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स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूती देने वाला बजट:डॉ आनंद श्रीवास्तव
01 February 2022यह बजट स्वास्थ्य क्षेत्र को मजबूती प्रदान करने वाला है। सभी ने देखा है कि कोरोना महामारी के दौरान टेली मेडिसिन एंव टेली कंसल्टेंसी ने आम जन तक स्वास्थ्य सुविधाएं पहुंचाने में अति महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
वो लीडर जो कभी नहीं मरा – नेता जी सुभाष चन्द्र बोस
23 January 2022नेताजी सुभाष चंद्र बोस की मृत्यु के बारे में बहुत कुछ लिखा और कहा गया है। उनकी मृत्यु के कारण के बारे में कई थ्योरी, बहस, चर्चा, फिल्में और डोक्योमेंटरी बनाई गई पर आज तक किसी भी थ्योरी की कोई पुष्टि नहीं हो पाई है। वहीं, 2017 में केंद्र सरकार ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 1945 में एक हवाई दुर्घटना में हुई मृत्यु की थ्योरी को सच बताया था, जिसके बाद से यह विवाद थम गया था। लेकिन इन रिपोर्टों में किए गए दावे को नेता जी के परिवार के कुछ सदस्यों द्वारा खारिज कर दिया गया था। सच क्या है? आइए जानते हैं नेताजी के 125वें जयंती पर उनके रहस्यमयी मौत से जुड़े किस्से-
क्षेत्रीय असमानता को दूर करती यूपी में लग रही परियोजनाएं
08 December 2021विकास की अंधा-धुंध दौड़ अक्सर क्षेत्रीय असमानता को जन्म देती है, जिसका दुष्प्रभाव सामाजिक आर्थिक और राजनैतिक तैर पर स्पष्टतः दिखाई पड़ता है। जहां एक ओर कम विकसित क्षेत्र पिछडे़पन का शिकार होता रहता है वहीं विकसित क्षेत्र का और अधिक विकास होता चला जाता है। परिणामस्वरूप अविकसित क्षेत्र के लोग गरीब होते चले जाते हैं और उनका मन-मस्तिष्क कुंठा से ग्रस्त हो जाता है। परिणाम-स्वरूप समाज का अपराधीकरण होने लगता है। कई बार रोजगार की तलाश मे लोग सैकड़ों किलोमीटर दूर तक चले जाते हैं जिससे पारिवारिक अलगाव की स्थिति बन जाती है।
जनता को पसंद है बहुमत वाली सरकार
30 November 2021उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव की सियासी सरगर्मियों के बढ़ने के साथ-साथ राजनीतिक गठजोड़ और सियासी समीकरण भी सेट किए जाने लगे हैं। समाजवादी पार्टी (सपा) के मुखिया अखिलेश यादव राज्य में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से मुकाबला करने के लिए छोटे दलों को अपने साथ जोड़ते हुए एक बड़ा गठबंधन बनाने का प्रयास कर रहे हैं। अखिलेश के साथ खड़े होने वाले जयंत चौधरी, ओम प्रकाश राजभर सहित कई नेता गठबंधन की राजनीति के पक्ष में बोल रहे हैं, तो बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने गठबंधन कर चुनाव लड़ने की संभावनाओं को सिरे से ही खारिज कर दिया है। वैसे राजनीति में राजनीति में कुछ असंभव न होने का तर्क भी दिया जाता है। ऐसा तर्क देने वाले लोग बीते लोकसभा चुनावों में सपा -बसपा के बीच हुए गठबंधन का उदहारण देते हैं। यह गठबंधन चुनावों के तत्काल बाद टूट गया था। ऐसा नहीं है कि बीते लोकसभा चुनावों में ही गठबंधन की राजनीति फेल हुई है।
आत्मनिर्भर भारत की परिकल्पना को साकार कर रहे विकास दीपोत्सव मेले
29 October 2021भारत को त्योहारों का देश कहा जाता है। होली, दीपावली, रक्षाबंधन, नवरात्र, ईद, गुरुपूर्णिमा एवं क्रिसमस जैसे अनेक त्योहारों का आयोजन पूरे वर्ष भर चलता रहता है। जिसमें आपसी प्रेम, भाई-चारा, सौहार्द के वातावरण में सभी इसमें आनन्द की प्राप्ति करते हैं। प्रत्येक त्योहार में एक मुख्य आकर्षण होता है त्योहारों से जुड़ी मान्यताओं, परम्पराओं के आधार पर की जाने वाली खरीददारी। प्रत्येक त्योहार पर बाजार ऐसी वस्तुओं से पट जाता है जिनका किसी न किसी प्रकार का जुड़ाव उन त्योहारों से होता है। होली में जहां पिचकारी व रंगो की धूम रहती है तो दीपावली में दिए, लक्ष्मी-गणेश की मूर्तियों, लाई, बताशा आदि से पूरा बाजार गुलजार हो जाता है। अपनी-अपनी सामर्थ्य एवं आवश्यकता के अन्तर्गत सभी लोग कुछ न कुछ खरीददारी करते हैं। इस प्रकार हर्ष एवं उल्लास का वातावरण बना रहता है।
खादी बन रही प्रदेश के विकास में सहायक, अब हो रहे नए-नए नवाचार
