ब्लॉग: पीछे रह गए आजाद... आगे हो गए चंद्रशेखर

राजनीति के भी खेल निराले हैं। आज स्कूल में अवकाश पर पड़ोस के लड़के ने पूछा चन्द्रशेखर आजाद का जन्मदिन तो 23 जुलाई पडता है फिर आज क्यों अवकाश है। मेरे पास कोई उत्तर न था। मैने बस इतना कहा कि बेटा पूर्व प्रधानमंत्री रहे हैं चन्द्रशेखर। वह तपाक से बोला तो फिर राजीव गांधी इंदिरा गांधी पर भी छुट्टी होगी। मैने कहा, पता नहीं। सोचने लगा कि हम सब बचपन से चन्द्रशेखर आजाद के बारे में पढते सुनते आये हैं।
स्कूलों में नाटक में आप में से कई लोग तो चन्द्रशेखर आजाद बनते भी रहे होंगे। लेकिन यकीन मानिये चन्द्रशेखर आजाद की कोई जाति नहीं थी। भारत को आजाद कराना उनका धर्म व उनकी जाति थी लेकिन वो चन्द्रशेखर और थे। योगीजी उन चन्द्रशेखर आजाद के बारे में स्कूलों में आपको बताने पर गर्व होगा लेकिन इन चन्द्रशेखर के बारे में आप बच्चों को क्या बतायेंगे। यही कि उस चन्द्रशेखर का धर्म देश को आजाद कराना था और इन चन्द्रशेखर का धर्म सिर्फ और सिर्फ सत्ता पाना था। देशभक्त चन्द्रशेखर का जन्मदिन 23 जुलाई और मृत्यु 27 फरवरी बच्चे बच्चे को याद है।
चन्द्रशेखर जी ने कांग्रेस के भरोसे प्रधानमंत्री बनने का सपना किया पूरा
यह वह चन्द्रशेखर नहीं हैं जिन्होंने देश को आजाद कराने में अपनी जान दी थी। अरे यह वह चन्द्रशेखर भी नहीं हैं जिन्होंने अंग्रेजों को नाको चने चबवा दिए थे। यह वह चन्द्रशेखर हैं जिन्होंने कांग्रेस के भरोसे कुछ महीने खुद प्रधानमंत्री बनने का सपना पूरा किया था। बिना कोई मंत्री बने सीधे प्रधानमंत्री बनकर उन्होंने जनता दल परिवार के कई सदस्यों के सपनों पर पानी फेर दिया था। चौधरी चरण सिंह, कर्पूरी ठाकुर फिर चन्द्रशेखर की जयंती पर सार्वजनिक अवकाश के बाद अगर पूर्व प्रधानमंत्री वीपी सिंह के नाम पर भी सार्वजनिक अवकाश हो तो कोई आश्चर्य नहीं। 24 जनवरी को बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. कर्पूरी ठाकुर के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश घोषित है वहीं एक दिन पहले यानी 23 जनवरी को होने वाली नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की जयंती पर सरकारों में गजब की खामोशी है।
गांधी जी के साथ एडजस्ट हो गये लालबहादुर शास्त्री जी
राजनीतिक अवसरवादिता की मिसाल रहे पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चौधरी चरण सिंह व पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर सार्वजनिक अवकाश के हकदार बने । पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन दो अक्टूबर को गांधी जयंती के दिन पड़ता है इसलिए उनके जन्मदिन पर स्वत:सार्वजनिक अवकाश होता है। अगर लाल बहादुर शास्त्री का जन्मदिन दो अक्टूबर के दिन न पड़ता तो वह भी सार्वजनिक अवकाश के सम्मान के दायरे में नहीं आ पाते। शास्त्री जी तो गांधी जी के साथ किसी तरह एडजस्ट हो गए पर अन्य प्रधानमंत्री चाहे वह जवाहरलाल नेहरू या हों या फिर इंदिरा गांधी सार्वजनिक अवकाश का सम्मान नहीं पा सके।
लोहिया व जयप्रकाश छोड़ कर्पूरी ठाकुर को मिला अवकाश का सम्मान
वोटबैंक की राजनीति और जातीय जंगल में लोहिया के आदर्श गुम हो गए तो बिहार से कोई नाम आया तो वह भी सिर्फ कर्पूरी ठाकुर का। देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के नाम पर भी कोई सार्वजनिक अवकाश नहीं होता। अम्बेडकर की जयंती व पुण्यतिथि दोनों पर सरकारें न्योछावर होती आई हैं। सम्पूर्ण क्रांति के लोकनायक जयप्रकाश के नाम पर भी सार्वजनिक अवकाश नहीं है। यह दोनों नेता आज के राजनीतिक दलों के वोटबैंक के खांचे में फिट नहीं बैठते। जयप्रकाश नारायण की सम्पूर्ण क्रांति से उपजे नेताओं को सार्वजनिक अवकाश का सम्मान दिया जा रहा हो पर लोकनायक की उपेक्षा हो रही है। स्वामी विवेकानन्द और नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की अनदेखी कर पूर्व प्रधानमंत्री स्व. चन्द्रशेखर स्व. चौधरी चरण सिंह व कर्पूरी ठाकुर जी के जन्मदिन पर सार्वजनिक अवकाश का सम्मान देना जनता ध्यान से देख रही है। सचमुच योगी जी ऐसे महापुरुषों के बारे में ही स्कूलों में बताने की जरूरत है चन्द्रशेखर आजाद, विवेकानंद व सुभाषचन्द्र बोस जैसे महान व्यक्तियों के बारे में तो सब जानते हैं।
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