अश्विन माह, जो 18 सितंबर 2024 से प्रारंभ होकर 17 अक्टूबर 2024 तक चलेगा, हिंदू पंचांग के अनुसार अत्यंत महत्वपूर्ण माना जाता है। इस माह की शुरुआत पितृ पक्ष से होती है, जो हमारे पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए समर्पित है। इसके बाद शारदीय नवरात्रि, दशहरा, और शरद पूर्णिमा जैसे प्रमुख त्योहार आते हैं। हर त्योहार और व्रत का अपना धार्मिक और सांस्कृतिक महत्त्व होता है। आइए, जानते हैं इस महीने के मुख्य व्रत और त्योहारों के बारे में।
1. विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी (21 सितंबर 2024)
विघ्नराज संकष्टी चतुर्थी भगवान गणेश की आराधना का पर्व है। इस दिन व्रत रखने से जीवन में आने वाली सभी विघ्न और बाधाओं का नाश होता है। गणपति की विशेष पूजा करने से परिवार में सुख और समृद्धि आती है।
2. जीवित्पुत्रिका(जितिया) व्रत (25 सितंबर 2024)
यह व्रत माताएं अपनी संतानों की दीर्घायु और उनकी सुख-समृद्धि के लिए करती हैं। इसे “जितिया व्रत” भी कहते हैं। इस दिन माताएं निर्जला उपवास रखकर अपनी संतान की सुरक्षा और स्वस्थ जीवन की कामना करती हैं।
3. इंदिरा एकादशी (28 सितंबर 2024)
इंदिरा एकादशी का व्रत पितरों की आत्मा की शांति के लिए किया जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को रखने से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और उनका आशीर्वाद सदैव परिवार पर बना रहता है।
4. सर्व पितृ अमावस्या (2 अक्टूबर 2024)
सर्व पितृ अमावस्या पर उन पूर्वजों का श्राद्ध किया जाता है जिनकी मृत्यु तिथि ज्ञात नहीं होती। इस दिन श्राद्ध करने से उनकी आत्मा को मोक्ष मिलता है। इस साल इस दिन सूर्य ग्रहण भी लगेगा, जिससे इसका महत्व और बढ़ जाता है।
5. शारदीय नवरात्रि और घटस्थापना (3 अक्टूबर 2024)
शारदीय नवरात्रि की शुरुआत घटस्थापना से होती है। नवरात्रि में मां दुर्गा की 9 दिनों तक पूजा-अर्चना की जाती है। नवरात्रि के दौरान शक्ति की देवी दुर्गा के नौ रूपों की आराधना की जाती है। यह पर्व महिलाओं के लिए विशेष महत्त्व रखता है, क्योंकि इसे नारी शक्ति का प्रतीक माना जाता है।
6. दुर्गा पूजा (9 अक्टूबर 2024)
दुर्गा पूजा का प्रारंभ नवरात्रि के छठे दिन से होता है। यह पर्व बंगाल सहित भारत के विभिन्न हिस्सों में बड़े उत्साह से मनाया जाता है। इसमें मां दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा की जाती है। दुर्गा पूजा दसवें दिन विजयादशमी पर समाप्त होती है, जब रावण दहन किया जाता है।
7. दशहरा (12 अक्टूबर 2024)
दशहरा, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध किया था। दशहरे पर रावण, कुंभकर्ण और मेघनाद के पुतले जलाए जाते हैं, जो हमें यह संदेश देते हैं कि जीवन में सच्चाई और धर्म का पालन करना ही श्रेष्ठ है।
8. शरद पूर्णिमा (17 अक्टूबर 2024)
शरद पूर्णिमा को मां लक्ष्मी का अवतरण हुआ था। इस दिन रात को चंद्रमा की किरणों से अमृत वर्षा होती है। लोग रातभर जागकर मां लक्ष्मी की पूजा करते हैं और खीर को चंद्रमा की रोशनी में रखने का विधान है, ताकि उसमें अमृत के गुण आ जाएं।
अश्विन माह धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टिकोण से अत्यंत समृद्ध है। यह माह न केवल पितरों की पूजा का समय है, बल्कि दुर्गा पूजा और दशहरा जैसे उत्सवों के माध्यम से बुराई पर अच्छाई की विजय का भी प्रतीक है। इस दौरान व्रत और त्योहार मनाने से जहां हमारी आध्यात्मिक उन्नति होती है, वहीं परिवार और समाज में भी शांति और समृद्धि का संचार होता है।