खरमास की समाप्ति के बाद एक बार फिर से शहनाई गूंजने लगी है। शादी-विवाह का भी सिलसिला शुरू हो गया है। दरअसल, लगभग एक महीने से खरमास चल रहा था। इस वजह से बाजार और मैरेज हॉल की रौनक कहीं गुम सी हो गई थी। लेकिन लग्न आते ही बाजार की रौनक लौट आई है। इस बार मई और जून महीने में लग्न नहीं होने के कारण अप्रैल और जुलाई में शादियों की भरमार रहेगी। फिर चार मास के बाद मंगलवार 12 नवंबर को देवोत्थान एकादशी के बाद से लग्न शुरू होगा.खरमास की समाप्ति के बाद 14 दिन शुभ मुहूर्त हैं। मेष संक्रांति के बाद शुभ कार्यों की शुरुआत हो चुकी है।
मई-जून में नहीं है शुभ मुहूर्त
वैशाख कृष्ण षष्ठी सोमवार 29 अप्रैल को शुक्र पूर्व में, तो वैशाख कृष्ण द्वादशी सोमवार पांच मई को देवगुरु बृहस्पति पश्चिम में अस्त हो जाएंगे। इससे इस वर्ष मई-जून में शादी विवाह के मुहूर्त नहीं होंगे। बृहस्पति का उदय ज्येष्ठ कृष्ण द्वादशी सोमवार तीन जून को होगा, लेकिन शुक्र अस्त ही रहेंगे। शुक्रोदय आषाढ़ कृष्ण सप्तमी 28 जून को शाम 5.06 बजे होगा। शुक्र का बालत्व एक जुलाई को समाप्त होगा।
उसके बाद नौ जुलाई से लगन-मुहूर्त शुरू होंगे। आषाढ़ शुक्ल एकादशी 17 जुलाई से चातुर्मास लग जाएगा। इससे चार माह तक मांगलिक कार्यों पर विराम रहेगा। कार्तिक शुक्ल एकादशी पर 12 नवंबर को चातुर्मास समाप्त होगा और मांगलिक कार्य शुरू होंगे।