Posted by: Pravesh Yadav Last updated on : March 08, 2019

मिलिए झारखंड की पहली महिला राज मिस्त्री से, जिन्होंने किया ये बड़ा काम

घर बनने के बाद उसको सजाने और संवारने में महिलाएं ही आगे होती है। घर में किस जगह पर क्या होना चाहिए और कहां पर होना चाहिए, यह सब महिलाएं ही तय करती है। घर की साज-सज्जा के साथ ही महिलाएं अब घर की नींव भी रख रही है और मकान बनाने का काम कर रही है। जी हां, घरों को बनाने के लिए मजदूरी करने वाली महिलाएं अब राज मिस्त्री बन गई है। यह काम साकार किया है झारखंड की सुनीता देवी ने। जिन्होंने पित‍ृसत्तामक सोच को आईना दिखाया और कन्नी लेकर खुद घरों को बनाने में जुट गई। वह इस काम में खुद ही आगे नहीं बड़ी बल्कि 1500 से अधिक महिलाओं को इस काम में आगे बढ़ाया। उनके इसी जज्बे को देखते हुए सरकार इस साल उन्हें नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित करने जा रही है। आइए बताते हैं आपको लातेहार जिले की सुनीता देवी की सफलता की कहानी। 


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झारखंड में लातेहार जिले के उदयपुरा गांव की निवासी आदिवासी महिला सुनीता देवी का नाम आज पूरी दुनिया जान गई है। इसका कारण है उन्हें आज राष्ट्रपति के हाथों सर्वोच्च सम्मान नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उन्हें इस पुरस्कार के साथ ही एक लाख रुपये भी दिए जाएंगे। सुनीता देवी को ये पुरस्कार राज मिस्त्री का काम करने की वजह से दिया जाएगा। कुछ साल पहले उन्होंने राज मिस्त्री का काम शुरू किया था। जब वे इस क्षेत्र में आई तो लोगों ने उन पर भी सवाल उठाए थे। पुरुषों के काम को अब ये करेंगी। समाज में इस तरह की बातों की प्रवाह किए बिना सुनीता अपने काम में लगी रही। उन्होंने एक कुशल राज मिस्त्री बनकर लोगों को बता दिया कि महिलाएं इस काम को आसानी से कर सकती है। अब झारखंड से इन महिला राज मिस्त्री को लोग रानी मिस्त्री कहकर बुलाते हैं। 


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2016 में सुनीता ने की थी शुरुआत

सुनीता कुमारी ने राज मिस्त्री का काम 2016 में शुरू किया था। जब झारखंड सरकार खुले में शौच से मुक्त करने के लिए गांव-गांव शौचालय बनवा रही थी। इस योजना के बारे में जब सुनीता को पता चला, तो उन्होंने गांव वालों से महिलाओं के लिए शौचालय बनवाने की बात कहीं। सुनीता की इस बात का गांव वालों ने विरोध किया। यही नहीं उन्हें गांव से बाहर निकालने की धमकी भी दी, मगर उनके पति ने सुनीता का पूरा साथ दिया। आखिरकार उन्होंने इस क्षेत्र में खुद ही कदम आगे बढ़ाएं और शौचालय बनवाने लगी। उन्होंने जिस ग्रुप की शुरुआत की जिसका नाम था विकास आजिविका। इस ग्रुप को राज्य सरकार से काम मिलने लगा और सरकार की तरफ से आर्थिक सहायता भी दी गई। 


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सैकड़ों महिलाओं को दे चुकीं ट्रेनिंग

सुनीता देवी जब इस क्षेत्र में आई तो वह अकेली थी, लेकिन अब उनके साथ इस काम को करने के लिए पूरी फौज है। कुशल राज मिस्त्री बनने के बाद उन्होंने सैकड़ों महिलाओं को इस क्षेत्र में आने के लिए प्रेरित किया। उन्होंने महिलाओं को जरूरी ट्रेनिंग दी गई। उन्होंने अब तक 1500 से अधिक महिलाओं को ट्रेनिंग देकर राज मिस्त्री बनाया है। अब ऐसी महिलाओं को लोग रानी मिस्त्री के नाम से जानते हैं। हालांकि ये काम उनके लिए इनता आसान नहीं था। इस काम में परंपरागत रूप से पुरुष ही आगे रहे हैं। ऐसे में महिलाओं को प्रेरित करना उनके लिए काफी चुनौती पूर्ण था।  

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सुनीता को सरकार ने दिया यह पद

गांव-गांव में शौचालय बनाने का काम विकास आजिविका ने किया। इस ग्रुप की मेहनत की वजह से शौचालयों को बनवाने का काम 300 से अधिक महिलाओं ने शुरू किया। महिलाओं की मेहनत की वजह से राज्य में 1500 से अधिक शौचालय सिर्फ इन्हीं लोगों ने बनवाए। पिछले साल जब लातेहार जिले को खुले में शौच से मुक्त घोषित किया तब सरकार ने सुनीता देवी को स्वच्छता सलाहकार नियुक्त किया। अवार्ड मिलने पर सुनीता देवी ने कहा कि हमारा मिशन किसी क्रांति से कम नहीं था। हमने जब शुरुआत की तब एक सप्ताह में एक ही टॉयलेट बना पाते थे, लेकिन अब हम चार दिनों में एक शौचालय बना लेते हैं। 


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दो बच्चों की मां हैं सुनीता

राज मिस्त्री का काम करने वाली सुनीता की शादी उदयपुरा गांव के मैट्रिक पास अशोक भगत के साथ हुई। वे दो बच्चों की मां है। सुनीता बालूमाथ के तेतरियाखाड़ निवासी बिरसा उरांव की बेटी है। उनकी इस उपलब्धि पर चतरा के सांसद सुनील कुमार सिंह ने प्रसन्नता जाहिर करते हुए सुनीता देवी को बधाई दी है। वहीं, झारखंड के स्वच्छ भारत मिशन के डायरेक्टर अमित कुमार ने सुनीता को एक रोल मॉडल कहा है। उन्होंने ने कहा, सुनीता ने मर्दों का काम समझे जाने वाले राज मस्त्री वाले काम की सोच को तोड़ने का साहस किया। उन्होंने जिस तरीके से महिलाओं को ट्रेनिंग दी और उन्हें स्वच्छता का महत्व बताया वह वास्तव में तारीफ करने वाली चीज थी। 


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