सावधान: कहीं पबजी और टिकटॉक आपको बीमार न बना दें
एक दौर था जब शाम होते ही पार्कों और मैदानों में खेलने वाले बच्चों की भीड़ इकट्ठा हो जाती थी। गेम्स में वैरायिटी तब भी थीं क्रिकेट, खो-खो, पिट्टू, छुपन-छुपाई जैसे तमात खेल थे जिन्हें खेलने के नियम अलग-अलग थे। लेकिन जैसे-जैसे चीजें बदलीं गेम्स भी बदलते गए अब पार्क खाली पड़े होते हैं क्योंकि उनमें खेलने वाले बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन आ गए हैं। उनके पास समय ही नहीं है उससे इतर जाने का कहीं।
बदलते जमाने में जहां टेक्नोलॉजी ने हमारी जिंदगियों को आसान किया है, वहीं कई बड़े नुकसान भी दिए हैं। इनमें से एक है युवाओं में बढ़ती सोशल मीडिया की लत। आए दिन नए-नए गेम्स बच्चों को अपना दिवाना बनाकर उन्हें बाकी चीजों से दूर कर रहे हैं। जैसे आजकल पबजी और टिकटॉक नाम के दो ऐप्स बुरी तरह से बच्चों और युवाओं के दिलो दिमाग पर छाए हैं। अब ये दोनों क्या बला हैं ये खेलने और देखने वाले तो जानते ही हैं लेकिन फिर भी जानकारी के लिए बता दें पबजी एक ऐसा मोबाइल गेम है जिसका क्रेज युवा और बच्चों में बहुत तेजी से बढ़ता जा रहा है। इसी तरह 'टिक-टॉक' एक सोशल मीडिया ऐप्लिकेशन है जिसके जरिए स्मार्टफोन यूजर छोटे-छोटे वीडियो बनाकर शेयर कर सकते हैं। इसमें बैकग्रांउड में फिल्मी गाने या डॉयलाग चलते हैं और आपको उसी हिसाब से एक्सप्रेशन देने होते हैं।
पबजी, टिकटॉक और ऐसे कई दूसरे ऐप्स भी हैं जिन्होंने न केवल बच्चों की नींदें उड़ा रखी हैं बल्कि बहुत तेजी से उनके व्यवहारों में भी परिवर्तन कर रहे हैं। इस तरह के गेम्स बच्चों को आक्रामक बना रहे हैं क्योंकि इनमें मार-धाड़ के अलावा कुछ नहीं होता है। नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंस में 120 से ज्यादा मामले रिपोर्ट किए गए, जिनमें बच्चों के मेंटल हेल्थ पर इस गेम का विपरीत प्रभाव को देखा गया है। परेशानी, असल जिंदगी से दूरी, कॉलेज व स्कूल से लगातार अनुपस्थित होना, पढ़ाई में पीछे होते जाना और गुस्सा बढ़ने जैसी समस्याएं तेजी से हावी हो रही हैं। बच्चे इस गेम में इंटरनेशनल प्लेयर्स के साथ खेलने के लिए रात के 3-4 बजे तक जागते हैं और यही कारण है कि उनका रूटीन तेजी से बदल रहा है। युवा और बच्चे इस गेम के इस कदर आदि होते जा रहे हैं कि दिन-रात उनके हाथ में आपको फोन दिखेगा। गेम के टास्क पूरे करने के लिए वह ना तो खाने की परवाह करते हैं और ना ही नींद की।
अभी पिछले दिनों गुजरात के राजकोट शहर में कॉलेज के छह छात्रों समेत 10 लोगों को प्रतिबंध लगाने के बाद भी पबजी गेम खेलने की वजह से गिरफ्तार किया गया है। इससे पहले UNI की एक रिपोर्ट के मुताबिक जम्मू के एक फिटनेस ट्रेनर को PUBG गेम की लत के चलते अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था। रिपोर्ट के मुताबिक यह जम्मू में पहला ऐसा मामला नहीं है। इससे पहले 6 ऐसे मामले सामने आ चुके हैं। जानकारी के मुताबिक फिटनेस ट्रेनर ने 10 दिन तक पबजी मोबाइल गेम खेला। 10 दिन में मिशन पूरा करने के बाद मानसिक स्थिति में गड़बड़ी होने के चलते वह खुद को नुकसान पहुंचाने लगा जिसके बाद ट्रेनर को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
खेल मनोरंजन और अच्छी सेहत के लिए खेले जाते हैं लेकिन ये कैसे गेम्स हैं जो लगातार बच्चों को मानसिक तौर पर बीमार कर रहे हैं। इन गेम्स की वजह से ही उनमें हिंसात्मक गतिविधियां बढ़ती जा रही हैं और इसका एक कारण माता-पिता का बच्चों से दूर होना भी है। ज्यादातर घरों में मां-बाप दोनों वर्किंग हैं और वो व्यस्तता के चलते बच्चों के दिन भर के रूटीन पर ध्यान नहीं दे पाते हैं जिसका नतीजा सामने हैं। बच्चे भले बोलना न सीख पाएं हों उनके हाथ में स्मार्टफोन पर कॉर्टून चलाकर देने वाले मां-बाप को उस समय तो पता नहीं चलता लेकिन ये पहली सीढ़ी होती है उन्हें इस ऐडिक्शन में ढकलेने की।
इसी तरह टिकटॉक का भी नशा तेजी से बढ़ता जा रहा है, तेजी से वायरल हो रहे शॉर्ट वीडियो टिकटॉक की ही देन हैं। बाइट डान्स नाम की कंपनी ने चीन में सितंबर, 2016 में इसे लॉन्च किया था। 2018 से इसकी लोकप्रियता तेजी से बढ़ी। इकोनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के अनुसार इसे हर महीने लगभग 20 मिलियन भारतीय इस्तेमाल करते हैं। ये एक अच्छा माध्यम हो सकता था अपनी ऐक्टिंग और सिंगिग को आजमाने का लेकिन इसका भी उल्टा असर होने लगा। इस तरह के ऐप्स पर खुद को थोड़ा काबू रखने की ज़रूरत होती है। सब काम छोड़कर सिर्फ थोड़ी-थोड़ी देर पर वीडियोज देखना आपका समय तो बर्बाद ही कर रहा बदले में कोई पॉजिटिव आउटपुट भी नहीं देता। तेजी से बढ़ रहे फेक न्यूज और वीडियोज के समय में तो ऐसे ऐेप्स का इस्तेमाल बहुत सोच-समझकर होना चाहिए।
2018 में इंडोनेशिया ने टिक-टॉक पर बैन लगा दिया था क्योंकि किशोरों की एक बड़ी संख्या इसका इस्तेमाल पोर्नोग्रैफ़िक वीडियोज शेयर करने में करनी लगी थी। इसके ऐडिक्शन को देखकर ये अंदाजा लगाया जा सकता है कि यहां भी जल्दी ही ऐसी स्थिति आ सकती है। इसलिए इन पर नियंत्रण पाने की जरूरत है। इस तरह के ऐप्स को खुद पर हावी न होने दें कि वो आपी जिदंगी और व्यवहार को बदल दें। यही समय अपने दोस्तों, परिवार और कुछ क्रिएटिव काम करने में बिताएंगें तो न आपकी सेहत खराब होगी और रिश्ते।
ये भी पढ़ें: सियासी दांवपेच में फंसा सेना का शौर्य
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...