अश्विन को बता दो कि, 'शायद यह मौत हो, लेकिन मैं तैयार हूं'

अब तक कहा जाता था, 'भारत में क्रिकेट धर्म है और इसके खिलाड़ी भगवान'। लेकिन लगता है यह भ्रम अब पूरी तरह टूट चुका है। क्रिकेट अब बिजनेस और खिलाड़ी बिजनेसमैन बन चुके हैं। यही नहीं खिलाड़ी आए दिन ऐसी बयानबाजी भी करने लगे हैं जिससे जनता का मोह कम से कम इस खेल से तो टूटने लगा है।
हालिया बयान है टीम इंडिया और 'पूर्व चेन्नई सुपर किंग्स' के खिलाड़ी आर. अश्विन का। आपकी जानकारी के लिए बता दें चेन्नई सुपरकिंग्स पर स्पॉट फिक्सिंग के मामले में 2015 में 2 साल का बैन लगा था जो इस साल 14 जुलाई को समाप्त हो गई है।
अब एक बार फिर चेन्नई की टीम आगामी आईपीएल के 11वें सीजन में दिखाई देगी, इसी को लेकर आर. अश्विन ने जो ट्वीट किया है वो खेल को समझने और पसंद करने वालों को रास नहीं आया, और अश्विन के इस बयान की जमकर आलोचना हुई है।
दरअसल अश्विन ने अपनी टीम चेन्नई सुपरकिंग्स की वापसी की तुलना मैनचेस्टर यूनाइटेड टीम के 1958 में हुए म्युनिख हादसे से की है। इस हादसे में 8 फुटबाल खिलाड़ियों सहित 23 लोगों की मौत हो गई थी।
इस हादसे के बारे में पूरी जानकारी दे रहे हैं 90Min.in के सूरज। इससे पहले सूरज ने अश्विन के इस ट्वीट पर घोर आपत्ति जताई है। जिसमें अश्विन ने इस हादसे को चेन्नई सुपर किंग्स पर बैन के बराबर बताया है।
कल के अखबार में देखा कि इंडियन क्रिकेटर रविचंद्रन अश्विन ने इस हादसे के बाद यूनाइटेड की वापसी की तुलना चेन्नई सुपरकिंग्स के स्पॉट फिक्सिंग और सट्टेबाजी का प्रतिबंध काटने के बाद वापसी करने से की।
इंफॉर्मेशन टेक्नलॉजी में बी. टेक की डिग्री रखने वाले अश्विन से ऐसे बयान की उम्मीद किसी को नहीं थी। कहा जाता है कि अश्विन शुरू से ही पढ़ाई में बहुत तेज थे।
माना जाता है कि पढ़ा-लिखा आदमी/ब्राइट स्टूडेंट तार्किक होता है लेकिन अश्विन ने अपने बयान पर माफी मांगने की जगह अपनी आलोचना करने वालों को बाद में आने को कहा।
अश्विन ने ट्वीट किया, 'अब जिन्हें मुझसे नफरत है, मुझे मेंशन ना करें, हम फिर मिलेंगे जब दोबारा मेरे किसी बयान का गलत अर्थ निकाला जाएगा।'
अश्विन की सफाई के हिसाब से वह कहना चाह रहे थे कि ब्रेक से वापसी करने वाली टीम्स का फैंस जोरदार स्वागत करते हैं। माराडोना को अपना फेवरेट फुटबॉलर और स्पैनिश नेशनल टीम को अपनी फेवरेट फुटबॉल टीम बताने वाले अश्विन शायद भूल गए कि यूनाइटेड ने कभी ब्रेक लिया ही नहीं था।
हादसे के तुरंत बाद उन्होंने शेफील्ड वेडनसडे को 3-0 से हराया था और लीग और यूरोपियन कप के बचे हुए मुकाबले भी खेले थे। उनकी तुलना करने जैसा कुछ नहीं था लेकिन कर ही दी तो माफी मांगने में कुछ चला नहीं जाता।
खैर, जब इंसानों को खुदा बनाया जाता है तो बनाने वालों की कदर कीड़े-मकोड़ों जैसी ही होती है। शुक्रिया अश्विन, अपना और हमारा दोनों का लेवल बताने के लिए।
क्या है उस हादसे की पूरी कहानी
