अबकी बार सबकी सरकार भाजपा सरकार: केशव प्रसाद मौर्य

बीते 15 सालों से उत्तर प्रदेश में राज करने वाली सपा, बसपा सरकारों ने सिर्फ राग द्वेष प्रतिशोध, भ्रष्टाचार बढ़ाने का कार्य किया है। इन दोनों दलों ने अपनी सरकार बनने पर विरोधियों के उत्पीड़न के हर संभव तरीके आजमाए हैं।
जैसे बसपा शासन काल में यादव एवं अन्य सपा समर्थक अधिकारियों कर्मचारियों को निलंबित करना खराब पोस्टिंग पर रखना। उनके द्वारा बनाई गई योजनाओं को बाधित करना। उसी प्रकार सपा शासन में दलित एवं अन्य बसपा समर्थकों को उत्पीड़न एवं उनकी उनकी योजनाओं को बाधित करना जगजाहिर है। इसका एक उदाहरण लखनऊ के गोमती नगर में बने अंबेडकर पार्क, लोहिया पार्क एवं जनेश्वर मिश्र पार्क हैं।
सपा सरकार में काशीराम पार्क, जनेश्वर मिश्र में बदल जाता है। अंबेडकर पार्क साफ-सफाई के अभाव में जंगल में बदलने लगता है। उसमें लगी लाइट खराब कर दी जाती है। वही बसपा की सरकार में लोहिया पथ का नाम बदलने का प्रयास होता है। लोहिया पार्क अनुरक्षण के आभाव में बदहाल हो जाता है। सपा सरकार में छात्राओं को दी जाने वाली साइकिलें, छात्रवृत्ति, विवाह सहायता राशि अपने वोट बैंक को ध्यान में रखकर भेदभाव पूर्वक वितरित किया जाता रहा है। बसपा सरकार की लगभग सभी योजनाएं वोट बैंक की राजनीति के आधार पर भेदभावपूर्वक बनाई जाती रही है।
वहीं भाजपा की चाहे राज्य सरकार हो या केंद्र सरकार, हमारी सारी योजनाएं संपूर्ण समाज के विकास पर आधारित होती है। हमने कभी वोट बैंक आधारित या अपने विरोध पर आधारित योजनाएं नहीं बनाई। एक उदाहरण स्परूप प्रधानमंत्री की उज्जवला गैस योजना हो या जनधन योजना, सभी योजनाएं संपूर्ण समाज के लिए बिना भेदभाव के लागू की गई है।
अखिलेश सरकार के विकास का सच
वर्तमान की अखिलेश सरकार अपने कुछ प्रोजेक्ट्स के माध्यम से अपनी विकास परम छवि बनाने में लगी है जबकि पीछे का सच कुछ और ही है। जिस आगर-लखनऊ एक्सप्रेस वे की बढ़-चढ़ कर बात हो रही है। इसके पीछे का सच यह है कि इसकी लागत एनएचआई की लागत से दुगुनी रखी गई एवं निर्माण में अधिग्रहण भूमि के मुआवजे से कुछ सामान्य वास्तविक भूमि मालिकानों को छोड़ ज्यादा तर जमीन सड़क निर्माण के पूर्व औने-पौने दाम में किसानों से क्रय कर बाद में चार गुना मुआवजा लेने वाले लोग कोई और नहीं अखिलेश जी के इर्द-गिर्द के कुछ संगी साथी एवं उनकी युवा टीम के सदस्य है। ये बात खुद उनके राष्ट्रीय अध्यक्ष मुलायम सिंह एवं प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव ने अनेकों बार सार्वजनिक मंचों से उनकी उपस्थिति में भी कहा है। शिवपाल द्वारा सपा से निष्कासित रामगोपाल के एमएलसी भांजे अरविंद यादव ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में 4 करोंड़ मुआवजे की बात स्वंय कही है। बाकी बेनामी कितने सौदे हुए होंगे ये कल्पना की जा सकती है।
सपा के राज्य में बह रही है भ्रष्टाचार की गंगा
फिर अखिलेश सरकार के अन्य ड्रीम प्रोजेक्ट में जनेवश्वर मिश्र पार्क जे पी सेंटर गोमती रिवर फ्रंट सी जी सिजी लखनऊ मेट्रो ये सब लखनऊ में स्थित है। शायद लखनऊ के विकास से पूरे प्रदेश का विकास बताना चाहते हैं। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा ही इन योजनाओं में से ज्यादातर का निर्माण एक ही कंपनी कर रही है। और उसके मालिकान सपा के वही राज्यसभा सदस्य हैं जिन्हें नामित एमएलसी बनाने से अहर्ता न होने के कारण महामहिम राज्यपाल ने मना कर दिया था। इन योजनाओं में भ्रष्टाचार की गंगा नहीं समुद्र बहा है जैसे- जनेश्वर मिश्र पार्क के बाहर साइकिल ट्रैक पर लगी 1-1 लाइट की कीमत 1.42 लाख है, 20 किमी के गोमती रिवर फ्रंट के विकास के नाम पर 3000 करोड़ से ज्यादा व्यय किया गया है। जिससे शायद पूरे प्रदेश की लंबाई में एक बड़ी पक्की सिंचाई नहर बनाई जा सकती है। जे पी सेंटर की लागत शुरू होने से अबतक 3 गुनी हो गई है।
