एक और 'सर्जिकल स्ट्राइक' कर दें मोदीजी, सैनिक धन्य हो जाएंगे!

पिछले करीब चार महीने से कई राजनीतिक और आर्थिक बहसें सैनिक और सर्जिकल स्ट्राइक पर आकर रुकती रही। आज मैं सर्जिकल स्ट्राइक से शुरू करता हूं। देशभर में देशभक्ति की अलख जलाने के लिए इससे अच्छा और क्या हो सकता था।
पाकिस्तान था, सेना थी, सैनिक थे, आतंकी थे और इन सबसे ऊपर एक राष्ट्रवादी सरकार थी जिसने कथित तौर पर पहली बार ऐसी किसी घटना को अंजाम दिया। बहुत अच्छा था। उसके बाद सारी बहसें बॉर्डर पर तैनात, जंगलों में रह रहे सैनिकों के त्याग और तपस्या पर आकर रुकने लगीं। उसके बाद 8 नवंबर की रात 8 बजे पीएम मोदी ने एक और सर्जिकल स्ट्राइक कर दी।
एक सैनिक ने ही हमारे मुल्क की सेना को आईना दिखा दिया
नोटबंदी हुई और पूरा मुल्क कतार में खड़ा हो गया। फैसला अच्छा था, पर इससे भी इनकार नहीं किया जा सकता कि लोगों ने असीम परेशानियां झेलीं। परेशानियां सैनिकों ने भी झेलीं। इस दौरान, नुक्कड़ से लेकर बड़े-बड़े चैनलों के स्टूडियोज की बहसों और नेताओं के भाषणों में एक शब्द बार-बार आ रहा था। सैनिक। कश्मीर की दुर्गम बर्फीली पहाड़ियों में रहकर देश की रक्षा कर रहा सैनिक। छत्तीसगढ़ के जंगलों में हर कदम पर मौत का सामना कर रहा सैनिक। उसके बाद कुछ ऐसा हुआ कि एक सैनिक ने ही हमारे मुल्क की सेना को आईना दिखा दिया।
बीएसएफ के जवान तेज बहादुर यादव का एक विडियो सामने आया और पूरा देश फिर से सैनिक-सैनिक करने लगा। हालांकि, इस बार कुछ ऐसा हुआ जो काफी अलग था। तमाम लोगों ने तेजबहादुर को ही गाली देना शुरू कर दिया। तेजबहादुर के विडियो के नीचे आरहे कॉमेट्स में मेरी निगाह पड़ी एक बेहद घटिया कॉमेंट पर। जिन सैनिकों के नाम पर देश बल्लियां उछल रहा था, उसने ही तेज बहादुर को गद्दार ठहरा दिया और कह दिया कि रोटी नहीं तुम गोली ही खाकर मर जाओ।
मीडिया ने भी तेज बहादुर का रेकॉर्ड खंगालकर बता दिया कि जवान तो नशेड़ी है, वीआरएस अप्लाई कर चुका है। और आखिरकार देश को बदनाम करने की सजा भई तेज बहादुर यादव को मिल गई। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक उसे प्लंबर बना दिया गया। गृह मंत्रालय ने जांच के आदेश दिये और प्रधानमंत्री कार्यालय से भी जांच रिपोर्ट मांग ली गई।
हर पल मौत का सामना कर रहे हैं सैनिक
अभी पीएम मोदी कुछ बुरा-भला करते, उससे पहले ही सीआरपीएफ के कॉन्सटेबल जीत सिंह का भी एक विडियो सामने आ गया है। मैंने दोनों विडियो ध्यान से देखे और एक नागरिक के तौर पर यही समझ पाया कि ये जवान अपनी निजी जिंदगी में कुछ भी क्यों न कर रहे हों, पर देश की रक्षा तो कर ही रहे हैं। ये अपनी अपनी पोजिशन पर तैनात हैं और हर पल मौत का सामना कर रहे हैं। तेज बहादुर ने खाने पर ही तो सवाल उठाया था। और अब जीत ने भी तो सिर्फ अलग-अलग सैन्य बलों की सुविधाओं का जिक्र कर अपनी व्यथा सुनाई है।
प्रधानमंत्री जी, यह देश आपके साथ है। देश एक सुनहरे मोड़ से होकर गुजर रहा है। जो सैनिक देश की रक्षा कर रहे हैं, क्या उन्हें अपना दर्द साझा करने का अधिकार नहीं होना चाहिए? क्या एक सैनिक को किसी दुश्मन को मारकर या उसकी गोली से मिलकर चुपचाप पदक लेकर हमारे देश का सिर्फ मान बढ़ा देना चाहिए? हमारे सरकारी तंत्र में कई दशकों से जड़ तक भ्रष्टाचार समाया रहा है। बहुत मुमकिन है कि इन जवानों की शिकायत नाजायज न हो। इन जवानों को अगर दो वक्त की रोटी ही अच्छी मिल जाए, तो इसमें हमारी सरकार का ही मान बढ़ेगा न।
देश में बहुत कुछ अच्छा हो रहा है, इन जवानों को कठघरे में खड़ा न करके इनके दर्द पर मरहम लगा दें तो आपका कद और भी ऊंचा हो जाएगा पीएम साहब। टीम इंडियावेव सकारात्मक भारत की कल्पना करती है और हमें उम्मीद है कि आप सेना में व्याप्त भ्रष्टाचार पर भी सर्जिकल स्ट्राइक करेंगे और इन जवानों का भला करेंगे।
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