अप्रैल 1955 में यूनियन ऑफ यूरोपियन फुटबॉल असोसिएशन (UEFA) ने UEFA से जुड़े देशों की फुटबॉल लीग के चैंपियन क्लब्स के लिए यूरोपियन कप के नाम से एक फुटबॉल कम्पटिशन शुरू कराया। 1955-56 सीजन से शुरू हुए इस कम्पटिशन में इंग्लिश क्लबों का भाग लेना इंग्लिश लीग फुटबॉल को चलाने वाली संस्था 'द फुटबॉल लीग' को पसंद नहीं आया और लीग के सेक्रेटरी एलन हार्डेकर ने उस सीजन के इंग्लिश लीग विनर्स चेल्सी को इस कम्पटिशन में खेलने की अनुमति नहीं दी।
अगले सीजन यानि कि 1956-57 में इंग्लिश लीग का खिताब मैनचेस्टर यूनाइटेड ने जीता। क्लब के उस वक्त के मैनेजर सर मैट बस्बी ने क्लब के चेयरमैन हैरॉल्ड हार्डमैन और इंग्लैंड में फुटबॉल की गवर्निंग बॉडी 'द फुटबॉल असोसिएशन' के सेक्रेटरी स्टैनली रोज के साथ मिलकर काफी प्रयास कर 'द फुटबॉल लीग' को मना लिया और मैनचेस्टर यूनाइटेड यूरोपियन कप में खेलने वाला पहला इंग्लिश क्लब बना।
इस सीजन के सेमीफाइनल में रियल मैड्रिड से हारने के बाद मैनचेस्टर यूनाइटेड ने अगले सीजन फिर से इंग्लिश लीग का खिताब जीतकर 1957-58 सीजन के यूरोपियन कप में जगह बनाई। इंग्लिश लीग के मैच जहां वीकेंड पर होते थे वहीं यूरोपियन कप के मैच मिडवीक में खेले जाते थे और अगर यूनाइटेड को दोनों कम्पिटशन में खेलना था तो उसे उस दौर में बेहद रिस्की मानी जाने वाली हवाई यात्राएं करनी ही थीं।
खैर, टीम यूरोपियन कप में उतरी और प्रिमिलनरी राउंड में शैमरॉक रोवर्स और फर्स्ट राउंड में डुकला प्राग को हराने के बाद टीम को क्वॉर्टरफाइनल में यूगोस्लाविया की रेड स्टार बेलेग्राद के खिलाफ खेलना था।
14 जनवरी 1958 को 'Busby's Babes' के नाम से मशहूर यंग और अकैडमी प्लेयर्स से बनी मैनचेस्टर यूनाइटेड की टीम ने ओल्ड ट्रैफर्ड में खेले गए यूरोपियन कप के क्वॉर्टर फाइनल के पहले लेग में रेड स्टार बेलेग्राद की टीम को 2-1 से हराया।
टीम को 5 फरवरी को होने वाले रिटर्न लेग के लिए यूगोस्लाविया जाना था। पिछले राउंड में प्राग से लौटते वक्त इंग्लैड के ऊपर छाई धुंध के चलते टीम मैनचेस्टर तक उड़कर नहीं आ पाई थी और उसे प्राग से एम्सटर्डम और फिर हूक ऑफ हॉलैंड से फेरी द्वारा हार्विच और फिर वहां से ट्रेन द्वारा मैनचेस्टर आना पड़ा था।
इस लंबी यात्रा ने प्लेयर्स को बुरी तरह थका दिया और उन्हें डोमेस्टिक लीग में बर्मिंघम सिटी के खिलाफ 3-3 से ड्रॉ खेलना पड़ा। फुटबॉल लीग फिक्सचर मिस ना हों और प्लेयर्स को ऐसी असुविधा का सामना ना करना पड़े इसके लिए क्लब ने ब्रिटिश यूरोपियन एयरवेज का एक प्लेन चार्टर्ड किया।
5 फरवरी 1958 को टीम ने रेड स्टार के घर में मैच का दूसरा लेग खेला जो कि 3-3 से बराबरी पर छूटा और टोटल 5-4 से स्कोर से यह मैच जीत 'बस्बी के बच्चे' यूरोपियन कप के सेमीफाइनल में जगह बनाने की खुशी में डूब गए। 6 फरवरी 1958 को बेलेग्राद से उड़ान भरने वक्त टीम के राइट विंगर जॉनी बेरी का पासपोर्ट गुम होने के चलते प्लेन 1 घंटे की देरी से उड़ा।
