मोदी सरकार ने आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को दस प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया है। सरकार द्वारा निर्धारित कुछ शर्तों को पूरा करने वालों को इसका लाभ मिलेगा। सरकार के इस फैसले के बाद बसपा प्रमुख मायावती ने मंगलवार सुबह प्रेस कांफ्रेंस की और कहा कि बसपा आरक्षण के इस फैसले पर सरकार का स्वागत करती है।
मायावती ने कहा कि हमारी पार्टी की ये सबसे पहली और पुरानी मांग है, इस संदर्भ में जो भी संसोधन होगा उस विधेयक का पार्टी समर्थन करेगी। हालांकि ये सरकार का चुनावी स्टंट है। अगर ये फैसला वो पहले लेती तो ज्यादा अच्छा होता।
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अगर इस फैसले को मंजूरी मिल जाती है तो कुल आरक्षण की सीमा 49.5 से बढ़कर अब 59.5 तक हो जाएगी। बता दें कि बसपा अध्यक्ष मायावती लंबे समय से गरीब सवर्णों को आरक्षण देने की मांग करती रही हैं। उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री रहते हुए उन्होंने केंद्र सरकार को इस संबंध में पत्र लिखा था। उन्होंने अपने एक बयान में ये भी कहा था कि हमारी पार्टी सर्वसमाज में से अपरकास्ट समाज व मुस्लिम एवं धार्मिक अल्पसंख्यक समाज के गरीबों को भी आर्थिक आधार पर अलग से आरक्षण देने के लिए संविधान संसोधन के पक्ष में रही है और इसके लिए पहले से प्रयासरत भी रही है।
बसपा सुप्रीमो ने कहा कि देश में अभी तक SC/ST, OBC को जो 49.5 फीसदी आरक्षण मिलता है उसकी समीक्षा करने की जरूरत है, उन्होंने ये भी कहा कि लगातार जनसंख्या बढ़ रही है ऐसे में जातियों का अनुपात भी बढ़ रहा है।
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सरकार इस संबंध में संविधान संशोधन विधेयक लाने की तैयारी में है। सरकार मंगलवार को लोकसभा में विधेयक पेश करेगी। इसे ध्यान में रखकर ही राज्य सभा का सत्र एक दिन के लिए बढ़ा दिया गया है। सरकार के हित में एक बात ये भी है कि आम आदमी पार्टी, एनसीपी और बसपा जैसे कुछ दलों की तरफ से सकारात्मक प्रतिक्रिया मिली है। मायावती ने ये भी कहा कि दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्गों के लिए उन क्षेत्रों में भी आरक्षण की व्यवस्था करनी चाहिए,जहां तक अभी ऐसा कोई नियम लागू नहीं है।
वहीं अरविंद केजरीवाल ने इस फैसले का समर्थन करते हुए इसे चुनावी स्टंट बताया है। उन्होंने ट्वीट किया कि सरकार को संसद के सत्र को बढ़ाना चाहिए और तुरंत संविधान संसोधन विधेयक लाना चाहिए नहीं तो ये साफ हो जाएगा कि यह चुनाव से पहले का स्टंट है।
कांग्रेस ने भी आरक्षण देने के सरकार के फैसले का समर्थन किया है। पार्टी प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने कहा- कांग्रेस का मानना है कि दलितों, आदिवासियों और पिछड़ों के संवैधानिक आरक्षण से कोई छेड़छाड़ किए बगैर समाज के सभी गरीब लोगों को भी शिक्षा व रोजगार का मौका मिले। चार साल आठ माह बीत जाने के बाद केंद्र सरकार को अब देश के गरीबों की याद आई है। ऐसा क्यों, यह अपने आप सरकार की नीयत पर प्रश्न खड़ा करता है।
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