
Saraswati Puja 2025: बसंत पंचमी का त्योहार ज्ञान, विद्या और बुद्धि की देवी मां सरस्वती को समर्पित होता है। हर साल माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को यह पर्व धूमधाम से मनाया जाता है। इस बार बसंत पंचमी 2 फरवरी और 3 फरवरी के बीच पड़ रही है, जिससे इसे लेकर लोगों में असमंजस बना हुआ है। आइए जानते हैं कि सरस्वती पूजा किस दिन करनी चाहिए, शुभ मुहूर्त क्या है, पूजा का महत्व और कौन सा भोग लगाना शुभ होता है।
कब मनेगी बसंत पंचमी 2025?
पंचांग के अनुसार, माघ शुक्ल पंचमी तिथि का आरंभ 2 फरवरी 2025 को रात 11:29 बजे होगा और यह 3 फरवरी 2025 को दोपहर 2:42 बजे तक रहेगी।
पंडितों के अनुसार, उदया तिथि के आधार पर 3 फरवरी 2025 (सोमवार) को बसंत पंचमी का पर्व मनाना अधिक शुभ रहेगा। इस दिन देशभर में मां सरस्वती की पूजा-अर्चना होगी।
सरस्वती पूजा 2025 का शुभ मुहूर्त
- पूजा का श्रेष्ठ समय: 3 फरवरी 2025, सुबह 07:15 से 12:35 बजे तक
- अभिजीत मुहूर्त: सुबह 11:55 से दोपहर 12:40 बजे तक
- सरस्वती पूजा के लिए सर्वश्रेष्ठ समय: दोपहर 12:35 बजे तक
बसंत पंचमी का महत्व
बसंत पंचमी को ज्ञान, कला, संगीत और विद्या की देवी मां सरस्वती का जन्मोत्सव माना जाता है। इस दिन छात्र, कलाकार, संगीतकार और विद्या-अध्ययन करने वाले लोग मां सरस्वती की विशेष पूजा करते हैं। पीले वस्त्र पहनना और पीले पकवान बनाना इस दिन शुभ माना जाता है।
सरस्वती पूजा में कौन सा भोग लगाएं?
मां सरस्वती को सफेद और हल्के मीठे व्यंजन अर्पित करने से विशेष फल प्राप्त होते हैं।
- केसर मिश्रित खीर – बुद्धि और विद्या में वृद्धि के लिए
- बूंदी या बेसन के लड्डू – सुख-समृद्धि के लिए
- मालपुआ – सरस्वती माता की कृपा पाने के लिए
- पीले फल (केला, आम, संतरा) – शुभ फलदायी माने जाते हैं
सरस्वती पूजा के दिन किताब में रखें यह चीज़
धार्मिक मान्यता के अनुसार, सरस्वती पूजा के दिन अपनी किताबों में पीले फूल या हल्दी की छोटी डली रखने से विद्या, बुद्धि और स्मरण शक्ति में वृद्धि होती है। यह उपाय छात्रों और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे लोगों के लिए विशेष लाभकारी माना जाता है।
बसंत पंचमी न केवल विद्या और बुद्धि का पर्व है, बल्कि यह ऋतुओं के बदलाव का भी संकेत देता है। इस दिन की गई पूजा से व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और सफलता आती है। यदि आप भी मां सरस्वती की कृपा पाना चाहते हैं, तो शुभ मुहूर्त में विधिपूर्वक पूजा करें और इस पावन पर्व को पूरे श्रद्धा भाव से मनाएं।