...तो इसलिए मुलायम सिंह को नहीं पसंद है कांग्रेस का साथ

सपा को कांग्रेस का साथ सपा को भा रहा हो लेकिन उनके संरक्षक मुलायम सिंह यादव को नहीं भा रहा है। मुलायम बार-बार यह कह रहे हैं कि अखिलेश अकेले ही जीत रहे थे तो फिर कांग्रेस का साथ लेने की क्या जरूरत थी। अब तक अखिलेश को आगे बढ़ाने के लिए भले ही मुलायम ने ड्रामा खेला हो लेकिन इस बार उनकी आह दिल से निकली है। टीस जो वर्षों पहले दब गई थी अब एक बार फिर उभर आई है।
दरअसल मुलायम सिंह यादव आज भी प्रधानमंत्री बनने का सपना देखते हैं। यह सपना तब ही पूरा हो सकता है जब कांग्रेस सपा से दूर रहे। अखिलेश ने यूपी में सरकार तात्कालिक तौर पर राहुल को साथ लिया है लेकिन राहुल और कांग्रेस की नजर इस विधान सभा से ज्यादा वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव पर है। अखिलेश के साथ साझा प्रेस वार्ता के दौरान राहुल के नपे तुले शब्द बहुत मायने रखते हैं।
प्रधानमंत्री मोदी के खिलाफ राहुल ज्यादा मुखर
मुलायम सिंह यादव को गठबंधन सरकार का अनुभव है इसलिए वह जानते हैं कि कांग्रेस इस समर्थन की पूरी कीमत वसूल करेगी। लोकसभा चुनाव में अभी समय है और कांग्रेस यूपी में अपने पैर फिर से जमा कर दिल्ली की ओर बढ़ेगी। ऐसे में मुलायम सिंह यादव के हाथ कुछ नहीं लगेगा। आने वाले समय में मोदी के खिलाफ राहुल की स्थिति बेहतर होती जायेगी। ऐसे में मुलायम सिंह यादव कभी नहीं चाहेंगे कि कांग्रेस कहीं भी और कभी भी मजबूत हो। अखिलेश यादव जहां यूपी देख रहे हैं वहीं मुलायम की नजर दिल्ली पर है।
राष्ट्रपति के चुनाव में भी अहम भूमिका निभायेगी सपा
मुलायम सिंह यादव यह भी चाहते हैं कि आने वाले राष्ट्रपति चुनाव में उनकी अहम भूमिका हो। राष्ट्पति चुनाव के सहारे मुलायम केन्द्र की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं। वर्ष 2012 के राष्ट्रपति चुनाव में भी मुलायम ने सक्रियता दिखाई थी और पूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम का नाम चलाया था। ममता भी मुलायम के पक्ष में थी लेकिन बाद में दोनों ही कलाम के नाम पर पलट गये। अब कुछ महीने बाद राष्ट्रपति चुनाव है और मुलायम विपक्ष के उम्मीदवार के रूप में सामने आ सकते हैं लेकिन कांग्रेस उनकी राह में सबसे बड़ी रोड़ा है।
मुलायम के नेतृत्व में फिर खड़ा हो सकता है तीसरा मोर्चा
मुलायम सिह यादव चुकने वाले नेता नहीं हैं। अखिलेश यादव भी कई मौकों पर कह चुके हैं कि वह नेताजी यानी मुलायम को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। लेकिन अखिलेश यादव के अचानक बदले तेवर से मुलायम सिंह बेचैन हो उठे हैं। कुनबे के ड्रामें में मुलायम ने कभी भी कार्यकर्ताओं से अखिलेश का विरोध करने की बात नहीं की लेकिन इस बार वह खुलकर अखिलेश का विरोध कर रहे हैं।
मुलायम को केन्द्र में अभी भी तीसरे मोर्चें की उम्मीदे हैं। जनता परिवार को फिर से एक करने में मुलायम को महारथ हासिल है। आने वाले समय में मुलायम या कहें सपा के नेतृत्व में तीसरा मोर्चा बन सकता है। कांग्रेस राहुल की कीमत पर कभी भी मोर्चे का साथ नहीं देगी यह तय है। कह सकते हैं कि कांग्रेस ही मुलायम की राह का बड़ा रोड़ा है।
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