प्लेन बेलेग्राद से उड़ा तो माहौल काफी खुशनुमा था। सारे प्लेयर्स और स्टाफ जहां अपनी जीत सेलिब्रेट करने में जुटे थे वहीं प्लेन में बैठे जर्नलिस्ट अपने-अपने अखबार के लिए स्टोरी/इंटरव्यू आईडिया पर विचार कर रहे थे। बेलेग्राद से उड़ी ब्रिटिश यूरोपियन एयरवेज की फ्लाइट नंबर 609 ने तात्कालीन वेस्ट जर्मनी के म्यूनिख में फ्यूल भरने के लिए स्टॉपेज लिया क्योंकि एलिजाबेथियन क्लास के एयरस्पीड अम्बेसडर विमान में बेलेग्राद से मैनचेस्टर तक नॉनस्टॉप उड़ने भर के ईंधन की कैपसिटी नहीं थी।
प्लेन में कुल 44 लोग थे जिनमें स्क्वॉड, मैनेजर और बाकी स्टाफ के साथ ही कुछ जर्नलिस्ट्स भी मौजूद थे। जब प्लेन म्यूनिख में रुका तो मौसम काफी खराब था। जोरदार बर्फबारी के चलते रनवे का बुरा हाल था। प्लेन के पायलट्स कैप्टन जेम्स थैन और केनेथ रेमेंट ने टेक ऑफ की दो असफल कोशिशें कीं। विमान के बाएं इंजन में थोड़ी दिक्कत थी लेकिन अपने शेड्यूल से बहुत पीछे छूट जाने के डर से कैप्टन थैन टेक ऑफ के लिए हरसंभव कोशिश कर रहे थे।
कुछ लोगों ने रात म्यूनिख में बिताने को कहा जिससे सुबह मौसम थोड़ा सही हो तब आराम से निकला जाए। लेकिन कैप्टन थैन ने यह आइडिया रिजेक्ट कर दिया क्यों फ्लाइट वैसे भी शेड्यल से लेट हो रही थी। प्लेयर्स का जाने का जरा भी मन नहीं था और भीषण बर्फबारी के चलते जब टेक-ऑफ का दूसरा प्रयास भी विफल रहा तो प्लेयर्स को विमान से उतारकर एयरपोर्ट लॉन्ज में भेज दिया गया।
वहीं से यूनाइटेड के प्लेयर डंकन एडवर्ड्स ने मैनचेस्टर में अपनी मकान मालकिन को टेलिग्राम किया, 'सारी फ्लाइट्स कैंसल, कल उड़ान भरेंगे, डंकन'। कैप्टन थैन ने स्टेशन इंजीनियर बिल ब्लैक को इंजन की समस्या के बारे में बताया। ब्लैक ने जांच के बाद थैन से कहा कि समस्या दूर करने के लिए विमान को रात भर के लिए वहीं रोकना होगा।
कैप्टन थैन ने इंजीनियर की सलाह के बावजूद म्यूनिख के 2 किलोमीटर लंबे रनवे पर भरोसा करते हुए टेक-ऑफ के तीसरे प्रयास की तैयारी शुरू कर दी। रनवे का हाल बुरा था और भयानक बर्फबारी के चलते जहां रनवे खत्म हो रहा था उस एरिया में कीचड़ की एक मोटी परत जम गई थी लेकिन सेकेंड वर्ल्ड वॉर के दौरान एयरफोर्स में काम कर चुके दोनों पायलट्स को खुद पर भरोसा था।
प्लेयर्स को वापस बुलाया गया। टीम में कुछ ऐसे प्लेयर्स भी थे जिन्हें हवाई यात्राका बेहद कम अनुभव था। ऐसे ही एक प्लेयर लियाम व्हेलन ने विमान में बैठते हुए कहा, 'शायद यह मौत हो, लेकिन मैं तैयार हूं।' टेकऑफ हुआ। विमान की स्पीड 217km/h पर पहंची। इस स्पीड पर पहुंचने के बाद टेक-ऑफ टाला नहीं जा सकता।
कैप्टन थैन ने कंट्रोल टॉवर को इत्तिला दी कि हम इस स्पीड पर हैं, लेकिन स्पीड अभी भी इतनी (220km/h) नहीं थी कि विमान टेक-ऑफ कर सके। थैन को उम्मीद थी कि स्पीड बढ़ेगी लेकिन एकाएक स्पीड कम होनी शुरू हो गई। 217km/h पर लड़खड़ाई स्पीड 207km/h और फिर 194km/h पर आई और रेमेंट के मुंह से निकला, 'क्राइस्ट, हमसे नहीं होगा।'
उनके यह बोलने के साथ ही विमान कीचड़ पर फिसलते हुए किनारों पर लगी बाड़ को तोड़कर एक मकान से जा टकराया। इस टक्कर से विमान का बाया पंख टूटकर गिर गया। विमान का दायां हिस्सा एक लकड़ी के मकान से टकराया जिसमें तेल और टायर से भरा एक ट्रक खड़ा था जो टक्कर होते ही फट गया। 20 लोग तुरंत मर गए और 3 की बाद में अस्पताल में मौत हो गई।
