
दीपावली, जिसे दिवाली भी कहा जाता है, भारत का सबसे बड़ा और प्रमुख त्योहार है। यह पांच दिवसीय पर्व हर साल कार्तिक मास की अमावस्या को मनाया जाता है। दीपावली का त्योहार बुराई पर अच्छाई की विजय और अंधकार पर प्रकाश की जीत का प्रतीक है। यह पर्व विशेष रूप से धन, समृद्धि और खुशहाली की देवी माँ लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रसिद्ध है।
दीपावली 2024 की तिथि
इस वर्ष दीपावली 31 अक्टूबर 2024 को मनाई जाएगी। दीपावली का त्योहार पांच दिनों तक चलता है, जिसकी शुरुआत धनतेरस से होती है और समापन भाई दूज पर होता है।
- धनतेरस – 28 अक्टूबर 2024
- नरक चतुर्दशी (छोटी दिवाली) – 30 अक्टूबर 2024
- दीपावली – 31 अक्टूबर 2024
- गोवर्धन पूजा – 1 नवंबर 2024
- भाई दूज – 2 नवंबर 2024
लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त
दीपावली पर लक्ष्मी-गणेश पूजा का विशेष महत्व होता है। इस पूजा का शुभ मुहूर्त इस प्रकार है:
लक्ष्मी पूजा का शुभ मुहूर्त:
31 अक्टूबर 2024 को रात 6:15 PM से 8:15 PM तक है। इस समय के दौरान पूजा करना सबसे शुभ माना जाता है क्योंकि यह प्रदोष काल है, जब माँ लक्ष्मी का पृथ्वी पर आगमन होता है।
पूजा विधि
दीपावली की रात लक्ष्मी-गणेश की पूजा विशेष रूप से की जाती है। यहाँ दी गई है पूजा की विधि:
- कलश स्थापना और शुद्धिकरण: सबसे पहले पूजा स्थल को साफ कर गंगाजल छिड़कें। इसके बाद कलश में जल, आम के पत्ते, और नारियल रखें और उसे पूजा स्थल पर स्थापित करें।
- दीप प्रज्वलन और दीपमाला: घर के सभी कोनों में दीप जलाएं। दीयों को घर के प्रवेश द्वार और बालकनी में रखकर वातावरण को पवित्र करें।
- लक्ष्मी-गणेश प्रतिमा का पूजन: लक्ष्मी और गणेश जी की प्रतिमाओं को लाल या पीले कपड़े पर रखें। उन्हें चंदन, फूल, धूप, दीप, और मिठाई अर्पित करें।
- लक्ष्मी पूजा: माँ लक्ष्मी की विधिवत पूजा करें और उन्हें पुष्प, चंदन, अक्षत और नैवेद्य अर्पित करें। लक्ष्मी जी को खीर और फल का भोग लगाएं।
- गणेश पूजा: इसके बाद भगवान गणेश की पूजा करें और उनका आशीर्वाद प्राप्त करें। भगवान गणेश को मोदक और लड्डू का भोग अर्पित करें।
- आरती और प्रसाद वितरण: लक्ष्मी और गणेश जी की आरती करें और प्रसाद वितरित करें। घर के सभी सदस्य इस आरती में शामिल हों और समृद्धि की कामना करें।
पूजा के लिए मंत्र
- लक्ष्मी जी के मंत्र: “ॐ महालक्ष्म्यै नमः।”
- गणेश जी के मंत्र: “ॐ गं गणपतये नमः।”
- कुबेर मंत्र: “ॐ यक्षाय कुबेराय वैश्रवणाय धनधान्याधिपतये धनधान्यसमृद्धिं मे देहि दापय स्वाहा।”
दीपावली का इतिहास और महत्व
दीपावली का इतिहास भगवान राम के अयोध्या लौटने से जुड़ा हुआ है। जब भगवान राम 14 वर्षों के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे, तो अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत के लिए घरों में दीप जलाए थे। तभी से दीपावली का त्योहार दीपों के पर्व के रूप में मनाया जाता है। यह दिन अच्छाई की बुराई पर विजय का प्रतीक है।
इसके साथ ही, दीपावली को धन की देवी लक्ष्मी के स्वागत के लिए भी जाना जाता है। इस दिन माँ लक्ष्मी की पूजा करके सुख-समृद्धि और धन-धान्य की प्राप्ति की जाती है।
समापन
दीपावली 2024 का पर्व न केवल रोशनी और उत्सव का दिन है, बल्कि यह आत्मा की शुद्धि, समृद्धि और आध्यात्मिकता को भी दर्शाता है। इस पर्व पर घर को सजाने, पूजा-पाठ करने और दीप जलाने से पूरे वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।
ध्यान रखें: दीपावली के दिन पूजा का सही समय और विधि का पालन करके माँ लक्ष्मी और गणेश जी का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं।