Maha Kumbh 2025: जानें कब है तीसरा शाही स्नान और क्यों है ये इतना विशेष

प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ 2025 का तीसरा शाही स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के अवसर पर होगा। इस पवित्र स्नान का महत्व सिर्फ आध्यात्मिक ही नहीं बल्कि धार्मिक मान्यताओं में भी बेहद खास है।

अमृत स्नान(Shahi Snan) क्या है?

कुंभ मेला हर 12 साल में चार प्रमुख स्थानों – प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक-त्र्यंबकेश्वर और उज्जैन में आयोजित होता है। ये आयोजन संगम, गंगा, गोदावरी और क्षिप्रा नदियों के तट पर होते हैं। मान्यता है कि कुंभ के दौरान इन पवित्र नदियों में स्नान करने से व्यक्ति के सभी पाप समाप्त हो जाते हैं और आत्मा शुद्ध हो जाती है।

कुंभ के दौरान कुछ तिथियां विशेष रूप से शुभ मानी जाती हैं, जो ग्रह, सूर्य और चंद्रमा की स्थिति के अनुसार निर्धारित होती हैं। इन तिथियों पर सबसे पहले साधु-संत अपने अखाड़ों के साथ स्नान करते हैं। इस परंपरागत स्नान को पहले शाही स्नान कहा जाता था।

लेकिन इस साल से इसे अमृत स्नान(Amrit Snan) के नाम से संबोधित किया जा रहा है। यह नाम हिंदू पौराणिक मान्यताओं से जुड़ा है, क्योंकि ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले का आयोजन उन स्थानों पर होता है, जहां समुद्र मंथन के दौरान अमृत की बूंदें गिरी थीं। अमृत स्नान को अमरत्व और पवित्रता का प्रतीक माना जाता है, जो हिंदू धर्म में आध्यात्मिक महत्व रखता है।

तीसरे शाही स्नान का शुभ मुहूर्त

मौनी अमावस्या के दिन स्नान के लिए शुभ मुहूर्त इस प्रकार है

  • ब्रह्म मुहूर्त: 05:25 AM से 06:18 PM
  • प्रातः संध्या: 05:51 AM से 07:11 PM
  • विजय मुहूर्त: 02:22 PM से 03:05 PM
  • गोधूलि मुहूर्त: 05:56 PM से 06:22 PM

महत्व और मान्यताएं

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महाकुंभ में गंगा के तट पर अनुष्ठान करते दीक्षा पाए नागा सन्यासी

हिंदू धर्म में माना जाता है कि महाकुंभ में स्नान करने से न केवल इस जीवन के बल्कि पिछले जन्म के पाप भी समाप्त हो जाते हैं। मौनी अमावस्या पर शाही स्नान करने से पितरों की आत्मा को शांति मिलती है और जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

महाकुंभ 2025 की प्रमुख तिथियां

  • पौष पूर्णिमा: 13 जनवरी 2025
  • मकर संक्रांति: 14 जनवरी 2025
  • मौनी अमावस्या: 29 जनवरी 2025
  • बसंत पंचमी: 3 फरवरी 2025
  • माघी पूर्णिमा: 12 फरवरी 2025
  • महाशिवरात्रि: 26 फरवरी 2025

महाकुंभ का धार्मिक और सामाजिक महत्व

महाकुंभ आस्था और विज्ञान का महासंगम

मौनी अमावस्या का दिन साधु-संतों और श्रद्धालुओं के लिए खास होता है। यह स्नान कुंभ मेले का सबसे महत्वपूर्ण स्नान माना जाता है, क्योंकि इस दिन देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु संगम में स्नान करने आते हैं।

महाकुंभ का समापन

महाकुंभ 2025 का समापन 26 फरवरी को महाशिवरात्रि के पावन अवसर पर होगा। तब तक लाखों श्रद्धालु विभिन्न शाही स्नानों में भाग लेकर अपने जीवन को पवित्र बना रहे हैं।

इस पवित्र अवसर पर संगम नगरी प्रयागराज में आस्था और श्रद्धा की गंगा प्रवाहित हो रही है।

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