Blog: एक हार जो जीत से ज्यादा जरूरी थी...

अगर क्रिकेट को कप्तानों के कार्यकाल में बांटा जाय तो कह सकते हैं टीम इंडिया ने सौरव गांगुली के समय में सबसे ज्यादा आक्रामक क्रिकेट खेला! हालांकि हम आज भी घोषित रूप से आक्रामक क्रिकेट ही खेल रहे हैं। लेकिन गांगुली के जाने के बाद जब धोनी की बारी आई और करीब 9 सालों में भारत ने जो क्रिकेट खेला उसके बाद तो लगने लगा इसे इसी तरह खेला जाना चाहिए।
बिल्कुल कैप्टन कूल की तरह, जीतते रहिए और अपना सम्मान बढ़ाते रहिए, शायद इसीलिए धोनी के जाने के बाद टीम जैसे खेल रही है वो हमारे जैसे क्रिकेट प्रशंसकों को रास नहीं आ रहा है। धोनी के बाद विराट को कमान मिलने के साथ ही प्रशंसकों और विशेषज्ञों में न जाने किस बात की होड़ लग गई कि वो इस टीम को एकदम से आक्रामक बनाने पर तुल गए हैं।
विराट युवा हैं और उनके पास जो टीम है वो भी युवा ही है तो लोगों ने मान लिया कि इस टीम को आक्रामक क्रिकेट ही खेलना है। हालांकि भारतीय टीम ने विराट की कप्तानी में जिस तरह देश के बाहर अभी खेला है वो औसत ही रहा है। चैंपियंस ट्रॉफी के फाइनल में मिली हार विराट की कप्तानी क्षमता पर सवालिया निशान खड़े कर रहा है। वैसे तो अगर हम अगर हार की वजहों पर चर्चा करने बैठेंगे तो वो बहुत लंबी खिचेगी। लेकिन एक बात तो माननी पड़ेगी कि टीम इंडिया ने यह मैच अतिआत्मविश्वास के चक्कर में हारा है।
टीम इंडिया के लिए क्यों जरूरी थी ये हार?
मैं बात कर रहा हूं, इस टीम को मिले इस जरूरी हार के बारे में! यह इसलिए भी जरूरी था क्योंकि कुछ क्रिकेट प्रशंसकों और हाल ही में क्रिकेट छोड़ चुके पूर्व खिलाड़ियों खासकर वीरेंद्र सहवाग ने जिस तरह भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट को वॉर का नाम दिया उन जैसे लोगों के लिए ये जरूरी था।
1- जरूरी इसलिए था क्योंकि ये लोग मान बैठे हैं कि क्रिकेट एकतरफा गेम है, आप जो तय करोगे वही परिणाम आएगा। क्योंकि आपके पास बीसीसीआई है, आपके यहां आईपीएल होता है जिस वजह से दुनिया के सारे खिलाड़ी आपकी मुठ्ठी में हैं। यहां तक कि अपने समय के महान खिलाड़ी सुनील गावस्कर और रवि शास्त्री ने टॉस के तुरंत बाद भारत को विजेता बता चुके थे। इस हार के बाद इस तरह के गैर जिम्मेदाराना बयानबाजी पर रोक लगेगी।
2- वीरेंद्र सहवाग जैसे खिलाड़ी जो सिर्फ ट्विटर की टीआरपी बढ़ाने के लिए उटपटांग बयानबाजी करते हैं, उस पर रोक लगेगी। रोक लगनी इसलिए भी जरूरी है, क्योंकि उनके चक्कर में आने वाली पीढ़ी जो क्रिकेट खेल रही है या खेलेगी वो पथभ्रष्ट हो सकती है। आपने अगर सहवाग और राशिद लतीफ के ट्विटर वॉर में मनोज तिवारी का कूदना और उनका वीडियो देखेंगे तो अंदाजा लग जाएगा कि किस तरह ये क्रिकेटर इस खेल को जंग का मैदान बना रहे हैं।
3- ये हार विराट कोहली के लिए सबसे ज्यादा जरूरी थी। वो एक योग्य खिलाड़ी हैं, और बेहतरीन कप्तान बन सकते हैं अगर वो इस तरह की भावनाओं में न आकर अपने खेल और अपनी क्षमताओं पर ध्यान देना शुरू कर दें। पाकिस्तान के खिलाफ फाइनल मैच से पहले तक जिस तरह की बॉडी लैंग्वेज कोहली की थी वो इस पोस्ट को शोभा नहीं दे रही थी।
4- खेल के नाम पर राजनीति करने वाले लोगों पर लगाम लगेगी, जो भारत को विश्वविजेता मानने के ख्वाब से बाहर ही नहीं निकलना चाहते। जैसे कि भारत जो क्रिकेट खेल रहा है वो किसी के बस की बात ही नहीं है। ये वो लोग हैं जो भारत और पाकिस्तान के बीच क्रिकेट मैच का एक तरफ विरोध करते हैं और दूसरी तरफ जीत के जश्न में समाज में अव्यवस्था फैला रहे हैं।
5- सबसे ज्यादा तो ये हार जरूरी थी टीवी चैनलों के लिए, जब भी टीम इंडिया का पाकिस्तान के साथ मैच होने वाला होता है तो ये चैनल सबकुछ भूलकर केवल इस खेल को बेचने के फिराक में लग जाते हैं। जैसे देश में कोई और समस्या हो ही न...। अपने दर्शकों में ये चैनल देशभक्ति का डोज देने से नहीं चूकते, जैसे कि बॉर्डर पर लड़ाई छिड़ने वाली हो। इस तरह के झटके लगने से कम से कम इनको आगे से कुछ सीख मिले।
अंत में, एक क्रिकेट प्रशंसक होने के नाते मैं अपनी टीम से उम्मीद करता हूं कि वो अपनी गलतियों से सीख लेते हुए आगे बेहतर क्रिकेट खेले, भले ही आक्रामक क्रिकेट खेले लेकिन केवल मैदान पर और दर्शकों से भी गुजारिश है कि वो इसे खेल भावना की तरह ही देखें। जिससे कि इस खेल में हमारे जैसे प्रशंसकों की भी रुचि बने रहे...
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