टक्कर के बाद आग कॉकपिट के आसपास फैलने लगी और विमान में आग लगने की आशंका को देखकर कैप्टन थैन ने पहले अपने क्रू को भगाया और फिर जल्दी-जल्दी लोगों को बाहर निकालना शुरू किया। टीम के गोलकीपर हैरी ग्रेग की हालत खराब थी, वह धीरे-धीरे होश खो रहे थे।
उन्हें लगा कि वह मर गए हैं। अपने चेहरे पर खून महसूस होने के बावजूद वह अपने हाथ उठाने की हिम्मत नहीं कर पा रहे थे। उन्हें लगा कि उनकी गर्दन से ऊपर का हिस्सा कटकर अलग हो चुका है। तभी उन्हें अपने ठीक ऊपर थोड़ी सी रौशनी दिखी और वह किसी तरह खुद को संभालकर विमान से बाहर निकले। बाद में उन्होंने टूटे एरिया में फंसे लोगों को निकालने में कैप्टन थैन की मदद की।
वेस्ट जर्मन एयरपोर्ट अथॉरिटी ने अपनी जांच में कैप्टन थैन को दोषी ठहराते हुए कहा कि उन्होंने उड़ान से पहले विमान के पंखों से बर्फ नहीं हटाई थी। हालांकि प्रत्यक्षदर्शियों का मानना था कि दुर्घटना रनवे पर फैले कीचड़ के चलते हुई थी। घटना के 10 साल बाद साल 1968 में कैप्टन थैन को दोषमुक्त करार दिया गया।

इस हादसे के वक्त मैनचेस्टर यूनाइटेड अपना लगातार तीसरा इंग्लिश लीग खिताब जीतने की कोशिशों में था। हादसे के वक्त टीम 14 मैच बाकी रहते लीग टेबल में पहले नंबर की टीम वॉल्वरहैम्पटन वांडरर्स से 6 पॉइंट पीछे थी।
लगातार दूसरी बार यूरोपियन कप के सेमीफाइनल में पहुंची वह टीम पिछले 11 मैचों से अपराजेय थी। इस हादसे ने ना सिर्फ उन्हें लीग टेबल में नौवें नंबर पर धकेल दिया बल्कि वह सेमीफाइनल में मिलान (ओल्ड ट्रैफर्ड पर 2-1 से जीतने के बाद अवे लेग में 4-0 से हार मिली) से हारकर यूरोपियन कप से बाहर हुए और इंग्लिश फुटबॉल इतिहास की सबसे महान जेनरेशन एक साथ खत्म हो गई।
सर मैट बस्बी दो महीने से ज्यादा वक्त तक हॉस्पिटल में रहे और डॉक्टर्स को उनके बचने का बिल्कुल भी भरोसा नहीं था इसीलिए हॉस्पिटल में ही इस दौरान दो बार उनकी अंतिम रस्में भी निभा दी गईं। हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के बाद सर मैट का मन फुटबॉल से उचट गया और वह सब छोड़ स्विटजरलैंड निकल गए।
वहां उनकी बीवी जीन ने उनसे कहा, 'तुम्हें पता है मैट, अगर वे लोग होते तो यही चाहते कि तुम कन्टिन्यू करो।' इस वाक्य ने उन्हें वापस आने पर मजबूर किया और फिर सर मैट बस्बी ने यूनाइटेड के साथ ही 'Busby's Babes' को भी दोबारा से खड़ा किया जिसमें जॉर्ज बेस्ट और डेनिस लॉ जैसे लेजेंड्स शामिल थे।
10 साल बाद सर मैट बस्बी ने मैनचेस्टर यूनाइटेड को यूरोपियन चैंपियन बनाया। 29 मई 1968 को हुए फाइनल में टीम ने फाइनल में पुर्तगाली चैंपियन बेनफिका को 4-1 से हराकर हराकर यूरोपियन कप जीतने वाली पहली टीम बनाने का गौरव हासिल किया। इस टीम में म्यूनिख हादसे से बचे बस दो प्लेयर, सर बॉबी चार्लटन और बिल फॉक्स शामिल थे।
मूल लेख 90min से साभार
संबंधित खबरें
सोसाइटी से
अन्य खबरें
Loading next News...