सपा सरकार में नहीं हुआ कोई निवेश
सच ये है कि अखिलेश सरकार ने विकास के नाम पर पूरे प्रदेश के स्थान पर लखनऊ में स्थित कुछ योजनाओं की लागत कई गुनी कर अपने करीबी साथियों का आर्थिक विकास किया है। बाकी पूरे प्रदेश में सामान्य सरकारी योजनाओं में लूट खसोट के अलावा कुछ नहीं हुआ है। औद्योगिक विकास के नाम पर पिछली बसपा और वर्तमान सपा सरकार में एक भी बड़ा औद्योगिक धरना उत्तर प्रदेश में निवेश नहीं किया है, यहां तक अखिलेश परिवार के करीबी अंबानी ने भी नहीं। एक खेल जरूर हुआ पावर पर्चेज एग्रीमेंट यानी आप बिजली बनाओगे तो उसकी खरीद सरकार एक निश्चित अवधी(20-25 साल) तक एक निश्चित दर पर करेगी। ये अनुबंध हजारों करोड़ रुपए के होते हैं। जिसके बड़े लेन देन हुए हैं। पीपीए के आधार पर बैंकों से भारी ऋण लेकर अभी तक 50 फीसदी बिजली घरों में उत्पादन शुरू नहीं हो पाया है।
सपा, बसपा दोनों करते हैं किसान का उत्पीड़न
सपा, बसपा दोनों किसान की बात तो करते हैं परंतु साथ देते है उसका उत्पीड़न करने वाले का। उत्तर प्रदेश में किसानों कि मुख्य नकदी फसल गन्ना है। हर साल असंख्य गन्ना किसान चीनी मिलों से भुगतान न मिलने से भंयकर उठाते हैं परंतु इन दोनों की सरकारों का एजेंडा किसानों को उनका गन्ना मूल्य या दिलाकद चीनी मिलों का बकाया माफ करने पर रहता है। गन्ना के एक सह उत्पात सीरे से जुड़े सभी कार्य एवं कारखाने जैसे- सरकारी चीनी मिलों, शराब निर्माण एवं व्यापार, 3जी उत्पाद, बाल पुष्टाहार एवं पशु आहार में सभी पर एक कंपनी विशेष का एकाधिकार है। बसपा शासन में पुष्पित यह कंपनी सपा में पल्लवित होकर और मजबूत हो गई है। इस एकाधिकार का खामियाजा किसान, छोटे व्यापारी एवं उद्यमी उठा रहे हैं।
मायावती के शासन में हुए भ्रष्टाचार की जांच एवं दोषियों को दंडित करने को मुद्दा बना कर सस्ता में आई अखिलेश सरकार में एक भी जांच न पूरी हुई न दंडित हुई। इसके प्रमुख कारण 3-4 अधिकारी रहे। ये अधिकारी बसपा शासनकाल में भी महत्वपूर्ण एवं मलाईदार तैनाती में रहे और इस स्वयंभूक्लीन की सरकार में भी। जिन अपराधिक छवि वालों को लेकर सपा का तथाकथित कलह शुरू हुई और बसपा ने भी तीखे कटाक्ष किए वे लोग तथा उन्ही की तरह अन्य आपराधिक छवि वाले समय-समय पर हाथी एवं साइकिल की सवारी करते रहे हैं।
दरअसल, सपा एवं बसपा दोनों मौसेरे भाई की तरह हैं जो भ्रष्टाचार करने, अपराधियों को महिमामंडित करने भ्रष्ट अधिकारियों को संरक्षण देने में एक दूसरे के पूरक हैं। सिर्फ दिखावे के लिए एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगाते हैं। कभी कार्यवाही नहीं किए अलबत्ता अपने शासन में दूसरे के समर्थकों को उत्पीड़ित जरूर करते रहते हैं। उत्तर प्रदेश में सबके विकास, भ्रष्टाचार को समाप्त करने एवं कानून व्यवस्था को मजबूत करने जिसके औद्योगिक निवेश एवं विकास और उसके कारण रोजगार सृजन हो इसके लिए अबकी बार सबकी सरकार भाजपा सरकार।
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