वो लीडर जो कभी नहीं मरा – नेता जी सुभाष चन्द्र बोस

नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है। उनकी मृत्यु के कारण के बारे में कई थ्योरी, बहस, चर्चा, फिल्में और डोक्योमेंटरी बनाई गई पर आज तक किसी भी थ्योरी की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। वहीं, 2017 में केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 1945 में एक हवाई दुर्घटना में हुई मृत्यु की थ्योरी को सच बताया था, जिसके बाद से यह विवाद थम गया था। लेकिन इन रिपोर्टों में किए गए दावे को नेता जी के परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा खारिज कर दिया गया था। सच क्या है? आइए जानते हैं नेताजी के 125वें जयंती पर उनके रहस्यमयी मौत से जुड़े किस्से-
जापान सरकार की रिपोर्ट
जापानी सरकार ने "इन्वेस्टिगेशन ऑन द कॉज़ ऑफ़ डेथ एंड अदर मैटर्स ऑफ़ लेट सुभाष चंद्र बोस" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट को 2016 में सार्वजनिक किया था। जिसके निष्कर्ष में निकाला गया कि बोस की मृत्यु 18 अगस्त 1945 को ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। जनवरी 1956 में इस रिपोर्ट को टोक्यो में भारतीय दूतावास को सौंप दिया गया था, लेकिन 60 से अधिक वर्षों तक इसे सार्वजनिक नहीं किया गया। रिपोर्ट के अनुसार, टेकऑफ़ के ठीक बाद, बोस जिस हवाई जहाज में यात्रा कर रहे थे, उस पर एक प्रोपेलर ब्लेड टूट गया और इंजन विमान से गिर गया, जो तब दुर्घटनाग्रस्त हो गया और आग की लपटों में बदल गया। जब बोस वहां से निकले तो उनके कपड़ों में आग लग गई और वे बुरी तरह जल चुके थें। उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिसके कुछ घंटे बाद उनकी मृत्यु हो गई थी।
फिगेस की रिपोर्ट
भारत सरकार ने ताइवान की विमान दुर्घटना को माना सच
केंद्र ने समय-समय पर नेताजी की मृत्यु या गायब होने की परिस्थितियों पर प्रकाश डालने के लिए 1956 में शाह नवाज समिति, 1970 में खोसला आयोग और 2005 में मुखर्जी आयोग का गठन किया था, लेकिन कोई भी कोई जवाब नहीं दे सका। 1 सितंबर 2016 को, नरेंद्र मोदी सरकार ने जापानी सरकार की खोजी रिपोर्टों को सार्वजनिक कर दिया, जिससे यह निष्कर्ष निकला कि बोस की मृत्यु ताइवान में एक विमान दुर्घटना में हुई थी। रिपोर्टों ने यह भी कहा गया है कि उनके अवशेष टोक्यो के रेनकोजी मंदिर में संरक्षित हैं।
हालांकि, कई लोगों का मानना है कि नेताजी विमान दुर्घटना में बाल-बाल बचे थें और काफी समय तक छुपकर रहें। बता दें मनमोहन सिंह सरकार ने 2006 में स्वीकार किया था कि जापान के रेंकोजी मंदिर की राख नेताजी सुभाष चंद्र बोस की ही है।
वहीं, 2017 में गृह मंत्रालय ने कोलकाता निवासी के एक आरटीआई के जवाब में कहा था कि सरकार बोस की मौत की जांच करने वाली विभिन्न समितियों की रिपोर्टों पर विचार करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंची थी, जो कई लोगों का मानना है।
अक्टूबर 2015 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने नेताजी के परिवार के सदस्यों से मुलाकात की और घोषणा की कि सरकार नेता से संबंधित फाइलों को सार्वजनिक करेगी। 2016 में, 23 जनवरी को नेताजी की 119वीं जयंती पर, पीएम मोदी द्वारा 100 से अधिक गुप्त फाइलों को सार्वजनिक कर दिया गया।
आपको बता दें नेताजी की मौत को लेकर चल रहा विवाद आज तक थमने का नाम नहीं ले रहा है। टीएमसी ने हाल ही में 1945 में नेताजी सुभाष चंद्र बोस के लापता होने पर फाइलों को सार्वजनिक करने और जापान के मंदिर में संरक्षित राख, जिसे स्वतंत्रता सेनानी माना जाता है, को डीएनए विश्लेषण के लिए भेजें जाने की मांग की है।
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