युवाओं को गांवों की तरफ लौटने को प्रेरित कर रहे हैं उत्तराखंड के रितेश गर्ग

अगर आज के युवा से कहा जाय कि वो शहर में रहकर कोई नौकरी करना पसंद करना चाहेगा या अपने गांव में ही रहकर किसी बिजनेस में हाथ आजमाएगा, तो शायद ज्यादातर युवा शहर जाना ही पसंद करेंगे। शहर की चकाचौंध युवाओं को आकर्षित तो करती है लेकिन वही चकाचौंध कब घुप अंधेरे में बदल जाती है पता ही नहीं चलता, और वो पूरी जिंदगी उसी अंधेरे में गुजार देता है।
हम आपको आज एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जिसका आईएएस क्वालीफाई करने के बाद बैंक पीओ के लिए भी चयन हो गया लेकिन वह नहीं गए। उनका मन अपने प्रदेश (उत्तराखंड) के लिए कुछ करने का था। इसलिए, बनारस हिंदू विश्वविद्यालय से एमबीए की डिग्री हासिल की। अपने तय मकसद के हिसाब से ‘आई फॉर नेशन फाउंडेशन’ की स्थापना की।
आज वो युवाओं को प्रेरणा देते हुए उनके लिए स्टार्टअप खोलने के रास्ते तैयार करते हैं। रुड़की के मंगलौर निवासी रितेश गर्ग का मानना है कि उन्नति और नौकरी के लिए अपने गांव को छोड़ने की जरूरत नहीं है। गांव में रहकर ही हम बहुत कुछ कर सकते हैं, वो दुनियाभर में लोगों को गांव की ओर वापस आने और वहां काम करने को प्रेरित करते हैं। इसके लिए उन्हें कई अवॉर्ड से सम्मानित भी किया जा चुका है। आज उनसे प्रेरणा लेकर 35 से ज्यादा लोगों ने अपने स्टार्टअप्स शुरू किए हैं।
चलाते हैं 'युवा प्रेरणा यात्रा'
तीन साल पहले रितेश गर्ग ने युवा प्रेरणा यात्रा शुरू की। सात दिन की यह खास यात्रा अपने साथ 100 सदस्यों को लेकर जाती है और उन्हें गांव-गांव में जागरुकता बढ़ाने के साथ ही खुद के उद्यम चला रहे लोगों से मिलवाया जाता है। हर साल 'आई फॉर नेशन फाउंडेशन' की ओर से तीन अप्रैल को दून विश्वविद्वालय से युवा प्रेरणा यात्रा शुरू होती है। इस यात्रा में सिर्फ वो लोग शामिल होते हैं, जिनके अंदर कुछ करने की क्षमता हो। खास बात यह है कि 100 सदस्यों वाली इस यात्रा में आईआईटियन से लेकर निरक्षर ग्राम प्रधान तक शामिल होते हैं। इस यात्रा में लोगों को कारोबार शुरू करने से संबंधित सारी जानकारी दी जाती है।
कहां से मिला इसका आईडिया
रितेश ने 'टाटा जागृति यात्रा' में ऑपरेशनल मैनेजर के तौर पर काम किया, जहां उन्हें क्षेत्रीय लोगों की समस्याओं और मुद्दों को जानने का मौका मिला। आपको बता दें, टाटा ग्रुप नए उद्यमियों को लेकर हर साल 'टाटा जागृति यात्रा' का आयोजन करती है, इसके बाद इसी तर्ज पर रितेश ने युवा प्रेरणा यात्रा चलाने का फैसला किया। उन्होंने तय किया कि यह यात्रा वो अपने प्रदेश में चलाएंगे। उन्हें एक बात समझ आ गई कि अगर क्षेत्रीय संसाधनों और युवाओं को मिला दिया जाए तो उससे बहुत बड़े बदलाव किए जा सकते हैं और कई क्षेत्रीय समस्याओं को सुलझाया भी जा सकता है।
उनके साथ अगर यात्रा पर जाना चाहते हैं तो यहां जाकर आप रजिस्ट्रेशन करा सकते हैं। इस टीम में 100 लोगों का रजिस्ट्रेशन होगा।
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