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ज्योतिष एवं धर्मकर्म

Chanakya Niti

सिर्फ खान-पान का ही नहीं इन चीजों का असर भी दिखता है उम्र पर, चाणक्य नीति में मिलता है इसका जिक्र

28 April 2022

चाणक्य नीति पुस्तक जिंदगी की कई परिस्थितियों में मनुष्य के विचारधाराओं और विचारों को चित्रित करती है, जो आज के समय के लिए भी प्रासंगिक हैं। यह पुस्तक 350-275 ईसा पूर्व एक भारतीय सिद्धांतकार, शिक्षक, दार्शनिक, अर्थशास्त्री मौर्य सम्राटों के लिए एक महान गुरू हुए चाणक्य के जीवन मंत्रों का संग्रह है। आचार्य चाणक्य ने अपनी नीतियों के जरिए रणभूमि से मनभूमि में चल रहे युद्ध को जीतने का मार्ग बताया है। साथ ही सफलता, समृद्धि, सुख, सम्‍मान पाने के तरीके भी बताए हैं। उन्‍होंने आम आदमी के लिए ऐसी बातें बताईं हैं, जिनकी मदद से वो बेहद खास जीवन जी सकता है। इसके अलावा उन्‍होंने कुछ गलतियों को लेकर चेताया भी है। यदि व्‍यक्ति ये गलतियां करने से बचे तो वह अपने जीवन में कई मुसीबतों से बच सकता है। उसमें से कुछ गलतियां ऐसी भी है जो आपको उम्र से पहले ही बूढ़ा कर देती है। 

CM Yogi

सीएम योगी ने शपथ ग्रहण के लिए क्यों चुना 25 मार्च का दिन? जानिए क्या है वजह

24 March 2022

25 मार्च को लखनऊ के इकाना स्टेडियम में सीएम योगी के शपथ ग्रहण के लिए भव्य समारोह आयोजित किया जा रहा है। इस समय तक लगभग सारी तैयारियां हो चुकी हैं। योगी शुक्रवार को शाम 4 बजे सीएम पद की शपथ लेंगे। इस दौरान पीएम मोदी, जेपी नड्डा, अमित शाह समेत पार्टी के कई दिग्गज नेता समारोह में उपस्थित होंगे। समारोह में लगभग 60 हजार लोगों की उपस्थिति को ध्यान में रखते हुए व्यवस्थाएं की गई हैं। इसी बीच शपथ ग्रहण समारोह के लिए चुने गए तारीख के कई सारे मायने निकाले जा रहें हैं। माना जा रहा है कि इसके पीछे भी किसी ग्रह नक्षत्र का गणित लगाया गया है। आइए जानते हैं कि इस तारीख को लेकर ज्योतिष क्या कह रहे हैं।

Holika Dahan

होलिका दहन का यह है शुभ मुहर्त, जानें पूजा विधि से लेकर सभी जरूरी उपाय

17 March 2022

फाल्गुन माह की पूर्णिमा के दिन देशभर में होलिका दहन किया जाता है। आज होलिका दहन है। ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन की रात को बहुत खास माना जाता है। ज्योतिषियों के अनुसार कई ऐसे उपायों के बारे में बताया गया है जिन्हें अगर सही मुहूर्त में कर लिया जाए, तो व्यक्ति की समस्याएं दूर हो जाती हैं। लेकिन होलिका दहन के दिन कुछ अशुभ मुहूर्त भी होते हैं, जिनका खास ख्याल रखना बेहद जरूरी है। इस दौरान कई नकारात्मक शक्तियां सक्रिय हो जाती हैं। हिंदू धर्म, पंचाग और ज्योतिष शास्त्र में होलिका दहन हमेशा शुभ मुहूर्त में ही किया जाता है। ऐसा न करने पर अनहोनी होने का खतरा बना रहता है। 

Holi

धन, नौकरी व मनोकामना की होगी पूर्ति, होली में करें यह उपाय

16 March 2022

रंगों का त्यौहार होली के ज्योतिष शास्त्र में कई मायने हैं। इस दिन किए गए कुछ विशेष उपाय शीघ्र ही फल देते हैं। यहां पर हम आपको कुछ खास उपाय बता रहे हैं जिनसे आप अपने जीवन में सभी परेशानी दूर कर सकते हैं और धन हर्ष और ऐश्वर्य प्राप्त कर सकते हैं। जानिए ज्योतिष के अनुसार होली पर कब और क्या करना होगा शुभ-

Shiva Shakti

जानें महाशिवरात्रि पर महादेव को प्रसन्न करने के लिए कैसे करें पूजा, क्या है शुभ मूहुर्त और इस दिन से जुड़ी मान्यताएं

01 March 2022

आज महाशिवरात्रि के शुभ अवसर पर हम आपको बताएंगे वो जरूरी बातें जिन्हें ध्यान में रखकर आप भगवान शिव की विशेष कृपा प्राप्त कर सकते हैं। 

Goddess Saraswati,

ज्ञान की देवी मां सरस्वती को कैसे करें प्रसन्न, जानें क्या हैं बसंत पंचमी से जुड़ी मान्यताएं

