जानें महाशिवरात्रि पर महादेव को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें पूजा, क्या है शुभ मूहुर्त और इस दिन से जुड़ी मान्यताएं

आज महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको बताएंगे वो जरूरी बातें जिन्हें ध्यान में रखकर आप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं।
माना जाता है कि भगवान शिव इतने भोले हैं कि भक्त अगर सच्चे मन से सिर्फ एक लोटा जल और बेल पत्र ही चढ़ा दें तो भी भगवान प्रसन्न हो जाते हैं। वहीं, शास्त्रों में कुछ उपाय ऐसे भी बताए गए हैं जिनसे केवल भगवान ही प्रसन्न नहीं होते बल्कि स्वयं के अंर्तमन की शुद्धि और शांति की प्राप्ति होती है। साथ ही धन, परिवार समेत कई समस्याओं से मुक्ति मिल सकती हैं। आइए जानते हैं महाशिवरात्रि के इन उपायों के बारे में -
शीघ्र विवाह का उपाय- अगर आपकी लंबे समय से शादी नहीं हो पा रही है या विवाह में कोई ना कोई अड़चने आ रही है तो महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं।
मानसिक शांति के लिए- आज कल मानसिक तनाव जैसे आम बात हो गई है। लोग इसके इलाज के लिए लाखों हजारों खर्चने के लिए तैयार हैं। लेकिन हम जो उपाय बता रहे हैं इसमें आपको पैसे नहीं समय खर्चना है और बस आप मानसिक तनाव से मुक्त हो जाएंगे। इसके लिए आपको करना है भगवान शिव का ध्यान और जाप। जल में काले तिल मिलाकर शिवलिंग का अभिषेक करें, ध्यान केंद्रित करके "ओम नमः शिवाय" मंत्र का जाप करें।
पितरों को प्रसन्न करने के लिए – मान्यता है कि यदि पितृ खुश न हो तो घर में कोई न कोई समस्या हमेशा बनी रहती है। पूर्वजों की आत्मा को शांति के लिए और उनका आशीर्वाद पाने के लिए शिवरात्रि पर गरीबों को भोजन कराएं।
सुख-समृद्धि के लिए- जीवन में सुख और समृद्धि के लिए महाशिवरात्रि के दिन नंदी गाय को हरी घास खिलाएं। इससे आपको काफी फायदा मिलेगा।
संतान प्राप्ति के लिए – संतान का सुख पाने के लिए महाशिवरात्रि के दिन आटे से 11 शिवलिंग बनाकर 11 बार उनका जलाभिषेक करें। ऐसा करने से संतान प्राप्ति के योग बनते हैं।
अच्छी आमदनी के लिए - आमदनी से ज्यादा खर्चे हैं और पैसे आते ही चले जाते है तो इसके लिए महाशिवरात्रि के दिन ब्राह्मण की सलाह से पारस के शिवलिंग की स्थापना कर रोजाना पूजा करें। ऐसा करने से घर में आमदनी के योग बनते हैं।
इच्छा पूर्ण करने के लिए - यदि आप बहुत लंबे समय से किसी काम के होने के इच्छा मन में रखे हुए हैं पर ढेरो कोशिशों के बाद भी नहीं हो रहा है तो भोले को प्रसन्न करिए। इसके लिए महाशिवरात्रि के दिन 21 बेलपत्र पर चंदन से ओम नमः शिवाय लिखकर शिवजी को चढ़ाएं।
पूजा का शुभ मुहूर्त
महाशिवरात्रि पर चार पहर की पूजा का विधान है। ऐसा कहा जाता है कि इस दिन महादेव को चारों पहर पूजने से सारी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं। महाशिवरात्रि पर पहले पहर की पूजा मंगलवार को शाम 6.21 से 9.27 बजे तक होगी। फिर रात को 9.27 से 12.33 बजे तक दूसरे पहर की पूजा होगी। इसके बाद बुधवार को रात 12.33 से 3.39 बजे तक तीसरे पहर की पूजा होगी। अंत में रात 3.39 से सुबह 6.45 तक चौथे पहर का पूजन होगी।
क्यों मनाई जाती है महाशिवरात्रि
शिवलिंग स्वरूप में प्रकट हुए थे महादेव
धार्मिक ग्रंथों में उल्लेख है कि महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव शिवलिंग स्वरूप में पहली बार प्रकट हुए थे। शिव का प्राकट्य ज्योतिर्लिंग यानी अग्नि के शिवलिंग के रूप में था, जिसका ना तो आदि था और न अंत। शास्त्रों के अनुसार शिवलिंग का पता लगाने के लिए ब्रह्माजी हंस रूप में शिवलिंग के सबसे ऊपरी भाग को देखने की कोशिश कर रहे थे लेकिन वे सफल नहीं हो सके। वहीं, भगवान विष्णु भी वराह रूप लेकर शिवलिंग का आधार ढूंढ रहे थे लेकिन वो भी सफल नहीं हो पाए।
द्वादश ज्योतिर्लिंग हुए थे प्रकट-
शिव पुराण में बताया गया है कि महाशिवरात्रि के दिन देशभर में 12 द्वादश ज्योतिर्लिंग प्रकट हुए थे। इनमें सोमनाथ ज्योतिर्लिंग, मल्लिकार्जुन ज्योतिर्लिंग, महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, वैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, रामेश्वर ज्योतिर्लिंग और घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग शामिल हैं। शिव जी के इन 12 ज्योतिर्लिंगों के प्रकट होने के उपलक्ष्य में महाशिवरात्रि मनाई जाती है। और भक्तिभाव से पूजा-अर्चना की जाती है।
शक्ति और शिव का मिलन
शिव पुराण में जिक्र किए गए एक कथा के अनुसार शिव जी को पति रूप में पाने के लिए मां पार्वती ने कठिन तपस्या की थी और फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को उन्होंने मां पार्वती को पत्नी रूप में स्वीकार किया। इसलिए इस दिन को महत्वपूर्ण माना जाता है।
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