Maha Shivratri 2025: सृजन और संहार का दिव्य संतुलन, जानें पूजा विधि, ग्रह योग और गंगा स्नान का महत्व

महाशिवरात्रि: सृजन और संहार का दिव्य संतुलन

महाशिवरात्रि केवल धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि जीवन के सृजन और संहार के संतुलन को दर्शाने वाला विशेष अवसर है। शिव और शक्ति के अर्धनारीश्वर स्वरूप में निहित यह दर्शन वैज्ञानिकता को प्रमाणित करता है कि विपरीत शक्तियों के सामंजस्य से ही सृष्टि का संचालन संभव है। शिव जहां संहार के देवता हैं, वहीं शक्ति सृजन की अधिष्ठात्री देवी हैं।

मानसिक संतुलन के लिए शिव-शक्ति उपासना

हर व्यक्ति के भीतर तर्क और भावना का संतुलन आवश्यक है, जिसे महाशिवरात्रि पर शिव-शक्ति की आराधना से प्राप्त किया जा सकता है। इस दिन किए गए व्रत, ध्यान और पूजन न केवल आध्यात्मिक शांति प्रदान करते हैं, बल्कि मानसिक स्वास्थ्य को भी सुदृढ़ करते हैं।

ग्रह योग बना रहा है विशेष संयोग

काशी के प्रचलित पंचांग के अनुसार, इस वर्ष महाशिवरात्रि 26 फरवरी 2025, बुधवार को है। त्रयोदशी तिथि सुबह 9:31 बजे तक रहेगी, जिसके बाद चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ होगा। श्रवण नक्षत्र दिन में 4:06 बजे तक रहेगा और फिर धनिष्ठा नक्षत्र प्रभावी होगा।

इस बार सूर्य, शनि और बुध की युति कुंभ राशि में, उच्च के शुक्र के साथ राहु मीन राशि में और वृष राशि में देवगुरु बृहस्पति की स्थिति इस योग को मृत्युंजय बना रही है। मिथुन राशि में मंगल, कन्या राशि में केतु और मकर राशि में चंद्रमा के संचार से इस दिन की महत्ता और बढ़ जाती है।

महाशिवरात्रि पूजा विधि और मंत्र जाप का महत्व

महाशिवरात्रि पर शिवलिंग की पूजा, अभिषेक और रात्रि जागरण का विशेष फल मिलता है। इस दिन विशेष रूप से महामृत्युंजय मंत्र का 108 बार जाप करना शुभ माना जाता है। जो व्यक्ति सच्चे मन से यह जाप करता है, उसके परिवार में कोई अकाल मृत्यु नहीं होती और घर के सभी सदस्य स्वस्थ रहते हैं।

गंगा स्नान और पूजन का विशेष महत्व

महाशिवरात्रि के दिन गंगा स्नान और पूजन का विशेष महत्व है। इस पावन अवसर पर भक्त हर-हर महादेव के उद्घोष के साथ त्रिवेणी संगम और गंगा तट पर स्नान करते हैं। इस बार महाकुंभ के विशेष ग्रह योग के कारण गंगा स्नान और दान का महत्व और अधिक बढ़ गया है।

महाशिवरात्रि 2025 न केवल आध्यात्मिक चेतना को जागृत करने का पर्व है, बल्कि यह जीवन के द्वंद्वात्मक पहलुओं के संतुलन को आत्मसात करने का अवसर भी प्रदान करता है। इस दिन शिव-शक्ति की आराधना से व्यक्ति अपने जीवन के हर क्षेत्र में समरसता और सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त कर सकता है।

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