ये कश्मीर है... स्टार्टअप के लिए घाटी को जन्नत बना रही है यह युवती

कश्मीर के बारे में आप क्या जानते हैं? पुराने लोगों से पूछा जाय तो वो इसे जन्नत कहेंगे जबकि आजकल के लोग इसे आतंकवाद से जोड़कर देखने लगे हैं। पिछले साल कुछ लोगों ने युवा हिजबुल मुजाहिदीन के आतंकी बुरहान वानी के मारे जाने पर मार्च निकालकर उसे 'पोस्टरबॉय' तक बना दिया। लेकिन हम आपको बताने जा रहे हैं, इसके अलावा भी कश्मीर की पहचान है, जो लोगों तक नहीं पहुंची है।
कश्मीर की ताकत है, वहां पर आज का युवा। जो जमाने के साथ कदम से कदम मिलाकर चलने का तैयार है। ढेर सारी अनिश्चितताओं के बीच वहां का युवा तेजी से आगे बढ़ रहा है। कभी कोई आईएएस में टॉप कर रहा तो वहां के बच्चे नेशनल और इंटरनेशनल लेवल पर देश का नाम रौशन कर रहे हैं। हम आज बात कर रहे हैं कश्मीर की रहने वाली 26 साल की युवा तबिश हबीब की।
कौन है तबिश हबीब?
26 साल की ग्राफिक डिजाइनर तबिश हबीब इस समय अपने बिजनेश प्लान और नए बिजनेसमैन को कैसे बेहतर मौका मिले इसके लिए सोशल मीडिया पर छाई हुईं हैं। तबिश ने कश्मीर घाटी को स्टार्टअप हब बनाने का सपना देखा और आखिरकार 5 मार्च को उनका यह सपना साकार भी हो गया। उन्होंने श्रीनगर में पहला को-वर्किंग स्पेस 'थिंकपॉड' लॉन्च किया है।
क्या है हबीब का 'थिंकपॉड'?
अपने इस वेंचर पर फोकस करने से पहले हबीब 6 साल दिल्ली में बतौर ग्राफिक डिजाइनर जॉब कर चुकी हैं। वह अपने प्रोजेक्ट को युवाओ को हौंसला देने वाले एक प्रेरक के रूप में देखती हैं। हबीब कहती हैं 'हम रेग्युलर बिजनस लोन प्रोवाइड कराने वाले बैंकों के बजाय अपने स्टार्टअप के लिए नए इंवेस्टर्स की तलाश में लगे। यह आइडिया घाटी के लिए एकदम नया है। हम अपने इस सेंटर को केवल को-वर्किंग स्पेस के तौर पर रन नहीं करना चाहते बल्कि युवाओं को इंस्पायर करने वाले एक प्रेरक के रूप में डिवेलप करना चाहते हैं। ताकि वह यहां आएं, बैठें और बिजनस आइडिया शेयर करें।'
हम सरेंडर तो नहीं कर सकते
तबिश हबीब के इस थिंकपॉड में 36 वर्क स्टेशन के साथ ही अलग मीटिंग हॉल और कैफेटेरिया भी है। आने वाले वक्त में हबीब यहां एक लाइब्रेरी भी शुरू करना चाहती है। हबीब के अनुसार 'अपने बिजनेस प्लान की सफलता को लेकर मैं उस वक्त आश्वस्त हो गई, जब एक ही दिन में मेरे पास स्पेस के लिए 86 ऐप्लिकेशंस आईं।' घाटी के हालातों को याद करते हुए हबीब कहती हैं 'मैं जानती हूं कश्मीर में कोई भी बिजनेस चलाना आसान नहीं है। फिर भी, हम हालातों के आगे सरेंडर तो नहीं कर सकते।'
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