेती भी आसानी से की जा सके।
छोटी लागत और मुनाफा एक लाख
कस्बा बेलहरा के किसान शोभाराम मौर्य बताते हैं कि लौकी की खेती के लिए एक एकड़ में लगभग 15 से 20 हजार की लागत आती है और एक एकड़ में लगभग 70 से 90 कुन्तल लौकी का उत्पादन हो जाता है बाजारों में भाव अच्छा मिल जाने पर 80 हजार से एक लाख रुपए का शुद्ध आय होने की सम्भावना रहती है।
वह आगे बताते हैं कि रबी के मौसम में लौकी की खेती जो सितम्बर-अक्टूबर में होती है इसमें केवल हाईब्रिड बीज का प्रयोग किया जाता है जिससे जाड़ों के दिनों में भी अच्छा उत्पादन होता रहता है”।
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