05 February 2022

माना जाता है कि आज ही के दिन यानी माघ महीने शुक्ल पक्ष की पंचमी को मां सरस्वती पृथ्वी पर अवतरित हुई थी, इसलिए इस दिन को वसंत पंचमी के तौर पर मनाने की परंपरा है। मनुष्य अपने अज्ञानता रुपी अंधेरे को दुर करने के लिए ज्ञान की देवी के रुप में पूजी जानी वाली मां सररस्वती की अराधना करते हैं। यह दिन ज्ञान, विद्या, बुद्धिमत्ता, कला और संस्कृति की देवी माँ सरस्वती को समर्पित है। इस दिन माँ शारदा के पूजन का बहुत महत्व है।कहा जाता है जहां लक्ष्मी हो जरुरी नहीं वहां सरस्वती भी विराजित हों पर जहां सरस्वती होती हैं वहां लक्ष्मी स्वंय ही चली आती हैं। तो अगर आप अपने घर में धन की कमी और दरिद्रता को दुर या खत्म करना चाहते हैं तो मां सरस्वती की सच्चे मन से अराधना करिए। और ज्ञान की देवी को अपने घर रुपी मंदिर में आने का निमंत्रण दें। 

God hanuman

क्यों मनाया जाता है बुढ़वा मंगल? जानें इससे जुड़ी क्या है मान्यता

26 January 2022

हनुमान जी के वृद्ध / बूढ़े रूप को समर्पित है। यह उत्सव भाद्रपद / भादौं माह के अंतिम मंगलवार को आयोजित किया जाता है। जिसे प्रचलित भाषा में बूढ़े मंगल के नाम से भी जाना जाता है। नगला खुशहाली में 300 साल पुराने हनुमान बरी परिसर में यह त्यौहार बड़ी ही धूम-धाम से मनाया जाता है।

God  worship

इस तरह से पूजा करने पर भगवान होते हैं प्रसन्न, मिलता है मनचाहा फल

17 January 2022

दूनिया के हर कोने में फिर चाहे वो कोई भी संस्कृति अथवा सभ्यता हो इष्ट की पूजा पाठ और प्रार्थना की परंपरा सभी जगहों पर प्रचलित है। लेकिन प्रश्न ये उठता है कि क्या सभी की पूजा ईश्वर स्वीकार करते हैं? आज हम इसे के बारे में जानेगें

bhog

जानिए धार्मिक ग्रंथों में भगवान को भोग लगाने का क्या तरीका बताया गया है

12 January 2022

प्रेम और भक्ति मार्ग सनातन धर्म में सुझाए गए वो दो मार्ग हैं जिस पर चल कर मनुष्य ईश्वर को प्राप्त कर सकता है। जहां प्रेम मार्ग पर मनुष्य को सिर्फ ईश्वर के प्रति भावना से समर्पित होने के लिए प्रेरित किया जाता है। वहीं, भक्ति मार्ग  मन, धन, कर्म से ईश्वर को खुश करने की बात करता है। जिसमे ईश्वर का श्रिंगार उनकी आरती और उनके भोग का प्रावधान है। समाज के ज़्यादातर लोग इसी मार्ग का पालन ईश्वर आराधना के लिए करते है। क्योंकि ईश्वर प्राप्ति की ये सबसे आसान और सुगम राह बताई गई है। जिसके लिए सेवा भाव हम पूर्ण रूप से मानव दिनचर्या में शामिल करते हैं। तो आइए जानते हैं कैसे भोग लगाने का क्या है सही तरीका.....

ramanuja

जीव एवं ब्रहम का पूर्ण अस्तित्व है और माया का सृजन नश्वर

07 May 2021

डा0 मुरलीधर सिंह (स्वामी जी)भारत में ज्ञान मार्ग एवं भक्ति मार्ग के अनेक आचार्य हुए है ज्यादातर आचार्य हमारे दक्षिण भारत में और भगवान के अवतार उत्तर भारत में हुए है। जगत गुरु आदि शंकराचार्य ने आठवीं सदी में ब्रहम सत्यम जगन मिथ्या बम्हैव जीवों नापरः अर्थात ब्रहम सत्य है संसार झूठा है और जीव ब्रहम से अलग नहीं है। इस सिद्धान्त को भारतीय दर्शन में अद्वैतवाद कहा गया। इस ज्ञान मार्ग के सिद्धान्त के विपरीत लगभग 14 से 16 सदी के मध्य चार भक्ति मार्ग के आचार्य हुए। जिसमें रामानुजाचार्य, माधवाचार्य, निम्बकाचार्य, एवं वल्लभाचार्ज जी का स्थान आता है। आज मै अपने विशिष्ट लेख में वल्लभाचार्य जी के जीवन पर प्रकाश डालता हूं। हमारे भारतीय दर्शन की विशेषता रही है। कि जिसको पाना है उसको खोना पड़ेगा। जैसे भगवान राम पुरुषोत्तम राम कहलाने के लिए सर्वप्रथम महर्षि विश्वामित्र के साथ अपना प्रथम चरण का गृह त्याग किया उस समय किशोरावस्था में राजमहल का एवं परिवार का त्याग किया उसी मे कलांतर में 14 वर्ष के लिए राजगद्दी का त्याग किया।

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