23 October 2021‘‘खादी की रजत चंद्रिका जब-आकर तन पर मुस्काती है,तब नवजीवन की नई ज्योति अन्तस्तल में जग जाती है‘‘भारत की आजादी के लिए हुए आंदोलन में खादी ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी ने खादी को सामाजिक एवं आर्थिक क्रांति का माध्यम बनाया था। उन्होंने स्वयं भी चरखा चलाकर सूत कातने को अनवरत जारी रखा और साथ ही राष्ट्रपिता गांधी ने भारत के व्यापक जनमानस को भी प्रेरित किया कि वह स्वयं के काते हुए सूत से बने वस्त्ऱ ही पहनें। इस प्रकार राष्ट्र निर्माण के लिए हुए व्यापक संघर्ष में खादी प्रमुख भूमिका में रही।
प्रदेश सरकार के वृहद वृक्षारोपण से, प्रदेश में बढ़ रहा है वनावरण
07 July 2021प्रदीप गुप्ता विश्व में सभ्यता के आरम्भ से ही प्रकृति और उसके विभिन्न स्वरूपों के नजदीक मानव का विकास हुआ है। इन्हीं के अन्तर्गत हमारे देश में भी मानव विकास नदियों, पर्वतों, पेड़-पौधों आदि के सानिध्य में हुआ है। वृक्ष हमारी धरती का श्रृंगार हैं। यह पर्यावरण को स्वच्छ करते हैं। इसीलिए वनों को धरती का फेफड़ा भी कहा गया है। वृक्ष अनेक प्रकार से हमारे लिए उपयोगी हैं। यह न केवल फल, फूल, लकड़ी, औषधि, खाद्य पदार्थों के स्त्रोत हैं बल्कि यह वातावरण से कार्बन डाई आक्साइड को अवशोषित कर ऑक्सीजन की सतत् आपूर्ति से वातावरण को स्वच्छ भी करते रहते हैं। इसके साथ ही वन अनेक पक्षियों, कीड़े-मकोड़ों एवं अन्य जीव-जन्तुओं के लिए प्राकृतिक वासस्थल भी है। हमारे धर्मग्रन्थों में भी पीपल, बरगद, आंवला आदि अनेक वृक्षों की पूजा किए जाने के उल्लेख मिलते हैं। आज विज्ञान भी इसको सत्य सिद्ध करता है कि पीपल का वृक्ष दिन-रात ऑक्सीजन प्रदान करता है।
यूपी के लिए 'UP' योगी
25 June 2021आशुतोष शुक्ला, सीनियर प्रोड्यूसर, न्यूज 18यूपी में 2022 की बिसात बिछनी शुरू हो गई है। सहूलियत की सियायत में सारी पार्टियां एक दूसरे से आगे निकलने की होड़ में हैं। कोई चुनाव से ठीक पहले अपनी पार्टी छोड़कर दूसरी पार्टी में अपना राजनीतिक भविष्य देख रहा है, तो कई माननीय अपनी पार्टी में अनदेखी बताकर विरोधी पार्टियों के दफ्तर के चक्कर काट रहे हैं। समाजवादी पार्टी के सुप्रीमो अपना सियासी कुनबा बढ़ाने को लेकर दिन रात एक किए हैं। इसके लिए वो बुआ की पार्टी के बागियों पर लगातार डोरे डाल रहे हैं। वहीं, बीएसपी मुखिया मायावती भी कोरोना काल में ट्वीट पॉलिटिक्स से सूबे की सियासत में अपनी सियासी उपस्थिति दर्ज कराती रहती हैं। जिससे कहीं समाजवादी पार्टी और बीजेपी कहीं ये ना समझ लें कि, चुनावी चौसर में मुकाबला सिर्फ उन्हीं दोनों के बीच है।
कोरोना पर विजय पाती योगी सरकार
17 June 2021उपेंद्र कुमार वर्ष 2019 के आखिर में जब लोग आगामी वर्ष के सुखद आगमन की कामना कर रहे थे, वहीं चीन के बुहान में सदी की सबसे भयानक त्रासदी का पहला अध्याय लिखा जा चुका था। भारत में कोरोना रूपी दुर्दात आपदा केरल से शुरू होकर उत्तर प्रदेश तक आ पहुंची। ईरान से लौटे गाजियाबाद के एक व्यक्ति को कोरोना संक्रमित पाया गया। जब अमेरिका जैसे विकसित देश की कमर कोरोना महामारी ने तोड़ दी हो तब उत्तर प्रदेश जैसे विशाल आबादी वाले राज्य में कोरोना पर काबू पाने के लिए एक विस्तृत, सृदृढ़ और दीर्घकालीन रणनीति की आवश्यकता के दृष्टिगत प्रदेश के मुख्यमंत्री के नेतृत्व में सरकार ने इस कार्य को बखूबी अंजाम दिया।
मुल्क के मुकद्दर को संवारते मजदूर
01 May 2021दिलीप अरुण "तेम्हुआवाला"भारत के हरियाणा प्रदेश के भाटी माइन्स में काम करने वाले मज़दूर हों या बिहार के कैमूर की तपती पहाड़ी के नीचे पत्थर काटने वाले मज़दूर। उड़ीसा, महाराष्ट्र, गोवा, राजस्थान के बॉक्साइट खदानों में काम करने वाले मज़दूर हों या सांप-बिच्छू के संग खेत-खलिहानों में काम करने वाले मज़दूर। बिहार के भभुआ स्थित भुड़कुड़ा पहाड़ी के खदानों, केरल, हिमाचल प्रदेश, तमिलनाडु, महाराष्ट्र के नमक की खानों में काम करने वाले मज़दूर हों या अंडमान-निकोबार, पुडुचेरी, सिक्किम, लक्ष्यद्वीप, लद्दाख, दादरा-नगर हवेली, दमन-द्वीव, मिजोरम, नागालैंड तथा त्रिपुरा में जद्दोजेहद की ज़िंदगी जीने वाले मज़दूर - ये सभी अपनी मेहनत की तिल्ली से देश की दहलीज़ पर समृद्धि का दीया जलाते हैं।
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