पुरानी इलेक्ट्रिक कारें और पेट्रोल-डीजल से चलने वाली पुरानी छोटी कारों पर जीएसटी बढ़ाने की तैयारी है। जीएसटी दरों से जुड़ी फिटमेंट कमेटी ने पुरानी छोटी कारों और पुरानी इलेक्ट्रिक कारों की बिक्री पर जीएसटी दर बढ़ाने की सिफ़ारिश की है। 21 दिसंबर को जैसलमर में आयोजित होने वाली जीएसटी काउन्सलिंग की बैठक में इस पर फैसला किया जा सकता है।
इलेक्ट्रिक वाहनों पर प्रभाव
इसके अलावा, इलेक्ट्रिक वाहनों पर भी बदलाव हो सकता है। वर्तमान में, नए इलेक्ट्रिक वाहनों पर 5% जीएसटी लगता है, ताकि इस क्षेत्र में ग्रोथ को बढ़ावा दिया जा सके। लेकिन सेकेंड-हैंड ईवी पर अगर 18% जीएसटी लागू किया जाता है, तो यह इन वाहनों को और भी महंगा बना सकता है। खासकर उन ग्राहकों के लिए यह एक बड़ा झटका हो सकता है, जो सस्ते में सेकेंड-हैंड ईवी खरीदने का विचार कर रहे हैं। इस बदलाव से सेकेंड-हैंड ईवी वाहनों की बिक्री कम हो सकती है, और यह मार्केट के आकर्षण को भी प्रभावित कर सकता है।
पुरानी गाड़ियों की मरम्मत
इससे पहले से ही, सेकेंड-हैंड वाहनों के मरम्मत और रखरखाव के लिए इस्तेमाल किए जाने वाले इनपुट पार्ट्स और सर्विसेज पर 18% जीएसटी लागू होता है। इसका मतलब यह है कि पहले से ही इन वाहनों की रखरखाव लागत में बढ़ोतरी हो चुकी है। यदि जीएसटी दर बढ़ाई जाती है, तो यह और भी अधिक महंगा हो सकता है, जिससे इन वाहनों की कुल कीमत में और इजाफा होगा। इस बदलाव से सेकेंड-हैंड वाहनों के खरीदारों की संख्या में गिरावट आ सकती है, और वाहन की बिक्री पर इसका नकारात्मक असर हो सकता है।
जीएसटी दरों का मौजूदा ढांचा
अभी जो जीएसटी दरें लागू हैं, उनमें 1200cc या उससे अधिक की इंजन क्षमता वाले पेट्रोल, LPG और CNG से चलने वाले वाहनों पर 18% जीएसटी लगता है। इसी तरह, 1500cc या उससे अधिक इंजन क्षमता वाले डीजल वाहनों पर भी 18% जीएसटी है। इसके अलावा, 1500cc से अधिक इंजन क्षमता वाली स्पोर्ट्स यूटिलिटी व्हीकल्स पर भी 18% जीएसटी लागू है। ऐसे में, अगर सेकेंड-हैंड वाहनों पर जीएसटी दर बढ़ाई जाती है, तो यह इन वाहनों के लिए मौजूदा टैक्स ढांचे के अनुरूप हो सकता है। हालांकि, यह बदलाव सेकेंड-हैंड इलेक्ट्रिक वाहनों के बाजार के लिए मुश्किलें खड़ी कर सकता है, क्योंकि इससे उनका आकर्षण कम हो सकता है।